09-03-2022, 04:46 PM
सिसकारते हुए मैं बोली- आह्ह रमेश … चोद … चोद … अपनी दीदी के मुंह को खूब जोर जोर से चोद और अपना माल अपनी दीदी के मुंह में गिरा दे.
थोड़ी देर के बाद रमेश सिसकारते हुए बोला- आह्ह … दीदी … मैं झड़ रहा हूँ.
उसने अपना सारा माल मेरे मुंह में डाल दिया. मैंने उसके लंड का माल पूरा का पूरा पी लिया.
मैंने धीरे से रमेश से पूछा- अपनी दीदी को चोदेगा? तेरे जीजा की बहुत याद आ रही है. मेरी चूत बहुत प्यासी हो रही है.
रमेश ने मेरी दोनों चुंचियों को पकड़ कर कहा- दीदी अपनी चूत पिलाओ न? पहले दीदी की चूत चूसूंगा, फिर जी भर कर चोदूंगा.
रमेश का लंड मैं अपने हाथों में पकड़ कर खेल रही थी.
मैंने कहा- तेरा लंड तो बहुत विशाल है रे!
उसने पूछा- आपको पसंद आया दीदी?
उसका लंड हाथ से सहलाती हुए मैं बोली- यह तो बहुत प्यारा है. किसी भी लड़की को चोद कर मस्त कर देगा.
फिर मैं चित होकर चूतड़ों के बल लेट गयी और अपनी टांगें फैला कर बोली- ले … अपनी दीदी की चूत को प्यार कर. जी भर कर पी ले इसे. पूरी रात पीता रह अपनी दीदी की चूत.
रमेश मेरी चूत को जीभ से चाटने लगा. वो मेरी चूत को पूरी अंदर तक चाट रहा था. कभी कभी उसकी जीभ मेरी चूत के मटर-दाने पर भी चाटने लगती थी. कभी वो उसको दांतों में लेकर काट देता था और मैं पागल हो जाती थी.
अपनी चूत चटाई करवाते हुए मैं बिल्कुल पागल हो गयी और बड़बड़ाने लगी- आआ … आह्हह … मेरे राजा भैया, बहुत मजा आ रहा है. चूसो, खूब जोर से चूसो … ओह … ऊ … ओईई … ओह … पी जा इसे।
मैं उसका सिर पकड़ कर उसके मुंह में अपनी चूत को चूतड़ उछाल उछाल कर रगड़ रही थी. मैं उसकी चूत चटाई से बिल्कुल पागल हो गयी और रमेश के मुंह पर ही झड़ गयी.
रमेश मेरी चूत से निकला पूरा का पूरा पानी पी गया.
मैं फिर से बड़बड़ाने लगी- ओह रमेश … अब अपनी दीदी को चोद दे. अब नहीं रुका जा रहा … अपने लंड को मेरे चूत में घुसा दे … पेल दे अपने लंड को मेरी चूत में … प्लीज़ राजा … अब चोदो ना!
अब वो मेरी टांगों के बीच में आ गया और अपने लंड का सुपाड़ा मेरी चूत के मुंह पर रख कर धक्का लगाने लगा. उसका लंड फिसल रहा था.
मैं हंस पड़ी और बोली- साले अनाड़ी … बहनचोद, चोदना आता नहीं, चला है दीदी को चोदने! बहनचोद कहीं का!
मैंने उसका लंड पकड़ कर अपनी चूत के मुंह पर लगा दिया और कहा- चल अब देर मत कर और अपनी दीदी को चोद चोदकर उसकी चूत की आग को ठंडा कर.
रमेश के चूतड़ों को पकड़ कर मैंने अपने हाथ से खूब जोर से दबा दिया और अपने चूतड़ उछाल कर रमेश का लंड अपनी चूत में ले लिया. रमेश का लंड पूरा का पूरा मेरी चूत में घुस गया.
मैं मस्ती में आकर चिल्ला पड़ी- आआ … ह्हह … हाय … रमेश … मजा आ गया … लंड गया … आह्ह … चोद अब साले … पेल दे मेरी चूत को … आईई … चोद जल्दी कुत्ते। आज सालों बाद इतनी हसीन चुदाई हो रही है इस छिनाल चूत-रानी की. साली को लंड लेने का बहुत शौक था. चोद दो इसको … फाड़ दो.
रमेश अब एक्शन में आ गया और मेरी चूत में लंड को पेलने लगा. मैं मस्त होने लगी. उसका लंड बहुत मोटा था और वो मेरी चूत को दो फांकों में फाड़ रहा था. रमेश के लंड से चुदवाते हुए मैं बिल्कुल सातवें असमान पर थी.
