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Incest दीदी की ससुराल
#44
फिर मैंने झट से उसे लेटाया और उसके सुंदर भूरे बूब्स को मसलने लगा.. तो वो मोन करने लगी आअहह विराज कुछ करो.. विराज जल्दी करो और सहा नहीं जाता. तो मैं धीरे धीरे उसके पैरों तक पहुंच गया और चूमने चाटने लगा. फिर धीर धीरे साड़ी को उठाता गया और किस करता रहा और देर ना करते हुए मैंने साड़ी को उसकी कमर तक उठा दिया और पेटिकोट, साड़ी को निकाल कर फेंक दिया.. वो क्या गजब लग रही थी.. मुझे मेरी आँखों पर तो यकीन ही नहीं हो रहा था.. उसकी पेंटी पहले से ही पूरी भीगी हुई थी शायद उसने पानी छोड़ दिया हो और वो बहुत शरमा रही थी और वो अपने दोनों हाथों से उसकी पेंटी को छुपा रही थी. फिर मैंने उसके हाथों को चूमा और अपनी जगह से हटा दिया
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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RE: दीदी की ससुराल - by neerathemall - 16-03-2022, 01:00 PM



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