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Adultery मस्तराम के मस्त किस्से
अभिषेक की उंगली रीढ़ के रास्ते नीचे की ओर बढ़ने लगी। पर सम्मुख दो लज़ीज़, तंदरुस्त, गुंबद जैसे गोल उरोज को देख कर कैसे इन्सान के मुंह से लार नहीं टपकेगा? अभिषक दूसरे हाथ के हथेली से शालिनी के निप्पल पर धीरे धीरे धीरे रगड़ रहा था। जैसे भरी हुई टूथपेस्ट के ट्यूब पर आप कहीं भी दबाव दें उसके मुंह से पेस्ट बहने लगता है उसी प्रकार अभिषेक शालिनी के बदन पर कहीं भी दबाव देता तो उसकी चूत रिसने लगती। निप्पल तो उसके शरीर के सबसे संवेदनील अंगों में से था। अभिषेक शालिनी के कमर को दबा कर उसे और पास ले आया। अब शालिनी की सांसे, उसकी धड़कने उसकी एक भी फरियाद सुनने को तैयार नहीं थे। सबने विद्रोह का ऐलान कर दिया था। शालिनी के तन, बदन और मन में अराजकता थी, इंकलाब था। अभिषेक ने दोनों नितम्बों के बीच की गहराई के रास्ते उंगली को पैंटी के अंदर घुसाया तो दूसरे हाथ को उसने शालिनी के स्तन पर स्थापित कर दिया। अब केवल हथेली निप्पल के शीर्ष को नहीं छू रहा था बल्कि पूरा हाथ स्तन के संपर्क में था। शालिनी अभिषेक को बाहों में लेकर उससे चिपक जाना चाहती थी, उसके बदन पर अपने जिस्म को मसलना चाहती थी। पर वो अधीर, व्याकुल, कामवासना से परिपूर्ण स्तब्ध खड़ी थी, खुद पर नियंत्रण रखने का अथक प्रयास करते हुए। पर उसे एहसास होने लगा था कि अपने शराफत के क़िला की हिफाज़त वो बहुत देर तक नहीं कर पाएगी। उसके संस्कार की दीवारें हिलने लगी थी, सभ्यता का पट टूट चुका था और पतिव्रता धर्म का प्राचीर अभिषेक के लगातार हमले से क्षतिग्रस्त हो ढ़हने लगा था। अभिषेक क़िला फतह करने वाला था और शालिनी आत्मसमर्पण।

उंगली के बाद अब पूरा हाथ पैंटी के अंदर घुस चुका था। पहले तो अभिषेक ने अपने हाथ से आहिस्ते आहिस्ते छू कर गांड की गोलाई का सर्वेक्षण किया फिर संयोजित तरीके से एक साथ नितम्ब और स्तन को दबोच कर शालिनी को अपने बदन से चिपका लिया। किले को दीवारें अब ताश के पत्तों की तरह बिखरने लगीं थीं। उसने जीभ निकाल कर शालिनी के गुलाबी गाल को चाटा। शालिनी हथियार डालने के लिए तैयार हो गई थी। उसके चेहरे पर घूमता हुआ जीभ जब शालिनी के होंठों तक पहुंचा, क़िला ढह चुका था, शालिनी ने आत्मसमर्पण कर दिया। मुंह खोल कर अभिषेक के जीभ का स्वागत किया और अपना एक हाथ अभिषेक के कंधे पर तो दूसरा उसके सिर के पीछे रख कर अपने बदन को उसके बदन पर दबाने लगी। जीभ मुंह के अंदर डाल कर अभिषेक त्रिसुत्री कार्यक्रम में लग गया। एक हाथ से शालिनी के नितम्ब को मसल रहा था तो दूसरे हाथ से स्तन को, मुंह के अंदर जीभ से शालिनी के जीभ को मसलता हुआ उसके होंठों को चूस रहा था। शालिनी अभिषेक से ऐसे चिपकी जा रही थी मानो उसके शरीर में समा जाना चाहती हो।
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RE: मस्तराम के मस्त किस्से - by modern.mastram - 12-03-2022, 10:54 PM



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