10-03-2022, 04:41 PM
(This post was last modified: 10-03-2022, 05:08 PM by neerathemall. Edited 3 times in total. Edited 3 times in total.)
मैंने उन्हें पीछे से पकड़ लिया।
‘क्या कर रहे हो?’
‘प्यार! अभी आपने कहा ना कि सुरेखा को मिस कर रहे हो? मैं उसे नहीं आपको मिस करता हूँ भाभी!’
वो मुझसे छुटने की कोशिश करने लगी.. मेरा हाथ उनकी चूचियों पर पहुँच गया.. मैंने उनके गर्दन पर पीछे चूम लिया।
‘अखिलेश…!!! प्लीज़… यह गलत है!’
‘क्या गलत है भाभी?’
‘मैं सुरेखा की भाभी हूँ!’
‘तो क्या हुआ.. आप इतनी हसीं हो कि मेरा दिल मचल गया है आपके लिये!’
मैंने हाथों से उनकी चूचियाँ और जोर से दबाई।
‘नहींई कर…ओ… आआह्ह धीईरे…’
मेरा लौड़ा पूरा अकड़ कर उनके चूतड़ों में जैसे घुसा जा रहा था।
अमिता बोल रही थी- नहीं…ई…ई…
मैंने हाथों से उनकी चूची और जोर से दबाई।
‘आआह्ह… ह्ह्ह… धीरे…’
यह सुन कर मैं समझ गया कि भाभी चुदवाना तो चाहती हैं लेकिन नखरे कर रही हैं।
मेरा लंड पूरा खड़ा होकर उनकी गांड में घुसा जा रहा था।
अब वो भी अपनी गांड मेरे लंड पर दबा रही थी, मैंने उनकी कमीज़ के अंदर पीछे से हाथ डाल दिया.. नरम पीठ से होता हुआ मेरा हाथ सीधे ब्रा के हूक पर गया, मैंने उसे जोर से खींचा, वो टूट गया।
‘क्या कर रहे हो?’
‘आप प्यार से नहीं करने दे रही हैं।’
‘क्या नहीं करने दे रही हूँ??’
और वो घूम गई, मैंने इस मौक़े पर एकदम उनका चेहरा पास लाया और उनके रसीले लाल होंटों पर अपने होंठ चिपका दिये।
पहले तो वो मुँह इधर उधर करने लगी.. फ़िर थोड़ी देर बाद मेर होंठों को जगह मिल गई…![[Image: ?u=https%3A%2F%2Ftse1.mm.bing.net%2Fth%3...%3DApi&f=1]](https://external-content.duckduckgo.com/iu/?u=https%3A%2F%2Ftse1.mm.bing.net%2Fth%3Fid%3DOIP.tupazTQpBeimhrl5J_dKsAHaFB%26pid%3DApi&f=1)
वो लम्बा चुम्बन.. गीला… ऊओह.. और भाभी मुझसे दूर हटने लगी.. मैंने फ़िर भी नहीं छोड़ा, उन्हें और अब उनके चूतड़ जोर से पकड़ कर खींचा.. मेरा लंड उनके पेट पर लगा… उनके हाथ झटके से मेरे गले पर आ गए..
फ़िर एक बोसा…
इस बार कूल्हे दबाते हुये और उन्होंने मुँह मेरे मुँह से नहीं हटाया।
मैंने भाभी के शर्ट को ऊपर करना शुरू किया और गले तक ले आया, उनके हाथ ऊपर किये और निकाल दिया।
‘क्या कर रहे हैं आप?’![[Image: ?u=https%3A%2F%2Ftse4.mm.bing.net%2Fth%3...%3DApi&f=1]](https://external-content.duckduckgo.com/iu/?u=https%3A%2F%2Ftse4.mm.bing.net%2Fth%3Fid%3DOIP.QjVeH2aSKVxXumEpNRRGvgHaEq%26pid%3DApi&f=1)
‘प्यार भाभी!’
