15-03-2022, 10:53 AM
(This post was last modified: 15-03-2022, 10:54 AM by Hot_Guy. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
PART-5
शिवानी एक खाली शीशी लेकर आयी और विवेक को देते हुए कहने लगी : मैं आपकी बात समझी नहीं-आप कह रहे हैं कि मूड बनाओ-मूड कैसे बनाते हैं ?
विवेक : तुम तो यार शहर की पढ़ी लिखी मॉडर्न लड़की हो और इतना भी नहीं जानतीं कि पति का मूड कैसे बनाया जाता है -चलो मैं तुम्हे बताता हूँ-फटाफट अपने कपडे उतारो और मेरे सामने आकर खड़ी हो जाओ
विवेक इस समय एक बनियान और बॉक्सर अंडरवियर पहने सोफे पर अपनी टाँगे फैलाकर बैठा हुआ था
शिवानी को अभी भी कुछ समझ नहीं आ रहा था लेकिन उसने अपने कपडे उतारने शुरू कर दिए-उसने इस समय फ्रंट ज़िप वाला गाउन पहना हुआ था. उसने गाउन की ज़िप नीचे खिसकाई और धीरे धीरे उसे अपने बदन से अलग करके साइड में रख दिया-अब उसके बदन पर सिर्फ ब्रा और पैंटी बची थी.
विवेक ने शिवानी को देखकर अंडरवियर के अंदर अपने लण्ड पर हाथ फिराया और बोला : ब्रा और पैंटी भी उतारो-पूरी तरह नंगी हो जाओ
शिवानी थोड़ी हैरान थी क्योंकि विवेक जिस तरह से आज व्यवहार कर रहा था, वह उसने पहले कभी नहीं किया था लेकिन क्योंकि वह उसका पति था शिवानी ने बिना कुछ ज्यादा सोचे समझे अपनी ब्रा और पैंटी भी उतार फेंकी और विवेक के पास जाकर खड़ी हो गयी
बिना किसी भूमिका के विवेक उससे बोला : जल्दी से नीचे घुटनों के बल बैठो और मेरे लण्ड को अपने मुंह में लेकर उसे खड़ा करो
यह कहकर विवेक ने अपने अंडरवियर में से अपने लण्ड को बहार निकल लिया जो इस समय लगभग शिथिल अवस्था में था
शिवानी एकदम स्तब्ध थी. उसने पहले कभी किसी का लण्ड अपने मुंह में नहीं लिया था और विवेक भी आज उससे पहली बार ही उसका लण्ड मुंह में लेने के लिए कह रहा था.
शिवानी : क्या यह जरूरी है जी ? मैंने पहले कभी किसी का लण्ड अपने मुंह में नहीं लिया है -मुझे यह अच्छा भी नहीं लगता है
विवेक (कड़क आवाज़ में ) : तुम्हे क्या अच्छा लगता है क्या नहीं लगता है-उसका कोई मतलब नहीं है- अगर मैं कह रहा हूँ तो तुम्हे मेरा हुक्म मानना ही होगा. चलो अब जल्दी से अपना मुंह खोलो और जो मैं कहता हूँ वह करती जाओ
शिवानी अब बेबस थी. वह विवेक की टांगों के बीच में घुटन के बल बैठ गयी और उसके लण्ड को अपने हाथों में लेकर उस पर हाथ फिराने लगी -जैसे ही उसने विवेक के लण्ड पर अपना हाथ फिराना शुरू किया, उसका साइज बढ़ने लगा और वह कड़क भी होने लगा
विवेक : जल्दी से इसे अपने मुंह में लो और इसे अपनी जीभ और होंठों से सहलाओ
शिवानी ने उसके लण्ड को अपने मुंह में ले लिया और अपनी जीभ को उसके लण्ड के इर्द गिर्द घुमाकर उसकी मालिश करने लगी
विवेक को अब मुख मैथुन का मज़ा आने लगा और उसका लण्ड भी उसके मुंह में एकदम कड़क होकर काफी लम्बा हो गया था
अपने लण्ड को उसके मुंह में अंदर बाहर करते हुए विवेक शिवानी के दोनों गालों पर बीच बीच में हल्के हल्के चपत भी मारता जा रहा था क्योंकि ऐसा करने पर उसे कुछ ज्यादा ही मज़ा आ रहा था.
