21-03-2022, 03:16 PM
मूतने के बाद निखिल भैया अपना लंड झटकते हुये मेरी तरफ घूमे और मुझे अपने लंड के
दर्शन करवा कर अपनी निकर में डालते हुये बोले- अरे तू अभी भी ऐसी ही खड़ी, चल जल्दी
कर फारिग हो, अभी तो 2 बीअर और पीनी हैं।
मैं सोच रही थी, मैं कैसे निखिल भैया के सामने अपनी हाफ पैंट उतारूँ।
हाँ, मगर ये ज़रूर कहूँगी कि निखिल भैया के गुलाबी टोपे वाला लंड देख कर मेरे जिस्म
में सर से पाँव तक झुरझुरी से दौड़ गई थी. और निखिल भैया ने भी मुझे उनके लंड को
घूरते देख लिया था।
मैं अभी कश्मकश में थी कि निखिल भैया मेरे पास और मेरी हाफ पैंट पकड़ कर नीचे को
खिसकाने लगे- चल उतार और मूत ले।
बड़े ही अधिकार से बोले वो … जैसे रोज़ ही मुझे ऐसे ही मुतवाते हों।
मैं भी जानबूझ कर ढीठ बन कर खड़ी रही और निखिल भैया ने मेरी हाफ पैंट मेरे घुटनों तक
नीचे सरका दी। मेरी गोरी गुलाबी फुद्दी मेरे बड़े भाई के सामने नंगी हो गई।
मगर मुझे शर्म नहीं आई बल्कि उतेजना पैदा हुई।
दर्शन करवा कर अपनी निकर में डालते हुये बोले- अरे तू अभी भी ऐसी ही खड़ी, चल जल्दी
कर फारिग हो, अभी तो 2 बीअर और पीनी हैं।
मैं सोच रही थी, मैं कैसे निखिल भैया के सामने अपनी हाफ पैंट उतारूँ।
हाँ, मगर ये ज़रूर कहूँगी कि निखिल भैया के गुलाबी टोपे वाला लंड देख कर मेरे जिस्म
में सर से पाँव तक झुरझुरी से दौड़ गई थी. और निखिल भैया ने भी मुझे उनके लंड को
घूरते देख लिया था।
मैं अभी कश्मकश में थी कि निखिल भैया मेरे पास और मेरी हाफ पैंट पकड़ कर नीचे को
खिसकाने लगे- चल उतार और मूत ले।
बड़े ही अधिकार से बोले वो … जैसे रोज़ ही मुझे ऐसे ही मुतवाते हों।
मैं भी जानबूझ कर ढीठ बन कर खड़ी रही और निखिल भैया ने मेरी हाफ पैंट मेरे घुटनों तक
नीचे सरका दी। मेरी गोरी गुलाबी फुद्दी मेरे बड़े भाई के सामने नंगी हो गई।
मगर मुझे शर्म नहीं आई बल्कि उतेजना पैदा हुई।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.