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Incest बहन के साथ मज़ा
मेरी बहन ज्योति की शादी हो चुकी है. वो मुंबई में रहती हैं, मैंने भी अपनी पढ़ाई पूरी कर ली और मुझे एक्टर बनने की इच्छा थी तो मैं अपनी बहन के पास रहने के लिए चला गया.
मुंबई में मेरी बहन का एक बहुत अच्छा फ्लैट है. जीजाजी हमेशा की तरह अपने बिजनेस के काम को लेकर लगातार टूर पर बिज़ी रहते हैं.
मैं मुंबई पहुँचा, तो दीदी मुझे एयरपोर्ट पर लेने आई थीं. मैंने जब दीदी को देखा तो बस देखता ही रह गया. क्योंकि एक लम्बे अरसे के बाद मैंने दीदी को देखा था. दीदी तो अब बहुत ही बदल चुकी थीं. दीदी के मम्मे और भी बड़े हो गए थे. क्या लग रही थीं वो यारों, अगर आप देखते, तो आपके लंड का पानी ही निकल जाता.
दीदी ने ब्लैक कलर की साड़ी और ब्लाउज भी ब्लैक कलर का ही पहना हुआ था. दीदी के ब्लाउज में से उनके आधे मम्मे दिखाई दे रहे थे.
मैंने दीदी से मिल कर उन्हें गले से लगाया तो उनके मम्मों की गर्मी मुझे महसूस हुई. दीदी ने मुझे माथे पे किस किया. फिर हम टैक्सी से घर आ गए.
मैंने देखा कि बहन का फ्लैट तो बहुत ही अच्छा था.
मैंने बहन से बोला- दीदी, आपका घर तो बहुत अच्छा है.
दीदी ने कहा- हाँ भैया, वास्तव में मुझे भी बहुत अच्छा लगता है.
इसके बाद उन्होंने मुझसे बहुत देर तक इधर उधर की बातें की. फिर मैंने उबासी सी ली तो दीदी ने मुझसे कहा- भैया तुम थक गए होगे, बाथरूम में जाकर चेंज कर लो, मैं चाय बना देती हूँ.
मैंने बोला- हाँ चाय तो मुझे पीनी है, पर मैं चाय जीजाजी के साथ पीऊंगा.
यह सुनते ही दीदी का मुँह उतर गया और बोलीं- भैया अगर तुम्हें जीजू के साथ चाय पीनी है तो एक महीने वेट करना होगा.. क्योंकि वो बिजनेस के काम से सिंगापुर गए हैं.
मैंने बोला- ओह..
दीदी ने कहा- चल जा जल्दी से फ्रेश हो जा, जब तक मुझे भी कपड़े बदलने हैं.
मैं बाथरूम में चला गया. बाथरूम में देखा तो दीदी की पिंक कलर की ब्रा और पेंटी वहां पे लटकी हुई थी. मैंने उसे छुआ तो अजीब आ अहसास हुआ, मुझे बार बार छूने का मन हो रहा था, पर मैंने अपने आप पर कंट्रोल किया और फ्रेश हो के बाहर आ गया.
फिर मैं अपने बैग से कपड़े निकालने के लिए दीदी के रूम में जाने लगा. मैंने आने के बाद बैग दीदी के बेडरूम में रखा था. इस वक्त मैंने सिर्फ़ तौलिया लपेटा हुआ था. मैं दीदी के कमरे में गया तो मैंने देखा कि दीदी अपने कपड़े चेंज कर रही थीं. उनकी पीठ दीवार की तरफ थी और वो अपनी साड़ी निकाल रही थीं.
दीदी ने साड़ी निकाल दी, मैं भी दरवाजे के पास ही खड़ा था. दीदी ने फिर अपना ब्लाउज निकाला, मैं तो देखता ही रह गया. दीदी की पीठ एकदम गोरी और सेक्सी दिख रही थी. मेरा लंड मेरे तौलिए में खड़ा हो रहा था. दीदी ने फिर अपना पेटीकोट निकाला, अब दीदी सिर्फ़ ब्रा और अंडरवियर में थीं. दीदी की गांड देखकर में पागल हो रहा था, मेरा मन तो कर रहा था कि अभी जाकर उनको पकड़ कर चोद डालूँ. पर डर भी लग रहा था.
दीदी ने फिर टी-शर्ट और शॉर्ट पहन लिया, मैं अभी भी दरवाजे पर ही खड़ा था.
मेरी बहन कपड़े पहन कर जैसे ही बाहर जाने लगीं, उन्होंने मुझे देखा और घबरा कर पूछा- तू कब से यहाँ खड़ा है?
मैंने कहा- बस अभी अभी आया.
तो उनके चेहरे पर राहत हुई. लेकिन दीदी की नज़र अचानक तौलिए पर पड़ी और उसमें से दीदी को मेरा 8 इंच का लंड फूलता हुआ नज़र आने लगा. दीदी ने शरम के मारे आँखें नीचे कर लीं और वहां से चली गईं.
मैं भी चेंज करके चाय पीने चला गया. दीदी चाय और नाश्ता टेबल पर रख कर खुद सोफे पर बैठी थीं. मैं जाकर दीदी के बगल में बैठ गया.
दीदी ने बातें शुरू की- अब बता भैया, तू तो अब बहुत बड़ा हो गया है.
शायद उनको मेरे खड़े लंड से मेरे बड़े होने का अहसास हुआ था.
मैं- हाँ दीदी, लेकिन आप भी अब बदल गई हो.
दीदी- बदल गई से क्या मतलब?
जब दीदी बात कर रही थीं, तो मैं चाय पीते पीते उनके मम्मों को देख रहा था, जो कि उनकी चुस्त टी-शर्ट में से भरपूर उभरे हुए दिख रहे थे.
दीदी ने फिर से पूछा- बता ना.. बदल गई से क्या मतलब.. और तेरा ध्यान कहाँ है?
मैं- कहीं नहीं दीदी, मेरा मतलब कि आप अभी बहुत ही मोटी हो गई हैं.
दीदी- मोटी से क्या मतलब?? अभी मैं कहाँ से मोटी दिखती हूँ??
मैं- दीदी जब आपकी शादी हुई थी तब से अब में बहुत फर्क आ गया है, तब आप मोटी नहीं थीं, लेकिन अभी आप बहुत भर गई हो.
मेरे कहने का मतलब दीदी शायद समझ गईं. मैं दीदी के मम्मों और गांड के बारे में बात कर रहा था. जीजाजी से रोज चुदने के कारण दीदी की गांड बाहर आ गई थी और उनके मम्मे भी बड़े हो गए थे.. बॉडी भरावदार हो गई थी.
दीदी को समझ आ गया तो वो शर्मा के बोलीं- हट पगले..
और हंस दीं. फिर मैं टीवी देखने लगा.
कुछ देर बाद मैंने फिर दीदी से कहा- आप वाकई भर गई हो.
दीदी अपने चुचे उठाते हुए बोलीं- तेरा मतलब क्या है?
मैंने सोचा दीदी भी गरम सी हो रही हैं तो मैंने उनको छेड़ा.
मैं- दीदी प्लीज़ एक बार देखने दो.
दीदी मदहोशी में बोलीं- क्या देखना है?
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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RE: बहन के साथ मज़ा - by neerathemall - 21-03-2022, 02:37 PM



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