मैंने अपना कुरता भी अब उतारा…
वो जाना चाहती थी लेकिन कमीज़ निकल गई, वो ऊपर पूरी नंगी थी, जाली वाली ब्रा थी और उसमें से उनके अंगूर जैसे काले निप्पल दिख रहे थे।
मैंने देर नहीं की, झपट कर उन्हें पकड़ लिया और निप्पल पर मुँह लगाया।
‘आआह्ह हा… मैं तुमसे बड़ी हूँऊ.. ये मत करो..; लेकिन मेरा सिर उन्होंने अपनी छाती पर दबा लिया।
मैंने पीछे हाथ किये और ब्रा का हुक तोड़ दिया, बड़ी बड़ी दूधिया चूचियाँ बाहर मेरे हाथो में आ गई.. जोर से दबाया।
‘ऊऊफ़्फ़्फ़ फ्फ धीईरेएए… इतने ज़ोर से मत दबाओ…’
मैंने कुछ सुना नहीं, उनके बिस्तर पर धकेला… उनके पैर नीचे लटक रहे थे… मैंने सलवार की इलास्टिक खींची तो साथ में गुलाबी रंग की पैंटी भी नीचे आ गई।![[Image: ?u=https%3A%2F%2Ftse1.explicit.bing.net%...%3DApi&f=1]](https://external-content.duckduckgo.com/iu/?u=https%3A%2F%2Ftse1.explicit.bing.net%2Fth%3Fid%3DOIP.LoTPELjxCXAq7NkX-VeTeQHaE9%26pid%3DApi&f=1)
‘जीईईजाजी, क्या कर रहे हओओ.. मुझे खराब मत करो…’
लेकिन उन्होंने गांड उठा दी और सलवार निकल आई और पैंटी भी…
चूत पर छोटे छोटे बाल थे.. मेरा तो लंड अब बेकाबू होने लगा… भाभी की गांड पर हाथ फेरा और ज़ोर से मसल दिया।
‘आआआअह्ह ह्ह्ह… प्लीज मत करो… वो उछल पड़ी… क्या गोरी और चिकनी गांड थी उनकी… मैंने अब अपने कपड़े उतारना शुरू किया.. इस मौक़े का फायदा उठा कर भाभी उठी और कपड़े उठा कर जल्दी से नीचे भागी।
‘क्या कर रहे हो?’
‘प्यार! अभी आपने कहा ना कि सुरेखा को मिस कर रहे हो? मैं उसे नहीं आपको मिस करता हूँ भाभी!’
‘बदमाशी मत करो!’![[Image: ?u=https%3A%2F%2Ftse1.mm.bing.net%2Fth%3...%3DApi&f=1]](https://external-content.duckduckgo.com/iu/?u=https%3A%2F%2Ftse1.mm.bing.net%2Fth%3Fid%3DOIP.BLquZMsEgYombwfhobAdEwAAAA%26pid%3DApi&f=1)
पर मैंने अपने लंड को उनके चूतड़ों पर दबाया.. जो अब थोड़ा कड़क हो रहा था.. वहाँ लगते ही उसकी आकार बढ़ने लगा।वो मुझसे छुटने की कोशिश करने लगी.. मेरा हाथ उनकी चूचियों पर पहुँच गया.. मैंने उनके गर्दन पर पीछे चूम लिया।
‘अखिलेश…!!! प्लीज़… यह गलत है!’
‘क्या गलत है भाभी?’
‘मैं सुरेखा की भाभी हूँ!’
‘तो क्या हुआ.. आप इतनी हसीं हो कि मेरा दिल मचल गया है आपके लिये!’
