09-03-2022, 04:33 PM
(This post was last modified: 02-02-2024, 10:34 AM by neerathemall. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
मैंने उसको खड़ी किया और हम दोनों नंगे ही बालकनी में पहुंच गए. मैंने उसको बालकनी की रेलिंग पर झुका लिया और पीछे से उसकी चूत चोदने लगा.
बाहर हो रही हल्की बारिश की बूंदें हमारे शरीर पर गिर रही थीं और उसी बारिश में मैं अपर्णा को चोद रहा था।
ऐसे बारिश में मैं पहली बार किसी लड़की के साथ सेक्स कर रहा था और अपर्णा के लिए भी ये पहली बार का ही बिल्कुल ही एक नयी तरह का अनुभव था.
वैसे तो रात का अंधेरा था और बारिश भी तेज थी तो बालकनी में सेक्स करने में कोई डर नहीं था.
इसलिए हम मजे से चुदाई करने में लगे हुए थे.
वैसे भी अगर कोई दूर से देख भी लेता तो लंड या चूत तो दिखने वाले थे नहीं.
मुंबई में कौन किसको चोद रहा है और कहां खड़ी करके चोद रहा है इससे लोगों को कम ही फर्क पड़ता है.
वहां पर किसी को किसी की निजी जिन्दगी से ज्यादा कुछ मतलब नहीं रहता है.
खुले में चुदाई करने में भी पूरा मजा आ रहा था. फिर मैंने लन्ड को बाहर निकाला और उसकी गांड में डालने की नाकाम कोशिश करने लगा.
लेकिन उसने गांड में लंड डालने से मना कर दिया. वो कहने लगी कि उसने कभी गांड नहीं मरवाई है.
तो फिर मैंने भी ज्यादा ज़िद नहीं की और उसको नीचे बिठाकर लन्ड चुसवाने लगा.
थोड़ी देर तक लन्ड चुसवाने के बाद उसको मैं कमरे में लेकर आया और पलंग पर लिटा दिया.
फिर मैंने उसकी टाँगों को कंधे पर रख कर लन्ड को उसकी चूत में डाल दिया।
अपर्णा की चूत चुद चुदकर लाल हो गयी थी. मैं उसकी चूत चोदने के साथ साथ उसकी गांड में भी उंगली डाल रहा था।
इसी चुदाई के दौरान अपर्णा दूसरी बार भी झड़ गयी लेकिन मेरे लन्ड में जान अभी बाकी थी.
अपर्णा की चूत फूलकर पाव रोटी की तरह हो गयी थी.
मैंने अब लन्ड को चूत में से निकाल कर उसके बूब्स के बीच में फंसा दिया और दोनों हाथों से उसके चूचों को भींच लिया. फिर उसने भी अपने दोनों चूचों को अपने हाथों से थाम लिया.
धक्के लगाते हुए मैं उसके बोबों की घाटी को चोदने लगा. मेरा लन्ड बूब्स को चोदने में उसके मुंह तक जा रहा था.
अपर्णा जीभ से लन्ड को चाटने भी लगी थी.
मेरा जोश अब पूरे उफान पर था. मैं किसी भी वक्त स्खलित हो सकता था इसलिए मैं उसके चूचों को जोर से भींचकर पूरा जोर लगाकर लंड को आगे पीछे कर रहा था.
फिर मैं अपने चरम पर पहुंच गया और थोड़ी देर में मेरे लन्ड ने भी पिचकारी छोड़ दी.
जैसे ही वीर्य से पहली पिचकारी छूटी तो उसने लंड को झट से मुंह में भर लिया और मेरे चूतड़ों को अपने मुंह की ओर दबा लिया.
मेरे लंड से बची हुई पिचकारियां उसके गले में गिरने लगीं.
झटके दर झटके मैंने सारा वीर्य उसके मुंह में खाली कर दिया.
मेरे वीर्य को अपर्णा ने पूरा गटक लिया और लन्ड को जीभ से चाट कर साफ कर दिया.
मैं थक गया था और हांफता हुआ मैं अपर्णा के ऊपर ही लेट गया।
अपर्णा अपनी चुदाई से पूरी तरह संतुष्ट हो गयी थी. वो मेरी पीठ को सहला रही थी तो कभी मेरे बालों में हाथ फिरा रही थी. कभी मेरे गालों को चूम रही थी तो कभी कंधे पर किस कर रही थी.
