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Incest जिस्म की प्यास
#12
मैं एक 25 साल की खूबसूरत सेक्सी औरत हूँ. मेरा मर्द मुझसे पाँच साल बड़ा है और वो
एक उद्योगपति है. वो काम में एकदम पागल आदमी है. बिजनेस के सिवाय उसको कुछ नहीं
दिखता. उसके व्यस्त होने के कारण हम एक दूसरे के साथ बहुत कम मिल पाते हैं.


हमारा अभी तक कोई भी बच्चा नहीं हुआ है. शुरू के दो तीन साल में हम लोगों की सेक्स
लाइफ बहुत ही अच्छी थी. उसके बाद वो काम के चक्कर में बहुत फँस गया और मैंने किट्टी
पार्टी और लेडीज़ पार्टी जॉयन कर ली.

इस तरह की किट्टी पार्टी और लेडीज पार्टी में सिर्फ़ शराब व ब्लू फ़िल्म चलती थी.
औरतों में चूत चूमना और चूत चाटना खुले रूप में होता था. मुझे भी दिल बहलाने का
बहाना मिल गया था. मैं इसमें बहुत खुश थी.
एक बार होली पर मेरा पति अपने काम से बाहर गया हुआ था. मैं लेडीज किट्टी पार्टी में
चली गई. उस दिन किट्टी पार्टी में बहुत शराब पी गई और हम लोगों ने ताश भी खेले.
फिर हम औरतों ने एक हिन्दी पोर्न फ़िल्म भी देखी जो बहुत ही गर्म थी. उसके बाद हम
औरतों ने चुम्मा चुम्मा खेला और चूत चटाई भी की. यह सब रात के तीन बजे तक चलता रहा.
मैंने बहुत शराब पी ली थी और मुझे घर तक मेरी एक सहेली अपनी कार में छोड़ गई.
घर पर मेरे भाई रमेश ने सहारा देकर मुझे मेरे बेडरूम तक पहुँचाया. मैंने इतनी शराब
पी रखी थी कि मैं ठीक तरह से चल भी नहीं पा रही थी. आज मैं किट्टी पार्टी में गर्म
पोर्न मूवी देख कर बहुत ही गर्म हो गई थी.
मेरी चुन्चियाँ बहुत फड़क रही थीं और मेरी चूत से पानी निकल रहा था जिससे मेरी
पैंटी तक भीग गई थी. जैसे ही मेरा भाई मुझको सहारा देकर मेरे बेडरूम तक ले आया,
मेरा मन उसी से चूत चुदवाने का हो उठा.
मेरा भाई रमेश एक 20 साल का हट्टा कट्टा नौजवान है. मैं अपने बेडरूम में आकर एक
कुर्सी पर बैठ गई और जानबूझ कर अपना पल्लू गिरा दिया जिससे कि रमेश मेरी चुंचियों
को देख सके. मैंने उस दिन एक बहुत ही छोटा ब्लाउज पहन रखा था और उसका गला बहुत ही
लो-कट था.
रमेश का लंड मेरी चुन्ची देख कर धीरे धीरे खड़ा होने लगा और उसको देख कर मैं और
चुदासी हो गयी. मुझे लगा कि मेरा प्लान काम कर रहा है. उसकी पैंट तम्बू के जैसे
उठने लगी. मैं धीरे से मुस्कराई और मैंने हाथ से अपने बाल पीछे कर लिये.
मैं जानबूझ कर उसको अपनी चुन्ची की झलक दिखाना चाहती थी. मैं अपने कन्धों को और
पीछे ले गई जिससे कि मेरी चुन्ची और ज्यादा बाहर की तरफ़ निकल गई.
उसकी पैंट और अधिक उठने लगी और मैं मन ही मन मुस्करा रही थी. मुझे यकीन था कि मेरा
काम बन जाएगा. उसके लंड के उठाव को देख कर लग रहा था कि थोड़ी ही देर में मैं उसकी
बाँहों में होऊंगी और उसका लंड मेरी चूत अच्छी तरह से कसकर चोद रहा होगा.
मैंने अपने भाई से कहा- जाओ दो गिलास और एक स्कॉच की बोतल हमारे कमरे से ले आओ!
वो बोतल उठा लाया. एक पैग मैंने अपने लिये बनवा लिया और उसको भी पीने के लिए कहा.
वो भी शायद अपनी बहन की चुदाई का सपना देख रहा था इसलिए मेरा हर कहा मान रहा था.
वो भी मेरे सामने खड़ा होकर शराब पीने लगा और उसका लंड मैं उसकी पैंट में तना हुआ
साफ देख पा रही थी.
पूरा गिलास खाली करने के बाद मैंने अपने ब्लाउज के ऊपर से अपनी चुन्चियों को मसलना
शुरू किया. रमेश अभी भी अपने होंठों से गिलास को लगाये हुए था लेकिन उसकी नज़र मेरे
हाथों पर थी जो मेरी चुन्चियों को दबाने लगे थे.
ये देखकर उसका मुंह खुला का खुला रह गया. मैं भी उसको तड़पा कर मजा ले रही थी. मैं
उसकी पैंट की तरफ़ देख रही थी, जो अब तक बहुत ही फूल चुकी थी. मैं समझ गई कि उसका
लंड अब बिल्कुल फटने को हो गया है और वो मुझे चोदने के लिए पागल हो चुका है.
फिर मैंने ब्लाउज को खोल दिया और अपने बड़े बड़े स्तनों को उसके सामने आजाद कर
दिया. मैं अपने दोनों खरबूजों को सहलाने और मसलने लगी. रमेश मेरे आधे नंगे जिस्म को
बहुत अच्छी तरह से देख रहा था.