मैंने हाथों से उनकी चूचियाँ और जोर से दबाई।
‘नहींई कर…ओ… आआह्ह धीईरे…’
मेरा लौड़ा पूरा अकड़ कर उनके चूतड़ों में जैसे घुसा जा रहा था।
![[Image: ?u=https%3A%2F%2F2.bp.blogspot.com%2F-nl...f=1&nofb=1]](https://external-content.duckduckgo.com/iu/?u=https%3A%2F%2F2.bp.blogspot.com%2F-nlrd89TXXys%2FTZyROI-1jUI%2FAAAAAAAABFk%2FvoqPGjTKeuA%2Fs640%2Fnayantara12.jpg&f=1&nofb=1)
मैंने हाथों से उनकी चूची और जोर से दबाई।
‘आआह्ह… ह्ह्ह… धीरे…’
यह सुन कर मैं समझ गया कि भाभी चुदवाना तो चाहती हैं लेकिन नखरे कर रही हैं।
मेरा लंड पूरा खड़ा होकर उनकी गांड में घुसा जा रहा था।
अब वो भी अपनी गांड मेरे लंड पर दबा रही थी, मैंने उनकी कमीज़ के अंदर पीछे से हाथ डाल दिया.. नरम पीठ से होता हुआ मेरा हाथ सीधे ब्रा के हूक पर गया, मैंने उसे जोर से खींचा, वो टूट गया।
‘क्या कर रहे हो?’
‘आप प्यार से नहीं करने दे रही हैं।’
‘क्या नहीं करने दे रही हूँ??’
और वो घूम गई, मैंने इस मौक़े पर एकदम उनका चेहरा पास लाया और उनके रसीले लाल होंटों पर अपने होंठ चिपका दिये।
पहले तो वो मुँह इधर उधर करने लगी.. फ़िर थोड़ी देर बाद मेर होंठों को जगह मिल गई…
वो लम्बा चुम्बन.. गीला… ऊओह.. और भाभी मुझसे दूर हटने लगी.. मैंने फ़िर भी नहीं छोड़ा, उन्हें और अब उनके चूतड़ जोर से पकड़ कर खींचा.. मेरा लंड उनके पेट पर लगा… उनके हाथ झटके से मेरे गले पर आ गए..
फ़िर एक बोसा…
इस बार कूल्हे दबाते हुये और उन्होंने मुँह मेरे मुँह से नहीं हटाया।
मैंने भाभी के शर्ट को ऊपर करना शुरू किया और गले तक ले आया, उनके हाथ ऊपर किये और निकाल दिया।
‘क्या कर रहे हैं आप?’
‘प्यार भाभी!’
मैंने अपना कुरता भी अब उतारा…
वो जाना चाहती थी लेकिन कमीज़ निकल गई, वो ऊपर पूरी नंगी थी, जाली वाली ब्रा थी और उसमें से उनके अंगूर जैसे काले निप्पल दिख रहे थे।
मैंने देर नहीं की, झपट कर उन्हें पकड़ लिया और निप्पल पर मुँह लगाया।
‘आआह्ह हा… मैं तुमसे बड़ी हूँऊ.. ये मत करो..; लेकिन मेरा सिर उन्होंने अपनी छाती पर दबा लिया।
मैंने पीछे हाथ किये और ब्रा का हुक तोड़ दिया, बड़ी बड़ी दूधिया चूचियाँ बाहर मेरे हाथो में आ गई.. जोर से दबाया।
‘ऊऊफ़्फ़्फ़ फ्फ धीईरेएए… इतने ज़ोर से मत दबाओ…’
मैंने कुछ सुना नहीं, उनके बिस्तर पर धकेला… उनके पैर नीचे लटक रहे थे… मैंने सलवार की इलास्टिक खींची तो साथ में गुलाबी रंग की पैंटी भी नीचे आ गई।
‘जीईईजाजी, क्या कर रहे हओओ.. मुझे खराब मत करो…’
लेकिन उन्होंने गांड उठा दी और सलवार निकल आई और पैंटी भी…
चूत पर छोटे छोटे बाल थे.. मेरा तो लंड अब बेकाबू होने लगा… भाभी की गांड पर हाथ फेरा और ज़ोर से मसल दिया।
‘आआआअह्ह ह्ह्ह… प्लीज मत करो… वो उछल पड़ी… क्या गोरी और चिकनी गांड थी उनकी… मैंने अब अपने कपड़े उतारना शुरू किया.. इस मौक़े का फायदा उठा कर भाभी उठी और कपड़े उठा कर जल्दी से नीचे भागी।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
