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Incest जिस्म की प्यास
#14
मैं फिर से बड़बड़ाने लगी- ओह रमेश … अब अपनी दीदी को चोद दे. अब नहीं रुका जा रहा
… अपने लंड को मेरे चूत में घुसा दे … पेल दे अपने लंड को मेरी चूत में … प्लीज़
राजा … अब चोदो ना!
अब वो मेरी टांगों के बीच में आ गया और अपने लंड का सुपाड़ा मेरी चूत के मुंह पर रख
कर धक्का लगाने लगा. उसका लंड फिसल रहा था.
मैं हंस पड़ी और बोली- साले अनाड़ी … बहनचोद, चोदना आता नहीं, चला है दीदी को चोदने!
बहनचोद कहीं का!
मैंने उसका लंड पकड़ कर अपनी चूत के मुंह पर लगा दिया और कहा- चल अब देर मत कर और
अपनी दीदी को चोद चोदकर उसकी चूत की आग को ठंडा कर.
रमेश के चूतड़ों को पकड़ कर मैंने अपने हाथ से खूब जोर से दबा दिया और अपने चूतड़
उछाल कर रमेश का लंड अपनी चूत में ले लिया. रमेश का लंड पूरा का पूरा मेरी चूत में
घुस गया.

मैं मस्ती में आकर चिल्ला पड़ी- आआ … ह्हह … हाय … रमेश … मजा आ गया … लंड गया …
आह्ह … चोद अब साले … पेल दे मेरी चूत को … आईई … चोद जल्दी कुत्ते। आज सालों बाद
इतनी हसीन चुदाई हो रही है इस छिनाल चूत-रानी की. साली को लंड लेने का बहुत शौक था.
चोद दो इसको … फाड़ दो.
रमेश अब एक्शन में आ गया और मेरी चूत में लंड को पेलने लगा. मैं मस्त होने लगी.
उसका लंड बहुत मोटा था और वो मेरी चूत को दो फांकों में फाड़ रहा था. रमेश के लंड
से चुदवाते हुए मैं बिल्कुल सातवें असमान पर थी.
मैंने अपनी टांगों को उठा कर रमेश के चूतड़ों पर लॉक कर दिया और उसके कंधों को पकड़
कर उसके लण्ड के धक्कों को अपनी चूत में खाने लगी।
रमेश अपने धक्कों के साथ साथ मेरी चुन्ची को भी पी रहा था। मेरा पूरा बदन रमेश की
चुदाई से जल रहा था और मैं अपने चूतड़ उछाल उछाल कर उसका लण्ड अपनी चूत से खा रही
थी।
मैं लण्ड खा कर पूरी तरह से मस्ता गई और बोली- रमेश! आज पूरी रात तू इसी तरह मुझे
चोदता जा। तू बहुत अच्छी तरह से चोद रहा है। तेरी चुदाई से मैं और मेरी चूत बहुत
खुश हैं। मुझे नहीं मालूम था कि तू इतना अच्छा और मस्ती से चोदता है।

रमेश बोल रहा था- हाय दीदी! मैं आज पूरी रात तुमको इसी तरह चोदूंगा। तुम्हारी चूत
बहुत गर्म है, इसमें बहुत मस्ती भरी हुई है। अब यह चूत मेरी है और इसको खूब
चोदूंगा।

मैं मस्ती से पागल हो रही थी और मेरी चूत पानी छोड़ने वाली थी। रमेश अब जोर जोर से
मेरी चूत चोद रहा था। वो अब अपना लण्ड मेरी चूत से पूरा निकाल कर फिर से पूरा का
पूरा मेरी चूत में जोरों से पेल रहा था।
भाई के मोटे लंड से चुदते हुए मेरी चूत अब तक दो बार पानी छोड़ चुकी थी। मैं उसके हर
धक्के का आनन्द उठा रही थी। हम दोनों अब तक पसीने से नहा गए थे।
रमेश अब अपनी पूरी ताकत के साथ मुझे चोद रहा था और मैं सोच रही थी कि काश आज की रात
कभी खत्म ना हो। थोड़ी देर बाद रमेश चिल्लाया- आह्ह … ओह्ह … दीदी … अब मेरा लण्ड
पानी छोड़ने वाला है, अब तुम अपनी चूत से मेरे लण्ड को कस कर पकड़ो।
इतना कहने के बाद रमेश ने करीब दस-बारह धक्के और लगाये और वो मेरी चूत के अन्दर झड़
गया और मेरी चुन्चियों पर मुंह रख कर लेट गया।
उसके लण्ड ने बहुत सारा पानी छोड़ा था और अब वो पानी मेरी चूत से बाहर आ रहा था।
मैंने रमेश को कस कर अपनी बांहों में जकड़ लिया और उसका मुंह चूमने लगी. उसको चूमते
चूमते और उसके लंड को चूत में महसूस करते करते मेरी चूत ने तीसरी बार पानी छोड़
दिया।
थोड़ी देर बाद हम दोनों उठकर बाथरूम गए और अपनी चूत और लौड़े को साफ किया। रमेश का
लण्ड अभी तक सख्त था। मैं उसका लण्ड हाथ में ले कर सहलाने लगी और फिर उसके सुपाड़े
पर चुम्मा दे दिया। फिर हम दोनों नंगे ही बिस्तर पर जाकर लेट गए औए एक दूसरे के
लण्ड और चूत से खेलते रहे।

कुछ देर खेलने के बाद रमेश का लण्ड फिर से खड़ा होने लगा। उसे देख कर मैं भी मस्ती
में आ गई। मैंने उसके लण्ड का सुपारा खोल दिया। उस समय लंड का सुपारा बहुत फूला हुआ
था और चमक रहा था। मैंने झुक कर उसको अपने मुंह में ले लिया और मस्ती से चूसना शुरू
कर दिया।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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RE: जिस्म की प्यास - by neerathemall - 21-03-2022, 02:26 PM



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