जब विवेक को लगा कि उसके लण्ड की पिचकारी अब छूटने वाली है तो उसने लण्ड को उसके मुंह से बाहर निकाल लिया और अपने लण्ड की पिचकारी को खाली शीशी के अंदर छोड़ दिया. अब खाली शीशी उसके वीर्य से पूरी तरह भर गयी थी. शीशी को बंद करके उसने एक तरफ रख दिया और शिवानी से बोला : अब अपनी जीभ से मेरे लण्ड को साफ़ करो
शिवानी अपनी जीभ से सहला सहला कर उसके लण्ड को चाट चाट कर साफ़ करने लगी और शिवानी की इस मालिश से विवेक का लण्ड एक बार फिर से कड़क हो गया और वह बोला : जाओ अब बिस्तर पर जाकर लेटो. तुम्हारे साथ बाकी के मज़े अब बेड पर ही लिए जाएंगे.
शिवानी बिस्तर पर जाकर सीधी लेट गयी -वह पूरी तरह निर्वस्त्र थी. विवेक बिस्तर पर आया और उसके मम्मों को दबाने-सहलाने लगा -उसके हाथ सरकते हुए उसके चिकने समतल पेट पर आये और फिर उसने शिवानी के चिकने योनि प्रदेश पर अपना हाथ फिराते हुए उससे कहा : टाँगे खोलो
शिवानी ने जैसे ही अपनी टाँगे खोलीं, विवेक ने अपने खड़े लण्ड को उसकी योनि में डाल दिया और शिवानी के खूबसूरत बदन को अपने बदन के नीचे दबाते हुए उसकी तबियत से चुदाई करने लगा.
इसी तरह मौज़ मस्ती करते करते दोनों को कब नींद आ गयी, इसका उन्हें तब पता चला, जब सुबह 4 बजे अलार्म की घंटी बजने लगी
दोनों फटाफट उठकर विवेक के लखनऊ जाने की तैयारी करने लगे क्योंकि उसे हर हाल में 5 बजे निकलना था और 6 बजे की लखनऊ की ट्रेन पकड़नी थी.
शेष अगले भाग में
शिवानी एक खाली शीशी लेकर आयी और विवेक को देते हुए कहने लगी : मैं आपकी बात समझी नहीं-आप कह रहे हैं कि मूड बनाओ-मूड कैसे बनाते हैं ?
विवेक : तुम तो यार शहर की पढ़ी लिखी मॉडर्न लड़की हो और इतना भी नहीं जानतीं कि पति का मूड कैसे बनाया जाता है -चलो मैं तुम्हे बताता हूँ-फटाफट अपने कपडे उतारो और मेरे सामने आकर खड़ी हो जाओ
विवेक इस समय एक बनियान और बॉक्सर अंडरवियर पहने सोफे पर अपनी टाँगे फैलाकर बैठा हुआ था
शिवानी को अभी भी कुछ समझ नहीं आ रहा था लेकिन उसने अपने कपडे उतारने शुरू कर दिए-उसने इस समय फ्रंट ज़िप वाला गाउन पहना हुआ था. उसने गाउन की ज़िप नीचे खिसकाई और धीरे धीरे उसे अपने बदन से अलग करके साइड में रख दिया-अब उसके बदन पर सिर्फ ब्रा और पैंटी बची थी.
विवेक ने शिवानी को देखकर अंडरवियर के अंदर अपने लण्ड पर हाथ फिराया और बोला : ब्रा और पैंटी भी उतारो-पूरी तरह नंगी हो जाओ
शिवानी थोड़ी हैरान थी क्योंकि विवेक जिस तरह से आज व्यवहार कर रहा था, वह उसने पहले कभी नहीं किया था लेकिन क्योंकि वह उसका पति था शिवानी ने बिना कुछ ज्यादा सोचे समझे अपनी ब्रा और पैंटी भी उतार फेंकी और विवेक के पास जाकर खड़ी हो गयी
बिना किसी भूमिका के विवेक उससे बोला : जल्दी से नीचे घुटनों के बल बैठो और मेरे लण्ड को अपने मुंह में लेकर उसे खड़ा करो
यह कहकर विवेक ने अपने अंडरवियर में से अपने लण्ड को बहार निकल लिया जो इस समय लगभग शिथिल अवस्था में था
शिवानी एकदम स्तब्ध थी. उसने पहले कभी किसी का लण्ड अपने मुंह में नहीं लिया था और विवेक भी आज उससे पहली बार ही उसका लण्ड मुंह में लेने के लिए कह रहा था.
