17-03-2022, 02:19 PM
Part 2
हमारी स्मूच अभी भी जारी थी.. लेकिन उसकी तरफ से चूमने की रफ्तार धीमी हो गई थी। मैं उसके बड़े मम्मों को.. जो मेरे हाथ में भी पूरे नहीं आ रहे थे.. तब भी अपने हाथों में पूरे भर कर दबाने की कोशिश किए जा रहा था। मैं उसके अपनी तरफ वाले मम्मे को अपने लेफ्ट हैंड से मसल रहा था.. खूब दबा रहा था।
अब उसने होंठ हटाए और बहुत धीमे स्वर में ‘आहें..’ भरने लगी। मैंने आव देखा न ताव.. उसी हाथ को.. उसकी जीन्स तक ले गया.. और उसकी जीन्स में डालने लगा। उसने भी कोई आपत्ति नहीं की।
मैंने जीन्स के अन्दर से ही उसकी पैन्टी के अन्दर ही डालते ही देखा.. तो मुझे महसूस हुआ कि उसकी पैन्टी गीली हो चुकी थी। मतलब वो बहुत गरमा गई थी।
वो मेरे कान के पास आकर बोली- आह्ह.. जान.. चोद दो मेरी चूत में फिंगरिंग करो न..
उसने अपनी टाँगें चौड़ी कर लीं ताकि मैं आसानी से सब कुछ कर सकूँ।
मैंने उसकी जीन्स को थोड़ा नीचे की तरफ खिसकाया ताकि उसकी चूत को कुरेदने के लिए थोड़ी जगह बन जाए। फिर मैंने सीधे ही पहले एक उंगली डाली ही थी कि वो पगला सी गई.. और मेरे लण्ड को तेजी से दबाने.. मसलने लगी।
कुछेक मिनट तक मैंने एक उंगली से उसकी चूत की चुदाई की।
तभी वो चुदासी सी आवाज में बोली- जान.. दूसरी भी पेल दो..
मैंने झट से दूसरी उंगली भी डाल दी.. और लगा उसको चोदने..
उसने मद्धम स्वर में सीत्कार हुए कहा- जान.. आह्ह.. तेज.. और तेज करो..
मैंने स्पीड बढ़ाई.. करीब 3 से 5 मिनट लगातार फिंगरिंग की.. वो एकदम से अकड़ सी गई.. और मेरे लण्ड को तो उसने जैसे नोंच ही लिया हो..
जब तक उसका पानी नहीं निकल गया.. उसने मेरे लौड़े पर अपना अत्याचार जारी रखा।
फिर झड़ते ही उसने अपनी पकड़ ढीली कर दी.. और उसकी चूत के पानी ने मेरी दोनों उंगलियों को पूरा चिप-चिपा सा कर दिया.. मैंने हाथ निकाला और तुरंत उसके स्कार्फ़ से अपना हाथ को पोंछा।
वो अब चूत झड़ जाने से संतोष पा चुकी थी.. लेकिन मैंने उसको कान में बोला- हनी.. अब मेरी बारी..
उसने कहा- जान.. आज बहुत मजा आया.. सच्ची.. बोलो क्या करवाना है जान?
मैंने बोला- मुँह से तो चूस नहीं सकती.. हैंड-वर्क ही कर दो..
उसने अपने आगे वाली सीट्स को देखा कि कोई पीछे तो नहीं देख रहा.. जब संतुष्ट हुई.. तो उसने वही पिट्ठू बैग.. जो वो अपनी चूत पर रखे हुई थी.. मुझको दिया और धीरे से मेरे लण्ड मेरी जीन्स के बटन को और ज़िप को खोलकर बाहर निकाल लिया।
मेरी आदत है.. कि नहाने के बाद लण्ड को क्रीम जरूर लगाता हूँ और हल्की मालिश भी करता हूँ।
उसने जैसे ही जीन्स से बाहर मेरा लम्बा-मोटा सीधा लण्ड निकाला.. तो एक हल्की सी क्रीम खुश्बू आई.. जिससे महसूस करके वो पागल सी हो गई.. उसने एक बार फिर आगे देखा.. और हल्का सा नीचे झुकी और एक बार में मेरा आधा लण्ड अपने मुँह के अन्दर ‘गप्प’ से डाल लिया.. और जल्दी-जल्दी 6 से 7 बार अन्दर-बाहर किया।
इसी बीच वो उठने लगी.. तो मैंने बैग उसके ऊपर से रख लिया और उसके मुँह को अपने लण्ड के ऊपर दबा दिया। अब मैं जबरदस्ती पूरा लौड़ा उसके हलक में डालने लगा। लेकिन मेरा लण्ड लम्बा बहुत था.. तो पूरा वो कभी ले ही नहीं पाई थी.. ।
फिर उसकी सांस उखड़ी.. तो झट से अचानक ऊपर को हुई.. और मैंने महसूस किया कि उसके हल्के से आंसू आ गए थे.. उसने अपने मुँह को और मेरे लण्ड को स्कार्फ़ से पोंछा.. और अब अपने सीधे हाथ से मेरे लौड़े को तेज-तेज.. बहुत तेजी से ‘हैंडवर्क’ देने लगी। अब मैं भी आँखें बंद करके बैठ गया.. और लण्ड चुसाई का मजा लेने लगा।
दोस्तो, मुझे बहुत मजा आ रहा था.. पर इस मजे के बीच में उसकी सहेलियां कहाँ से आईं ये आपको अगले हिस्से में लिखूँगा।
हमारी स्मूच अभी भी जारी थी.. लेकिन उसकी तरफ से चूमने की रफ्तार धीमी हो गई थी। मैं उसके बड़े मम्मों को.. जो मेरे हाथ में भी पूरे नहीं आ रहे थे.. तब भी अपने हाथों में पूरे भर कर दबाने की कोशिश किए जा रहा था। मैं उसके अपनी तरफ वाले मम्मे को अपने लेफ्ट हैंड से मसल रहा था.. खूब दबा रहा था।
अब उसने होंठ हटाए और बहुत धीमे स्वर में ‘आहें..’ भरने लगी। मैंने आव देखा न ताव.. उसी हाथ को.. उसकी जीन्स तक ले गया.. और उसकी जीन्स में डालने लगा। उसने भी कोई आपत्ति नहीं की।
मैंने जीन्स के अन्दर से ही उसकी पैन्टी के अन्दर ही डालते ही देखा.. तो मुझे महसूस हुआ कि उसकी पैन्टी गीली हो चुकी थी। मतलब वो बहुत गरमा गई थी।
वो मेरे कान के पास आकर बोली- आह्ह.. जान.. चोद दो मेरी चूत में फिंगरिंग करो न..
