09-03-2022, 04:32 PM
मैं और अपर्णा पहले राउंड के बाद नंगे ही एक दूसरे से लिपटे हुए थे और एक दूसरे के अंगों से खेल रहे थे।
उसके उरोज़ों को सहला रहा था मैं … और उसके निप्पलों को खींच रहा था.
वो भी मेरे लन्ड को हाथ से सहला रही थी।
हमारी जाँघें एक दूसरे से लिपटी हुई थीं और हम फिर से एक दूसरे को चूमने लगे।
मैं उसके होंठों को काट रहा था और वो मेरे होंठों को काट रही थी.
हम एक दूसरे की जीभ को मुंह में डाल कर चूस रहे थे.
इसी बीच मेरे लन्ड ने भी सिग्नल देना शुरू कर दिया कि वो दूसरे राउंड के लिए तैयार है.
मेरा लन्ड अपर्णा की चूत को छूने लगा.
उसको भी पता लग गया कि उसकी चूत में जाने के लिए उसके आशिक का हथियार एक बार फिर से तैयार है.
अपर्णा को गर्म करने के लिए मैं उसके बूब्स दबाने लगा और एक बोबे को आम की तरह चूसने लगा जिससे अपर्णा फिर से गर्म होने लगी.
फिर मैंने जोर से उसके चूचों को चूसा.
बारी बारी से मैंने दोनों चूचों को चूसा और उसको फिर से उत्तेजित कर दिया.
वो मेरे सिर को अपनी चूचियों पर दबाने लगी. मैं भी उसकी चूचियों में सिर को जोर जोर से घुसाने लगा ताकि उसकी चूत की आग तेजी से भड़क जाये.
फिर मैं चूमते हुए नीचे पेट की ओर जाने लगा. उसकी नाभि को मैंने जीभ घुमा घुमाकर चूसा.
वो पागल सी होने लगी. चूमते हुए मैं उसकी झांटों की जगह पर पहुंचा और उसको चूत के ऊपर से चाटने लगा.
अब मैं अपर्णा की दोनों टांगों के बीच आ गया और उसके पैरों को अपने कंधे पर रखा.
मैंने उसकी चूत में मुंह लगा दिया और जीभ अंदर घुसाकर फिर से उसकी चूत के रस को खींचने लगा.
वो सिसकार उठी- आह्ह … ओह्हो … हम्म … ओह्ह … उफ्फ … ओह् गॉड … फक मी हैप्पी … आह्ह … चूस जा इसे … चोद दे … आह्ह … तुम कितना मजा देते हो … ओह्ह … ओह्ह … मेरी चूत .. आईई … आह्ह … मेरी चूत।
जितनी तेजी से उसकी सिसकारी निकल रही थी उतनी ही तेजी से मैं उसकी चूत को चाट रहा था.
मुझे उतना ही ज्यादा जोश चढ़ता जा रहा था.
उसकी चूत को चाट चाट कर मैंने उसे पागल कर दिया.
फिर मैंने पास में रखी तेल की शीशी उठाई और उसकी चूत व अपने लंड पर तेल लगाने लगा.
मैंने उसकी चूत और अपने लंड को पूरी तरह से तेल में तर कर लिया.
इससे उसको चुदास चढ़ गयी.
अब मैं उसकी चूत फाड़ने के लिए तैयार था. मैं तेल लगाने के बाद लंड को उसकी चूत पर रगड़ने लगा. अपर्णा पूरी तरह से सिहर उठी.
वो अपने हाथों से अपने बूब्स को दबाने लगी. उसकी चूचियों को चूस चूस कर मैंने पहले ही लाल कर दिया था.
अब चूत पर लंड के रगड़े जाने से उसकी उत्तेजना के कारण उसकी चूचियों के निप्पल तन कर नुकीले हो गये.
वो अपनी चूत को मेरे लंड पर खुद से ही रगड़ने की कोशिश कर रही थी.
मैं उसके मन की बात जान गया था कि अब उसकी चूत को लंड की सख्त जरूरत है. वैसे भी मैंने उसके सभी अंगों को चूस चाटकर उसे पूरी तरह से चुदासी कर दिया था.
मैंने भी अब देर न करते हुए अपने लन्ड को अपर्णा की चूत पर टिका दिया.
वो मेरे चेहरे की ओर देख रही थी और इंतजार में थी कि कब उसकी चूत में लंड उतरेगा.
उसके चेहरे को मैं भी देख रहा था. वो लंड की प्यासी हो चुकी थी और मेरा लंड भी उसकी चूत की प्यास में तड़प गया था.
फिर मैंने एक धक्का दिया और लंड उसकी चूत में उतार दिया.
अपर्णा की चूत बहुत टाइट थी लेकिन तेल मैंने बहुत ज्यादा लगा दिया था.
चूत और लंड की चिकनाहट इतनी ज्यादा थी कि चूत में लंड फिसलता चला गया और ऐसे जा घुसा जैसे कि केक में चाकू घुस जाता है.