मैंने मादक सी आवाज में उससे पूछा- क्या हुआ रमेश, क्या देख रहे हो?
वो कुछ नहीं बोल पा रहा था. उसका चेहरा वासना और आश्चर्य से भरा हुआ था. उसके माथे
पर पसीना आ गया था.
फिर मैंने उसके लंड की ओर देखकर कहा- लगता है तुम्हारा खड़ा हो गया है. क्या तुम
इसको शांत नहीं करना चाहोगे?
मैंने अपनी साड़ी के ऊपर से अपनी चूत पर हाथ फिराते हुए कहा.
अपनी ही जुबान से निकल रही इस तरह की गन्दी बातों से मैं और ज्यादा उत्तेजित हो रही
थी. मेरी चूत उसका लंड खाने के लिए फड़फड़ाने लगी. मेरे दिमाग में बस एक ही बात घूम
रही थी कि कब रमेश का लंड मेरी चूत में घुसेगा और मुझे जोर जोर से चोदेगा.
मैं अपने कपड़ों को धीरे धीरे से खोलने लगी और यह देख कर रमेश की आँखें फैलने लगीं.
मैंने धीरे से अपनी साड़ी उतार दी. मैंने अपना पेटीकोट भी धीरे से उतार फेंका और
फिर पैंटी भी उतार डाली.
अब मैं अपने भाई रमेश के सामने बिल्कुल नंगी हो कर खड़ी हो गयी. रमेश मुझको फ़टी
आँखों से देख रहा था. मेरी बाल सफा, भीगी चूत उसकी आँखों के सामने थी और वो उसके
लंड को लीलने के लिए बेताब हो रही थी.
मैंने रमेश से धीरे से पूछा- ओह रमेश … कब तक देखते रहोगे? आओ … मेरे पास आओ, और
मुझे चोदो. देख नहीं रहे हो मैं कब से अपनी चूत खोले चुदासी हुई पड़ी हूँ? आओ, पास
आओ और अपने मोटे लंड से मेरी चूत को खूब अच्छी तरह से रगड़ कर चोदो!
मेरी इस बात को सुन कर वो हरकत में आ गया. वो मेरे सामने अपने कपड़े उतारने लगा.
उसने पहले अपनी शर्ट को उतारा. फिर उसने अपनी चड्डी भी धीरे से उतार फेंकी. चड्डी
उतारते ही उसका लंड मेरी आंखों के सामने आ गया.
उसका लंड इस समय बिल्कुल खड़ा था और चोदने को बेताब होकर झूम रहा था. मैं उसके लंड
को बड़ी बड़ी आँखों से घूर रही थी. उसका लंड मेरे पति के लंड से ज्यादा बड़ा और मोटा
था.
मैं उसका लंड देख कर घबरा गयी थी लेकिन मेरी चूत उसके लंड को खाने के लिए फड़फड़ा रही
थी. मैं अपनी कुर्सी से उठ कर उसके पास जाने लगी, लेकिन मेरे पैर लड़खड़ा गए. मैं
गिरने लगी और रमेश ने आकर मुझको अपने बदने से चिपका कर संभाल लिया.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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RE: जिस्म की प्यास - by neerathemall - 21-03-2022, 02:25 PM



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