उसके मुंह से बार बार एक ही शब्द निकल रहा था- आई लव यू हैप्पी … आई लव यू जान!
मैं भी उसके चूचों के ऊपर लेटा हुआ बहुत राहत महसूस कर रहा था. बड़े दिनों के बाद खुलकर लंड ने वीर्य फेंका था.
फिर हम एक दूसरे को चूमते हुए हम दोनों एक दूसरे की बांहों में कब सो गए पता ही नहीं चला.
सुबह चार बजे के आसपास मेरी नींद खुली तो देखा कि अपर्णा मेरी बांहों में निश्चिंत होकर सो रही है।
ऐसे उसे अपनी बांहों में उसको नंगी देख कर मेरे लन्ड ने भी सलामी देना शुरू कर दिया.
मैं अपर्णा के बूब्स को मुंह में भर कर उनका दूध पीने लगा जिससे अपर्णा की भी नींद खुल गयी.
वो कच्ची नींद में ही मेरे बालों में हाथ फिराने लगी और फिर वो पूरी तरह से जाग गयी.
हम दोनों के होंठ फिर से मिल गये. जल्दी ही हाथ एक दूसरे के सेक्स अंगों को सहलाने लगे.
वो मेरे लंड को मुठियाने लगी और मैं उसकी चूत को उंगली से कुरेदने लगा.
जल्दी ही चुदाई की आग भड़क उठी और मैंने फिर से एक बार उसकी चूत में लंड पेल दिया.
हमने चुदाई का एक जोशीला राउंड खेला और फिर दोनों ही झड़कर शांत हो गये.
बहुत मजा आया उसके साथ चुदाई का ये खेल खेलकर। बहुत दिनों के बाद मैंने ऐसी सेक्सी चूत की चुदाई की थी.
अपर्णा मेरे साथ तीन दिन तक रही जिस दौरान हमने कई बार सेक्स किया.
हमने हर तरह का सेक्स किया- रफ सेक्स, स्मूथ सेक्स, बाथरूम में भी सेक्स किया. हमने किचन में भी सेक्स किया.
जब मैं उसको छोड़ने नासिक गया तो स्लीपर बस में केबिन बन्द करके भी हमने चलती हुई बस में चुदाई का मजा लिया।
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बाहर हो रही हल्की बारिश की बूंदें हमारे शरीर पर गिर रही थीं और उसी बारिश में मैं अपर्णा को चोद रहा था।
ऐसे बारिश में मैं पहली बार किसी लड़की के साथ सेक्स कर रहा था और अपर्णा के लिए भी ये पहली बार का ही बिल्कुल ही एक नयी तरह का अनुभव था.
वैसे तो रात का अंधेरा था और बारिश भी तेज थी तो बालकनी में सेक्स करने में कोई डर नहीं था.
इसलिए हम मजे से चुदाई करने में लगे हुए थे.
वैसे भी अगर कोई दूर से देख भी लेता तो लंड या चूत तो दिखने वाले थे नहीं.
मुंबई में कौन किसको चोद रहा है और कहां खड़ी करके चोद रहा है इससे लोगों को कम ही फर्क पड़ता है.
वहां पर किसी को किसी की निजी जिन्दगी से ज्यादा कुछ मतलब नहीं रहता है.
खुले में चुदाई करने में भी पूरा मजा आ रहा था. फिर मैंने लन्ड को बाहर निकाला और उसकी गांड में डालने की नाकाम कोशिश करने लगा.
लेकिन उसने गांड में लंड डालने से मना कर दिया. वो कहने लगी कि उसने कभी गांड नहीं मरवाई है.
तो फिर मैंने भी ज्यादा ज़िद नहीं की और उसको नीचे बिठाकर लन्ड चुसवाने लगा.
थोड़ी देर तक लन्ड चुसवाने के बाद उसको मैं कमरे में लेकर आया और पलंग पर लिटा दिया.
फिर मैंने उसकी टाँगों को कंधे पर रख कर लन्ड को उसकी चूत में डाल दिया।
अपर्णा की चूत चुद चुदकर लाल हो गयी थी. मैं उसकी चूत चोदने के साथ साथ उसकी गांड में भी उंगली डाल रहा था।
इसी चुदाई के दौरान अपर्णा दूसरी बार भी झड़ गयी लेकिन मेरे लन्ड में जान अभी बाकी थी.
