21-03-2022, 03:11 PM
जब बुआ के घर पहुंची तो वहाँ देखा ताला लगा था, बड़ा परेशान हुई मैं!
सोचने लगी कि अब क्या करूँ?
मैंने अपनी बुआ के लड़के निखिल को फोन लगाया तो उसने बताया कि मम्मी पापा तो आगे
किसी रिश्तेदारी में शादी में गए हैं, वो अपने कॉलेज गया हुआ है, बस थोड़ी देर में
ही आ जाएगा।
मैं वहीं घर के बाहर बैठ कर इंतज़ार करने लगी.
करीब डेढ़ घंटे बाद निखिल भैया आए, आते ही पहले गले मिले, फिर सॉरी सॉरी करते हुये
घर का ताला खोला तो हम अंदर गए।
मुझे पानी देते हुआ पूछा- तू कैसे आई?
मैंने कहा- भैया, मैं छुट्टियों में घर पर बोर हो रही थी, सोचा दो चार दिन आप लोगों
के साथ बिता लूँ, मगर यहाँ तो सभी बाहर गए हैं।
निखिल बोला- अरे तू चिंता मत कर, मैं हूँ न, मम्मी पापा तो कल शाम तक आएंगे, तब तक
हम दोनों भाई बहन मिल कर फन करेंगे।
मैं सोचने लगी ‘अरे निखिल भैया, जो फन मैं करना चाहती हूँ, वो तो तुम करोगे नहीं,
तो फन क्या साला घंटा होगा।’
मगर चलो अब आ ही गई हूँ, तो सोचा के एक दो दिन रुक जाती हूँ।
दोपहर का समय था, तो निखिल भैया मुझे अपनी बाईक पर बैठा कर बाहर ले गए, हमने लंच
बाहर ही किया. और कुछ करने को तो था नहीं तो वैसे ही फिर मूवी देखने पीवीआर में घुस
गए. मैं निखिल भैया के साथ चिपक कर बैठी, मैंने उनकी बाजू को अपनी दोनों बाजुओं के
जकड़ रखा था, इस तरह मेरा एक मम्मा निखिल भैया की बाजू से लग रहा था.
मैं तो इस चीज़ को समझ रही थी, मगर मुझे लग रहा था कि निखिल भैया भी ये चीज़ समझ गए
और वो भी बात बात में अपनी बाजू हिला हिला कर अपनी कोहनी से मेरे मम्मे को छेड़ रहे
थे।
तभी मेरे मन में खयाल आया कि निखिल भैया भी काफी तंदरुस्त हैं, जिम जाते हैं, मसल
वसल बना रखे हैं, अगर ये मेरे पे चढ़ जाए तो सच में तसल्ली करवा दे मेरी।
फिर सोचा ‘अरे नहीं … निखिल भैया तो मुझे अपनी छोटी बहन मानते हैं, वो ऐसा क्यों
करेंगे कि लोग उन्हें बहनचोद बोलें।’
सोचने लगी कि अब क्या करूँ?
मैंने अपनी बुआ के लड़के निखिल को फोन लगाया तो उसने बताया कि मम्मी पापा तो आगे
किसी रिश्तेदारी में शादी में गए हैं, वो अपने कॉलेज गया हुआ है, बस थोड़ी देर में
ही आ जाएगा।
मैं वहीं घर के बाहर बैठ कर इंतज़ार करने लगी.
करीब डेढ़ घंटे बाद निखिल भैया आए, आते ही पहले गले मिले, फिर सॉरी सॉरी करते हुये
घर का ताला खोला तो हम अंदर गए।
मुझे पानी देते हुआ पूछा- तू कैसे आई?
मैंने कहा- भैया, मैं छुट्टियों में घर पर बोर हो रही थी, सोचा दो चार दिन आप लोगों
के साथ बिता लूँ, मगर यहाँ तो सभी बाहर गए हैं।
निखिल बोला- अरे तू चिंता मत कर, मैं हूँ न, मम्मी पापा तो कल शाम तक आएंगे, तब तक
हम दोनों भाई बहन मिल कर फन करेंगे।
मैं सोचने लगी ‘अरे निखिल भैया, जो फन मैं करना चाहती हूँ, वो तो तुम करोगे नहीं,
तो फन क्या साला घंटा होगा।’
मगर चलो अब आ ही गई हूँ, तो सोचा के एक दो दिन रुक जाती हूँ।
दोपहर का समय था, तो निखिल भैया मुझे अपनी बाईक पर बैठा कर बाहर ले गए, हमने लंच
बाहर ही किया. और कुछ करने को तो था नहीं तो वैसे ही फिर मूवी देखने पीवीआर में घुस
गए. मैं निखिल भैया के साथ चिपक कर बैठी, मैंने उनकी बाजू को अपनी दोनों बाजुओं के
जकड़ रखा था, इस तरह मेरा एक मम्मा निखिल भैया की बाजू से लग रहा था.
मैं तो इस चीज़ को समझ रही थी, मगर मुझे लग रहा था कि निखिल भैया भी ये चीज़ समझ गए
और वो भी बात बात में अपनी बाजू हिला हिला कर अपनी कोहनी से मेरे मम्मे को छेड़ रहे
थे।
तभी मेरे मन में खयाल आया कि निखिल भैया भी काफी तंदरुस्त हैं, जिम जाते हैं, मसल
वसल बना रखे हैं, अगर ये मेरे पे चढ़ जाए तो सच में तसल्ली करवा दे मेरी।
फिर सोचा ‘अरे नहीं … निखिल भैया तो मुझे अपनी छोटी बहन मानते हैं, वो ऐसा क्यों
करेंगे कि लोग उन्हें बहनचोद बोलें।’
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.