17-03-2022, 01:06 PM
विवेक (फिर से नाराज हो कर)- अगर कभी कोई कुछ कहे तो समझना चाहिए, at least तुम दोनों अच्छे से जानती हो कि मैं तुम्हारा कोई दुश्मन नहीं हूं।
नीतिका (प्यार से)- भैया, आपकी बात बिल्कुल सही है लेकिन आप बस मेरी एक बात का दिल से जवाब दीजिए।
विवेक उसकी तरफ देख रहा था।
नीतिका (थोड़ा गंभीर हो कर)- भैया, क्या आप नहीं चाहते कि हम लोग अपने पैरों पर खड़े हों???
विवेक - तुम लोगों को क्या सच में ऐसा लगता है ???
नीतिका - नहीं भैया, अगर ऐसा लगता तो आज आपसे कोई बात कहने में मैं जरूर हिचकिचाती, लेकिन ऐसा बिलकुल भी नहीं है, आप जानते हैं।
विवेक -तो.......
नीतिका - तो भैया, आप हमें इस माहौल, इन परेशानियों से कब तक बचाएंगे??? और अगर हम अभी से ही खुद ऐसे माहौल में खुद को नहीं ढालेंगे तो कल क्या ये सब और भी ज्यादा मुश्किल नहीं होगा हमारे लिए???
विवेक चुप हो गया।
नीतिका (फिर से)- भैया मैं जानती हूं, बड़े भाई होने के नाते आप हमें बहुत सी विषम परिस्थितियों से पहले ही बचाना चाहते हैं लेकिन हम पर भी भरोसा कीजिए कि ये स्थितियां हम अच्छे से समझ और संभाल सकती हैं।
नीतिका अपनी बात पूरी कर वहां से जाने लगी कि तभी विवेक की बात पर रुक गई।
विवेक (गंभीर तौर पर)- अगर तुम चाहती हो कि भव्या भी उसी कॉलेज में जाए तो तुम्हें अपने साथ साथ उसका भी पूरा खयाल रखने का प्रॉमिस देना होगा, ताकि मैं भी निश्चिंत हो सकूं।
विवेक (फिर से)- मैं जानता हूं तुम्हारी नज़र में मैं पुराने जमाने के दादा और नाना जैसी बातें करता हुआ दिख रहा हूं, लेकिन मुझे इससे कोई फर्क नहीं पड़ता।
मैं तुम दोनों के ही स्वभाव को जानता हूं और शायद इसीलिए मैं ये बात भव्या से नहीं बल्कि तुमसे कर रहा हूं। खुल कर कहूं तो उसकी बेबाकी और उसके चंचल स्वाभाव se थोड़ा डरता हूं कि अनजाने ही में लेकिन कहीं कोई बेवकूफी ना कर बैठे।
नीतिका भी विवेक कि बातों का मतलब अच्छे से समझ रही थी तो उसने भी ज्यादा कुछ नहीं कहा और हां बोलकर वहां से चली गई। बरामदे से निकली ही थी कि भव्या ने भैया माने या नहीं और बांकी और भी ढेरों सवालों की झड़ी लगा दी।
नीतिका (हंसती हुई) - बस...... बस, हो गया मेरी मां, कितना बोलेगी, थोड़ा तो रहम कर इस बिचारी जुबान पर.......
भव्या झूठ -मूठ का मुंह बना कर नीतिका को घूरने लगी।
नीतिका (हंसती हुई) - चल नौटंकी सब समझती हूं तेरी हरकतें, चल अब कल कॉलेज जा कर फॉर्म भी भरना है जिसकी कितनी तैयारियां भी करनी हैं, बिल्कुल भी टाइम नहीं है, टाइम निकल गया तो भैया को इतने मेहनत से पटाने का कोई फायदा भी नहीं होगा, समझी।
नीतिका कह कर मुड़ते हुए अपने घर जाने लगी, तभी भव्या ने उसे प्यार जोर से पकड़ लिया।
भव्या -आइ ल्व यु आइ नो यु आर द बेस्ट(I luv u..... I know, u are the best...).?