अपर्णा की चूत फूलकर पाव रोटी की तरह हो गयी थी.
मैंने अब लन्ड को चूत में से निकाल कर उसके बूब्स के बीच में फंसा दिया और दोनों हाथों से उसके चूचों को भींच लिया. फिर उसने भी अपने दोनों चूचों को अपने हाथों से थाम लिया.
धक्के लगाते हुए मैं उसके बोबों की घाटी को चोदने लगा. मेरा लन्ड बूब्स को चोदने में उसके मुंह तक जा रहा था.
अपर्णा जीभ से लन्ड को चाटने भी लगी थी.
मेरा जोश अब पूरे उफान पर था. मैं किसी भी वक्त स्खलित हो सकता था इसलिए मैं उसके चूचों को जोर से भींचकर पूरा जोर लगाकर लंड को आगे पीछे कर रहा था.
फिर मैं अपने चरम पर पहुंच गया और थोड़ी देर में मेरे लन्ड ने भी पिचकारी छोड़ दी.
जैसे ही वीर्य से पहली पिचकारी छूटी तो उसने लंड को झट से मुंह में भर लिया और मेरे चूतड़ों को अपने मुंह की ओर दबा लिया.
मेरे लंड से बची हुई पिचकारियां उसके गले में गिरने लगीं.
झटके दर झटके मैंने सारा वीर्य उसके मुंह में खाली कर दिया.
मेरे वीर्य को अपर्णा ने पूरा गटक लिया और लन्ड को जीभ से चाट कर साफ कर दिया.
मैं थक गया था और हांफता हुआ मैं अपर्णा के ऊपर ही लेट गया।
अपर्णा अपनी चुदाई से पूरी तरह संतुष्ट हो गयी थी. वो मेरी पीठ को सहला रही थी तो कभी मेरे बालों में हाथ फिरा रही थी. कभी मेरे गालों को चूम रही थी तो कभी कंधे पर किस कर रही थी.
उसके मुंह से बार बार एक ही शब्द निकल रहा था- आई लव यू हैप्पी … आई लव यू जान!
मैं भी उसके चूचों के ऊपर लेटा हुआ बहुत राहत महसूस कर रहा था. बड़े दिनों के बाद खुलकर लंड ने वीर्य फेंका था.
फिर हम एक दूसरे को चूमते हुए हम दोनों एक दूसरे की बांहों में कब सो गए पता ही नहीं चला.
सुबह चार बजे के आसपास मेरी नींद खुली तो देखा कि अपर्णा मेरी बांहों में निश्चिंत होकर सो रही है।
ऐसे उसे अपनी बांहों में उसको नंगी देख कर मेरे लन्ड ने भी सलामी देना शुरू कर दिया.
मैं अपर्णा के बूब्स को मुंह में भर कर उनका दूध पीने लगा जिससे अपर्णा की भी नींद खुल गयी.
वो कच्ची नींद में ही मेरे बालों में हाथ फिराने लगी और फिर वो पूरी तरह से जाग गयी.
हम दोनों के होंठ फिर से मिल गये. जल्दी ही हाथ एक दूसरे के सेक्स अंगों को सहलाने लगे.
वो मेरे लंड को मुठियाने लगी और मैं उसकी चूत को उंगली से कुरेदने लगा.
जल्दी ही चुदाई की आग भड़क उठी और मैंने फिर से एक बार उसकी चूत में लंड पेल दिया.
हमने चुदाई का एक जोशीला राउंड खेला और फिर दोनों ही झड़कर शांत हो गये.
बहुत मजा आया उसके साथ चुदाई का ये खेल खेलकर। बहुत दिनों के बाद मैंने ऐसी सेक्सी चूत की चुदाई की थी.
अपर्णा मेरे साथ तीन दिन तक रही जिस दौरान हमने कई बार सेक्स किया.
हमने हर तरह का सेक्स किया- रफ सेक्स, स्मूथ सेक्स, बाथरूम में भी सेक्स किया. हमने किचन में भी सेक्स किया.
जब मैं उसको छोड़ने नासिक गया तो स्लीपर बस में केबिन बन्द करके भी हमने चलती हुई बस में चुदाई का मजा लिया।
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जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.