उसने अपनी टाँगें चौड़ी कर लीं ताकि मैं आसानी से सब कुछ कर सकूँ।
मैंने उसकी जीन्स को थोड़ा नीचे की तरफ खिसकाया ताकि उसकी चूत को कुरेदने के लिए थोड़ी जगह बन जाए। फिर मैंने सीधे ही पहले एक उंगली डाली ही थी कि वो पगला सी गई.. और मेरे लण्ड को तेजी से दबाने.. मसलने लगी।
कुछेक मिनट तक मैंने एक उंगली से उसकी चूत की चुदाई की।
तभी वो चुदासी सी आवाज में बोली- जान.. दूसरी भी पेल दो..
मैंने झट से दूसरी उंगली भी डाल दी.. और लगा उसको चोदने..
उसने मद्धम स्वर में सीत्कार हुए कहा- जान.. आह्ह.. तेज.. और तेज करो..
मैंने स्पीड बढ़ाई.. करीब 3 से 5 मिनट लगातार फिंगरिंग की.. वो एकदम से अकड़ सी गई.. और मेरे लण्ड को तो उसने जैसे नोंच ही लिया हो..
जब तक उसका पानी नहीं निकल गया.. उसने मेरे लौड़े पर अपना अत्याचार जारी रखा।
फिर झड़ते ही उसने अपनी पकड़ ढीली कर दी.. और उसकी चूत के पानी ने मेरी दोनों उंगलियों को पूरा चिप-चिपा सा कर दिया.. मैंने हाथ निकाला और तुरंत उसके स्कार्फ़ से अपना हाथ को पोंछा।
वो अब चूत झड़ जाने से संतोष पा चुकी थी.. लेकिन मैंने उसको कान में बोला- हनी.. अब मेरी बारी..
उसने कहा- जान.. आज बहुत मजा आया.. सच्ची.. बोलो क्या करवाना है जान?
मैंने बोला- मुँह से तो चूस नहीं सकती.. हैंड-वर्क ही कर दो..
उसने अपने आगे वाली सीट्स को देखा कि कोई पीछे तो नहीं देख रहा.. जब संतुष्ट हुई.. तो उसने वही पिट्ठू बैग.. जो वो अपनी चूत पर रखे हुई थी.. मुझको दिया और धीरे से मेरे लण्ड मेरी जीन्स के बटन को और ज़िप को खोलकर बाहर निकाल लिया।
मेरी आदत है.. कि नहाने के बाद लण्ड को क्रीम जरूर लगाता हूँ और हल्की मालिश भी करता हूँ।
उसने जैसे ही जीन्स से बाहर मेरा लम्बा-मोटा सीधा लण्ड निकाला.. तो एक हल्की सी क्रीम खुश्बू आई.. जिससे महसूस करके वो पागल सी हो गई.. उसने एक बार फिर आगे देखा.. और हल्का सा नीचे झुकी और एक बार में मेरा आधा लण्ड अपने मुँह के अन्दर ‘गप्प’ से डाल लिया.. और जल्दी-जल्दी 6 से 7 बार अन्दर-बाहर किया।
इसी बीच वो उठने लगी.. तो मैंने बैग उसके ऊपर से रख लिया और उसके मुँह को अपने लण्ड के ऊपर दबा दिया। अब मैं जबरदस्ती पूरा लौड़ा उसके हलक में डालने लगा। लेकिन मेरा लण्ड लम्बा बहुत था.. तो पूरा वो कभी ले ही नहीं पाई थी.. ।
फिर उसकी सांस उखड़ी.. तो झट से अचानक ऊपर को हुई.. और मैंने महसूस किया कि उसके हल्के से आंसू आ गए थे.. उसने अपने मुँह को और मेरे लण्ड को स्कार्फ़ से पोंछा.. और अब अपने सीधे हाथ से मेरे लौड़े को तेज-तेज.. बहुत तेजी से ‘हैंडवर्क’ देने लगी। अब मैं भी आँखें बंद करके बैठ गया.. और लण्ड चुसाई का मजा लेने लगा।
दोस्तो, मुझे बहुत मजा आ रहा था.. पर इस मजे के बीच में उसकी सहेलियां कहाँ से आईं ये आपको अगले हिस्से में लिखूँगा।