13-03-2022, 10:33 PM
होंठो का रसपान कर अभिषेक शालिनी के निप्पल को चूसने लगा। एक हाथ की उंगली को उसके एक निप्पल पर रगड़ रहा था तो अपने जीभ को दूसरे निप्पल पर। नितम्बों की गोलाई नाप कर दूसरे हाथ की उंगली नितम्बों के बीच की दरार के रास्ते चलती हुई जांघों के बीच आ कर शालिनी की चूत टटोल रही थी। मदमस्त शालिनी ने अपना टांग फैला कर चूत तक के मार्ग को सुगम किया और दोनों हाथों से अभिषेक के सिर को पकड़ कर अपने छाती पर दबाने लगी।
बारी बारी से दोनों चूचियों का स्तनपान करने के बाद उसने शालिनी की पैंटी को नीचे सरका दिया और उसे उठा कर पूल के किनारे बिठा दिया। शालिनी के पैंटी को उसके टांगों से खींचने के बाद उसने दोनों हाथों से टांगों को फैला दिया। शालिनी केहुनी के सहारे पीछे झुक गई। अभिषेक हल्के हाथों से उंगलियों को शालिनी की जांघों पर चलाने लगा। जांघों के आंतरिक हिस्सों पर निरुद्देश्य आवारा की तरह उंगली को इधर उधर ले जाता हुआ बिल्कुल मंद गति से वो चूत की तरफ खिसक रहा था जैसे उसे चुदाई की कोई जल्दी न हो। ये शालिनी के लिए कुछ नया था। शालिनी का अप्सरा जैसा रूप और उत्तेजक शरीर देख कर मर्द स्वयं पर से नियंत्रण खो देते और कुछ देर के फोरप्ले के बाद चुदाई में लग जाते। मनीष भी यही करता, शादी से पहले के उसके दोनो बॉयफ्रेंड भी यही करते। पर अभिषेक उसकी चूत देख कर भी संयमित है।
शालिनी चूत पर अभिषेक का स्पर्श पाने के लिए बेचैन हुई जा रही थी और वो कमीना उंगली से उसकी चूत की परिक्रमा कर रहा था। चूत के चारों तरफ घेरा बनाते हुए वो धीरे धीरे घेरे के व्यास को कम करता जा रहा था। जैसे जैसे उंगली चूत के पास जा रही थी शालिनी की बेताबी बढ़ती जा रही थी। उसके चूत से गीलेपन की धारा बहने लगी थी। जैसे ही शालिनी को लगा कि अब अभिषेक उसकी चूत को छुएगा अभिषेक ने चूत के पास से अपने हाथ हटा लिए। उफ्फ! ये आदमी मुझे पागल कर देगा। शालिनी से बर्दाश्त नहीं हो रहा था। शालिनी पूरी तरह लेट गई और अपने चूचियों को मसलने लगी। अभिषेक उसके पैर को चूम रहा था। जीभ निकाल कर उसके पैरों को चाटते हुए ऊपर की तरफ स्लो मोशन में बढ़ रहा था। शालिनी चुदाई के लिए बिन जल मछली की तरह तड़प रही थी। संभोग के लिए व्याकुल शालिनी ने अपना एक हाथ बढ़ा कर अपनी चूत पर रख दिया। पर जालिम अभिषेक ने उसके हाथ को चूत पर से हटा दिया, मानो उसे कह रहा हो "ये चूत मेरी सम्पत्ति है, मेरे अलावा इस कोई छु तक नहीं सकता।"
बारी बारी से दोनों चूचियों का स्तनपान करने के बाद उसने शालिनी की पैंटी को नीचे सरका दिया और उसे उठा कर पूल के किनारे बिठा दिया। शालिनी के पैंटी को उसके टांगों से खींचने के बाद उसने दोनों हाथों से टांगों को फैला दिया। शालिनी केहुनी के सहारे पीछे झुक गई। अभिषेक हल्के हाथों से उंगलियों को शालिनी की जांघों पर चलाने लगा। जांघों के आंतरिक हिस्सों पर निरुद्देश्य आवारा की तरह उंगली को इधर उधर ले जाता हुआ बिल्कुल मंद गति से वो चूत की तरफ खिसक रहा था जैसे उसे चुदाई की कोई जल्दी न हो। ये शालिनी के लिए कुछ नया था। शालिनी का अप्सरा जैसा रूप और उत्तेजक शरीर देख कर मर्द स्वयं पर से नियंत्रण खो देते और कुछ देर के फोरप्ले के बाद चुदाई में लग जाते। मनीष भी यही करता, शादी से पहले के उसके दोनो बॉयफ्रेंड भी यही करते। पर अभिषेक उसकी चूत देख कर भी संयमित है।
शालिनी चूत पर अभिषेक का स्पर्श पाने के लिए बेचैन हुई जा रही थी और वो कमीना उंगली से उसकी चूत की परिक्रमा कर रहा था। चूत के चारों तरफ घेरा बनाते हुए वो धीरे धीरे घेरे के व्यास को कम करता जा रहा था। जैसे जैसे उंगली चूत के पास जा रही थी शालिनी की बेताबी बढ़ती जा रही थी। उसके चूत से गीलेपन की धारा बहने लगी थी। जैसे ही शालिनी को लगा कि अब अभिषेक उसकी चूत को छुएगा अभिषेक ने चूत के पास से अपने हाथ हटा लिए। उफ्फ! ये आदमी मुझे पागल कर देगा। शालिनी से बर्दाश्त नहीं हो रहा था। शालिनी पूरी तरह लेट गई और अपने चूचियों को मसलने लगी। अभिषेक उसके पैर को चूम रहा था। जीभ निकाल कर उसके पैरों को चाटते हुए ऊपर की तरफ स्लो मोशन में बढ़ रहा था। शालिनी चुदाई के लिए बिन जल मछली की तरह तड़प रही थी। संभोग के लिए व्याकुल शालिनी ने अपना एक हाथ बढ़ा कर अपनी चूत पर रख दिया। पर जालिम अभिषेक ने उसके हाथ को चूत पर से हटा दिया, मानो उसे कह रहा हो "ये चूत मेरी सम्पत्ति है, मेरे अलावा इस कोई छु तक नहीं सकता।"