नीतिका (धीरे से कान में)- (I know.)मुझे पता है...??
नीतिका (प्यार से)- भैया, आपकी बात बिल्कुल सही है लेकिन आप बस मेरी एक बात का दिल से जवाब दीजिए।
विवेक उसकी तरफ देख रहा था।
नीतिका (थोड़ा गंभीर हो कर)- भैया, क्या आप नहीं चाहते कि हम लोग अपने पैरों पर खड़े हों???
विवेक - तुम लोगों को क्या सच में ऐसा लगता है ???
नीतिका - नहीं भैया, अगर ऐसा लगता तो आज आपसे कोई बात कहने में मैं जरूर हिचकिचाती, लेकिन ऐसा बिलकुल भी नहीं है, आप जानते हैं।
विवेक -तो.......
नीतिका - तो भैया, आप हमें इस माहौल, इन परेशानियों से कब तक बचाएंगे??? और अगर हम अभी से ही खुद ऐसे माहौल में खुद को नहीं ढालेंगे तो कल क्या ये सब और भी ज्यादा मुश्किल नहीं होगा हमारे लिए???
विवेक चुप हो गया।
नीतिका (फिर से)- भैया मैं जानती हूं, बड़े भाई होने के नाते आप हमें बहुत सी विषम परिस्थितियों से पहले ही बचाना चाहते हैं लेकिन हम पर भी भरोसा कीजिए कि ये स्थितियां हम अच्छे से समझ और संभाल सकती हैं।
नीतिका अपनी बात पूरी कर वहां से जाने लगी कि तभी विवेक की बात पर रुक गई।
विवेक (गंभीर तौर पर)- अगर तुम चाहती हो कि भव्या भी उसी कॉलेज में जाए तो तुम्हें अपने साथ साथ उसका भी पूरा खयाल रखने का प्रॉमिस देना होगा, ताकि मैं भी निश्चिंत हो सकूं।
विवेक (फिर से)- मैं जानता हूं तुम्हारी नज़र में मैं पुराने जमाने के दादा और नाना जैसी बातें करता हुआ दिख रहा हूं, लेकिन मुझे इससे कोई फर्क नहीं पड़ता।
मैं तुम दोनों के ही स्वभाव को जानता हूं और शायद इसीलिए मैं ये बात भव्या से नहीं बल्कि तुमसे कर रहा हूं। खुल कर कहूं तो उसकी बेबाकी और उसके चंचल स्वाभाव se थोड़ा डरता हूं कि अनजाने ही में लेकिन कहीं कोई बेवकूफी ना कर बैठे।
नीतिका भी विवेक कि बातों का मतलब अच्छे से समझ रही थी तो उसने भी ज्यादा कुछ नहीं कहा और हां बोलकर वहां से चली गई। बरामदे से निकली ही थी कि भव्या ने भैया माने या नहीं और बांकी और भी ढेरों सवालों की झड़ी लगा दी।
नीतिका (हंसती हुई) - बस...... बस, हो गया मेरी मां, कितना बोलेगी, थोड़ा तो रहम कर इस बिचारी जुबान पर.......
भव्या झूठ -मूठ का मुंह बना कर नीतिका को घूरने लगी।
नीतिका (हंसती हुई) - चल नौटंकी सब समझती हूं तेरी हरकतें, चल अब कल कॉलेज जा कर फॉर्म भी भरना है जिसकी कितनी तैयारियां भी करनी हैं, बिल्कुल भी टाइम नहीं है, टाइम निकल गया तो भैया को इतने मेहनत से पटाने का कोई फायदा भी नहीं होगा, समझी।
नीतिका कह कर मुड़ते हुए अपने घर जाने लगी, तभी भव्या ने उसे प्यार जोर से पकड़ लिया।
भव्या -आइ ल्व यु आइ नो यु आर द बेस्ट(I luv u..... I know, u are the best...).?
नीतिका (धीरे से कान में)- (I know.)मुझे पता है...??
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.