10-03-2022, 09:46 PM
"शालिनी जी, प्लीज़! आप इतनी भी भोली मत बनिए। ये मत कहिए कि आप नहीं जानती कि केवल ब्रा और पैंटी में मेरे साथ पूल में क्या कर रही हैं?" अभिषेक के बात में अब भी वही विनम्रता थी। उसने अपने हाथ को आगे बढ़ा कर शालिनी के स्तन पर रख दिया था।
शालिनी ने अभिषेक का हाथ पकड़ लिया "इस बात की क्या गारंटी है कि तुम ये सब करने के बाद वीडियो को इंटरनेट पर नहीं डालोगे?"
"गारंटी तो कोई नहीं है मैडम। पर आप खुद सोचो। क्या आपको लगता है कि आप पहली औरत हो जिसके साथ ये हो रहा है? अगर मैंने पहले किसी औरत की वीडियो डाली होती तो सिक्युरिटी में कंप्लेन ज़रूर हुआ होता। और अगर कंप्लेन हुआ होता तो मेरी बात छोड़ो, ये रिजॉर्ट बंद हो चुका होता।" अभिषक शालिनी के सुडौल स्तन को धीमे धीमे मसल रहा था।
शालिनी ने कुछ कहा नहीं पर उसने अभिषेक का हाथ छोड़ दिया था। अभिषेक ने अपनी उंगली से शालिनी के ब्रा के एक स्ट्रैप को शालिनी के कंधे से सरका दिया। फिर मुस्कुराता हुआ अपने दाएं हाथ की तर्जनी से आहिस्ता आहिस्ता शालिनी के ललाट को छुआ। ललाट से उंगली नाक के रास्ते होंठों तक पहुंची। बड़ी इत्मीनान से, बिना किसी हड़बड़ी के, पूरे संयम, पूरे नज़ाकत के साथ मादक अंदाज़ में अभिषेक अपनी उंगली से अभिषेक शालिनी के चेहरे को सहला रहा था। शालिनी को आज तक किसी ने ऐसे नहीं छुआ था। उसके निप्पल उभरने लगे। उसकी चूचियां विद्रोह कर ब्रा से बाहर आने को लालायित हो रहे थे। उसकी चूत पानी में भी दहकने लगी थी। शालिनी अपने सांस की गति को नियंत्रित करने का प्रयास करती तो धड़कने लय छोड़ देती, धड़कनों पर ध्यान देती दो सांसे बहक जाती। शालिनी ने जिस कामुक कन्या को अपने अंदर छिपा कर रखा था वो बंधनों को तोड़ स्वतंत्र होने के लिए संग्राम कर रही थी। शालिनी के शराफत का साम्राज्य बिखरने लगा था।
शालिनी ने अभिषेक का हाथ पकड़ लिया "इस बात की क्या गारंटी है कि तुम ये सब करने के बाद वीडियो को इंटरनेट पर नहीं डालोगे?"
"गारंटी तो कोई नहीं है मैडम। पर आप खुद सोचो। क्या आपको लगता है कि आप पहली औरत हो जिसके साथ ये हो रहा है? अगर मैंने पहले किसी औरत की वीडियो डाली होती तो सिक्युरिटी में कंप्लेन ज़रूर हुआ होता। और अगर कंप्लेन हुआ होता तो मेरी बात छोड़ो, ये रिजॉर्ट बंद हो चुका होता।" अभिषक शालिनी के सुडौल स्तन को धीमे धीमे मसल रहा था।
शालिनी ने कुछ कहा नहीं पर उसने अभिषेक का हाथ छोड़ दिया था। अभिषेक ने अपनी उंगली से शालिनी के ब्रा के एक स्ट्रैप को शालिनी के कंधे से सरका दिया। फिर मुस्कुराता हुआ अपने दाएं हाथ की तर्जनी से आहिस्ता आहिस्ता शालिनी के ललाट को छुआ। ललाट से उंगली नाक के रास्ते होंठों तक पहुंची। बड़ी इत्मीनान से, बिना किसी हड़बड़ी के, पूरे संयम, पूरे नज़ाकत के साथ मादक अंदाज़ में अभिषेक अपनी उंगली से अभिषेक शालिनी के चेहरे को सहला रहा था। शालिनी को आज तक किसी ने ऐसे नहीं छुआ था। उसके निप्पल उभरने लगे। उसकी चूचियां विद्रोह कर ब्रा से बाहर आने को लालायित हो रहे थे। उसकी चूत पानी में भी दहकने लगी थी। शालिनी अपने सांस की गति को नियंत्रित करने का प्रयास करती तो धड़कने लय छोड़ देती, धड़कनों पर ध्यान देती दो सांसे बहक जाती। शालिनी ने जिस कामुक कन्या को अपने अंदर छिपा कर रखा था वो बंधनों को तोड़ स्वतंत्र होने के लिए संग्राम कर रही थी। शालिनी के शराफत का साम्राज्य बिखरने लगा था।