मैंने अपनी टांगों को उठा कर रमेश के चूतड़ों पर लॉक कर दिया और उसके कंधों को पकड़ कर उसके लण्ड के धक्कों को अपनी चूत में खाने लगी।
थोड़ी देर के बाद रमेश सिसकारते हुए बोला- आह्ह … दीदी … मैं झड़ रहा हूँ.
उसने अपना सारा माल मेरे मुंह में डाल दिया. मैंने उसके लंड का माल पूरा का पूरा पी लिया.
मैंने धीरे से रमेश से पूछा- अपनी दीदी को चोदेगा? तेरे जीजा की बहुत याद आ रही है. मेरी चूत बहुत प्यासी हो रही है.
रमेश ने मेरी दोनों चुंचियों को पकड़ कर कहा- दीदी अपनी चूत पिलाओ न? पहले दीदी की चूत चूसूंगा, फिर जी भर कर चोदूंगा.
रमेश का लंड मैं अपने हाथों में पकड़ कर खेल रही थी.
मैंने कहा- तेरा लंड तो बहुत विशाल है रे!
उसने पूछा- आपको पसंद आया दीदी?
उसका लंड हाथ से सहलाती हुए मैं बोली- यह तो बहुत प्यारा है. किसी भी लड़की को चोद कर मस्त कर देगा.
फिर मैं चित होकर चूतड़ों के बल लेट गयी और अपनी टांगें फैला कर बोली- ले … अपनी दीदी की चूत को प्यार कर. जी भर कर पी ले इसे. पूरी रात पीता रह अपनी दीदी की चूत.
रमेश मेरी चूत को जीभ से चाटने लगा. वो मेरी चूत को पूरी अंदर तक चाट रहा था. कभी कभी उसकी जीभ मेरी चूत के मटर-दाने पर भी चाटने लगती थी. कभी वो उसको दांतों में लेकर काट देता था और मैं पागल हो जाती थी.
अपनी चूत चटाई करवाते हुए मैं बिल्कुल पागल हो गयी और बड़बड़ाने लगी- आआ … आह्हह … मेरे राजा भैया, बहुत मजा आ रहा है. चूसो, खूब जोर से चूसो … ओह … ऊ … ओईई … ओह … पी जा इसे।
मैं उसका सिर पकड़ कर उसके मुंह में अपनी चूत को चूतड़ उछाल उछाल कर रगड़ रही थी. मैं उसकी चूत चटाई से बिल्कुल पागल हो गयी और रमेश के मुंह पर ही झड़ गयी.
रमेश मेरी चूत से निकला पूरा का पूरा पानी पी गया.
मैं फिर से बड़बड़ाने लगी- ओह रमेश … अब अपनी दीदी को चोद दे. अब नहीं रुका जा रहा … अपने लंड को मेरे चूत में घुसा दे … पेल दे अपने लंड को मेरी चूत में … प्लीज़ राजा … अब चोदो ना!
अब वो मेरी टांगों के बीच में आ गया और अपने लंड का सुपाड़ा मेरी चूत के मुंह पर रख कर धक्का लगाने लगा. उसका लंड फिसल रहा था.
मैं हंस पड़ी और बोली- साले अनाड़ी … बहनचोद, चोदना आता नहीं, चला है दीदी को चोदने! बहनचोद कहीं का!
मैंने उसका लंड पकड़ कर अपनी चूत के मुंह पर लगा दिया और कहा- चल अब देर मत कर और अपनी दीदी को चोद चोदकर उसकी चूत की आग को ठंडा कर.
रमेश के चूतड़ों को पकड़ कर मैंने अपने हाथ से खूब जोर से दबा दिया और अपने चूतड़ उछाल कर रमेश का लंड अपनी चूत में ले लिया. रमेश का लंड पूरा का पूरा मेरी चूत में घुस गया.
मैं मस्ती में आकर चिल्ला पड़ी- आआ … ह्हह … हाय … रमेश … मजा आ गया … लंड गया … आह्ह … चोद अब साले … पेल दे मेरी चूत को … आईई … चोद जल्दी कुत्ते। आज सालों बाद इतनी हसीन चुदाई हो रही है इस छिनाल चूत-रानी की. साली को लंड लेने का बहुत शौक था. चोद दो इसको … फाड़ दो.
रमेश अब एक्शन में आ गया और मेरी चूत में लंड को पेलने लगा. मैं मस्त होने लगी. उसका लंड बहुत मोटा था और वो मेरी चूत को दो फांकों में फाड़ रहा था. रमेश के लंड से चुदवाते हुए मैं बिल्कुल सातवें असमान पर थी.
मैंने अपनी टांगों को उठा कर रमेश के चूतड़ों पर लॉक कर दिया और उसके कंधों को पकड़ कर उसके लण्ड के धक्कों को अपनी चूत में खाने लगी।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
