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Incest जिस्म की प्यास
#13
एक झटके में रमेश का हाथ मेरी चुन्ची पर था. वो मेरी एक चुन्ची को अपने मुंह के
अन्दर लेकर चूसने लगा. मैं बहुत शराब पीने के कारण खड़ी नहीं हो पा रही थी. मैं फर्श
पर गिर पड़ी.
रमेश ने मुझको फट से पकड़ लिया और हम दोनों कार्पेट पर गिर गए. रमेश का हाथ मेरी
चुन्ची पर था और रमेश वैसे ही पड़ा रहा. अब मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा था.
मैंने धीरे से रमेश से कहा- रमेश मेरी चुन्ची तो दबाओ, खूब जोर से दबाओ, इनको अपने
मुंह में लेकर चूसो, इनसे खूब खेलो.

इतना सुनते ही रमेश मेरे ऊपर टूट पड़ा और मेरी चुंचियों से खिलवाड़ करने लगा. मैंने
अपना दाहिनी तरफ का दूध उसके मुंह पर लगा दिया और कहा- आह्ह … लो … इसे अपने मुंह
में लेकर खूब जोर से चूसो.
रमेश मेरे दूध को मुंह में लेकर चूसने लगा. मैं अपनी कामवासना में पागल हो रही थी.
मेरी चूत से पानी निकल रहा था. रमेश मेरी दोनों चुंचियों को बारी बारी से मसल रहा
था और चूस रहा था.
मैं उसकी दूध चुसाई से पागल सी हो गयी और उसका एक हाथ पकड़ कर अपनी चूत पर ले गयी.
मेरी चूत को छूते ही रमेश ने पहले मेरी चूत के मोटे मोटे उभरे हुए होंठों पर हाथ
फिराया और अपनी बीच वाली उंगली को मेरी चूत में घुसा दिया.
मेरा भाई अब मेरी चूत को अपनी उंगली से चोद रहा था. अब मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा
था. मैंने अपने दोनों हाथों से रमेश का लंड पकड़ लिया और उसको मसलने लगी.
रमेश के मुंह से सी … सी … करके सिसकारियां निकलने लगीं. मैंने भाई का लंड पकड़ कर
उसका सुपारा निकाल लिया और उस पर एक चुम्मा जड़ दिया. रमेश अब जोर जोर से मुझे अपनी
उंगली से चोद रहा था.
मैं रमेश का लंड अपने मुंह में लेकर चूसने लगी और वो अपने लंड को मेरे मुंह में जोर
जोर से ठेलने लगा. थोड़ी देर के बाद मुझको लगा कि रमेश अब झड़ जायेगा.
सिसकारते हुए मैं बोली- आह्ह रमेश … चोद … चोद … अपनी दीदी के मुंह को खूब जोर जोर
से चोद और अपना माल अपनी दीदी के मुंह में गिरा दे.

थोड़ी देर के बाद रमेश सिसकारते हुए बोला- आह्ह … दीदी … मैं झड़ रहा हूँ.
उसने अपना सारा माल मेरे मुंह में डाल दिया. मैंने उसके लंड का माल पूरा का पूरा पी
लिया.
मैंने धीरे से रमेश से पूछा- अपनी दीदी को चोदेगा? तेरे जीजा की बहुत याद आ रही है.
मेरी चूत बहुत प्यासी हो रही है.
रमेश ने मेरी दोनों चुंचियों को पकड़ कर कहा- दीदी अपनी चूत पिलाओ न? पहले दीदी की
चूत चूसूंगा, फिर जी भर कर चोदूंगा.

रमेश का लंड मैं अपने हाथों में पकड़ कर खेल रही थी.
मैंने कहा- तेरा लंड तो बहुत विशाल है रे!
उसने पूछा- आपको पसंद आया दीदी?
उसका लंड हाथ से सहलाती हुए मैं बोली- यह तो बहुत प्यारा है. किसी भी लड़की को चोद
कर मस्त कर देगा.
फिर मैं चित होकर चूतड़ों के बल लेट गयी और अपनी टांगें फैला कर बोली- ले … अपनी
दीदी की चूत को प्यार कर. जी भर कर पी ले इसे. पूरी रात पीता रह अपनी दीदी की चूत.
रमेश मेरी चूत को जीभ से चाटने लगा. वो मेरी चूत को पूरी अंदर तक चाट रहा था. कभी
कभी उसकी जीभ मेरी चूत के मटर-दाने पर भी चाटने लगती थी. कभी वो उसको दांतों में
लेकर काट देता था और मैं पागल हो जाती थी.
अपनी चूत चटाई करवाते हुए मैं बिल्कुल पागल हो गयी और बड़बड़ाने लगी- आआ … आह्हह …
मेरे राजा भैया, बहुत मजा आ रहा है. चूसो, खूब जोर से चूसो … ओह … ऊ … ओईई … ओह …
पी जा इसे।
मैं उसका सिर पकड़ कर उसके मुंह में अपनी चूत को चूतड़ उछाल उछाल कर रगड़ रही थी.
मैं उसकी चूत चटाई से बिल्कुल पागल हो गयी और रमेश के मुंह पर ही झड़ गयी.
रमेश मेरी चूत से निकला पूरा का पूरा पानी पी गया.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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RE: जिस्म की प्यास - by neerathemall - 21-03-2022, 02:25 PM



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