शिवानी : क्या यह जरूरी है जी ? मैंने पहले कभी किसी का लण्ड अपने मुंह में नहीं लिया है -मुझे यह अच्छा भी नहीं लगता है
विवेक (कड़क आवाज़ में ) : तुम्हे क्या अच्छा लगता है क्या नहीं लगता है-उसका कोई मतलब नहीं है- अगर मैं कह रहा हूँ तो तुम्हे मेरा हुक्म मानना ही होगा. चलो अब जल्दी से अपना मुंह खोलो और जो मैं कहता हूँ वह करती जाओ
शिवानी अब बेबस थी. वह विवेक की टांगों के बीच में घुटन के बल बैठ गयी और उसके लण्ड को अपने हाथों में लेकर उस पर हाथ फिराने लगी -जैसे ही उसने विवेक के लण्ड पर अपना हाथ फिराना शुरू किया, उसका साइज बढ़ने लगा और वह कड़क भी होने लगा
विवेक : जल्दी से इसे अपने मुंह में लो और इसे अपनी जीभ और होंठों से सहलाओ
शिवानी ने उसके लण्ड को अपने मुंह में ले लिया और अपनी जीभ को उसके लण्ड के इर्द गिर्द घुमाकर उसकी मालिश करने लगी
विवेक को अब मुख मैथुन का मज़ा आने लगा और उसका लण्ड भी उसके मुंह में एकदम कड़क होकर काफी लम्बा हो गया था
अपने लण्ड को उसके मुंह में अंदर बाहर करते हुए विवेक शिवानी के दोनों गालों पर बीच बीच में हल्के हल्के चपत भी मारता जा रहा था क्योंकि ऐसा करने पर उसे कुछ ज्यादा ही मज़ा आ रहा था.
जब विवेक को लगा कि उसके लण्ड की पिचकारी अब छूटने वाली है तो उसने लण्ड को उसके मुंह से बाहर निकाल लिया और अपने लण्ड की पिचकारी को खाली शीशी के अंदर छोड़ दिया. अब खाली शीशी उसके वीर्य से पूरी तरह भर गयी थी. शीशी को बंद करके उसने एक तरफ रख दिया और शिवानी से बोला : अब अपनी जीभ से मेरे लण्ड को साफ़ करो
शिवानी अपनी जीभ से सहला सहला कर उसके लण्ड को चाट चाट कर साफ़ करने लगी और शिवानी की इस मालिश से विवेक का लण्ड एक बार फिर से कड़क हो गया और वह बोला : जाओ अब बिस्तर पर जाकर लेटो. तुम्हारे साथ बाकी के मज़े अब बेड पर ही लिए जाएंगे.
शिवानी बिस्तर पर जाकर सीधी लेट गयी -वह पूरी तरह निर्वस्त्र थी. विवेक बिस्तर पर आया और उसके मम्मों को दबाने-सहलाने लगा -उसके हाथ सरकते हुए उसके चिकने समतल पेट पर आये और फिर उसने शिवानी के चिकने योनि प्रदेश पर अपना हाथ फिराते हुए उससे कहा : टाँगे खोलो
शिवानी ने जैसे ही अपनी टाँगे खोलीं, विवेक ने अपने खड़े लण्ड को उसकी योनि में डाल दिया और शिवानी के खूबसूरत बदन को अपने बदन के नीचे दबाते हुए उसकी तबियत से चुदाई करने लगा.
इसी तरह मौज़ मस्ती करते करते दोनों को कब नींद आ गयी, इसका उन्हें तब पता चला, जब सुबह 4 बजे अलार्म की घंटी बजने लगी
दोनों फटाफट उठकर विवेक के लखनऊ जाने की तैयारी करने लगे क्योंकि उसे हर हाल में 5 बजे निकलना था और 6 बजे की लखनऊ की ट्रेन पकड़नी थी.
शेष अगले भाग में
to my Thread containing Sex stories based on Humiliation, Blackmail & BDSM
हम भी दरिया हैं हमें अपना हुनर मालूम है
जिस तरफ जाएंगे खुद रास्ता बन जाएगा
हम भी दरिया हैं हमें अपना हुनर मालूम है
जिस तरफ जाएंगे खुद रास्ता बन जाएगा