मैंने अपने आप को अपर्णा के ऊपर लिटा दिया और उसके होंठों को जोर जोर से पीने लगा.
वो भी मेरे लंड को लेकर जैसे धन्य हो गयी थी और पूरी शिद्दत के साथ मेरे होंठों से होंठों को मिलाकर मेरा साथ दे रही थी.
मैं अपनी गति में आ गया. मैंने गांड को हिलाते हुए धीरे धीरे उसकी चूत में चोदना शुरू किया.
उसकी चूत में मेरा लन्ड फच्च फच्च की आवाज के साथ अंदर बाहर होने लगा।
मैं अपर्णा के होंठों को चूसने के साथ साथ बीच बीच में उसकी गर्दन और गालों पर भी चूम रहा था. कभी उसके उरोज़ों से दूध पीता तो कभी निप्पलों को चूसता।
वो भी मेरे चूतड़ों को पकड़ कर अपनी चूत में जोर जोर के धक्के लगवा रही थी. उसकी टांगें पूरी तरह से मेरी कमर पर लिपटी हुई थीं और वो चूत को पूरी खोलकर लेटी हुई थी ताकि उसकी चूत में लंड की चोट अंदर तक लगे.
चुदाई की काफी शौकीन लग रही थी वो!
करीब दस मिनट तक हम ऐसे ही चुदाई करते रहे.
फिर मैंने अपर्णा को अपने ऊपर आने के लिए कहा और मैं नीचे लेट गया.
अपर्णा मेरे ऊपर आ गयी।
वो मेरे लंड को पकड़ कर अपनी चूत के मुहाने तक ले गयी और चूत से मेरे लन्ड को चोदने लगी.
मैं उसके तने हुए मोटे उरोज़ों को दबाने में मशगूल हो गया।
अपर्णा मेरे ऊपर ही लेट गयी और हम किस करने लगे.
इसी बीच अपर्णा स्खलित हो गई.
उसके उरोज़ों को सहला रहा था मैं … और उसके निप्पलों को खींच रहा था.
वो भी मेरे लन्ड को हाथ से सहला रही थी।
हमारी जाँघें एक दूसरे से लिपटी हुई थीं और हम फिर से एक दूसरे को चूमने लगे।
मैं उसके होंठों को काट रहा था और वो मेरे होंठों को काट रही थी.
हम एक दूसरे की जीभ को मुंह में डाल कर चूस रहे थे.
इसी बीच मेरे लन्ड ने भी सिग्नल देना शुरू कर दिया कि वो दूसरे राउंड के लिए तैयार है.
मेरा लन्ड अपर्णा की चूत को छूने लगा.
उसको भी पता लग गया कि उसकी चूत में जाने के लिए उसके आशिक का हथियार एक बार फिर से तैयार है.
अपर्णा को गर्म करने के लिए मैं उसके बूब्स दबाने लगा और एक बोबे को आम की तरह चूसने लगा जिससे अपर्णा फिर से गर्म होने लगी.
फिर मैंने जोर से उसके चूचों को चूसा.
बारी बारी से मैंने दोनों चूचों को चूसा और उसको फिर से उत्तेजित कर दिया.
वो मेरे सिर को अपनी चूचियों पर दबाने लगी. मैं भी उसकी चूचियों में सिर को जोर जोर से घुसाने लगा ताकि उसकी चूत की आग तेजी से भड़क जाये.
फिर मैं चूमते हुए नीचे पेट की ओर जाने लगा. उसकी नाभि को मैंने जीभ घुमा घुमाकर चूसा.
वो पागल सी होने लगी. चूमते हुए मैं उसकी झांटों की जगह पर पहुंचा और उसको चूत के ऊपर से चाटने लगा.
अब मैं अपर्णा की दोनों टांगों के बीच आ गया और उसके पैरों को अपने कंधे पर रखा.
मैंने उसकी चूत में मुंह लगा दिया और जीभ अंदर घुसाकर फिर से उसकी चूत के रस को खींचने लगा.
वो सिसकार उठी- आह्ह … ओह्हो … हम्म … ओह्ह … उफ्फ … ओह् गॉड … फक मी हैप्पी … आह्ह … चूस जा इसे … चोद दे … आह्ह … तुम कितना मजा देते हो … ओह्ह … ओह्ह … मेरी चूत .. आईई … आह्ह … मेरी चूत।
जितनी तेजी से उसकी सिसकारी निकल रही थी उतनी ही तेजी से मैं उसकी चूत को चाट रहा था.
मुझे उतना ही ज्यादा जोश चढ़ता जा रहा था.
उसकी चूत को चाट चाट कर मैंने उसे पागल कर दिया.
फिर मैंने पास में रखी तेल की शीशी उठाई और उसकी चूत व अपने लंड पर तेल लगाने लगा.
मैंने उसकी चूत और अपने लंड को पूरी तरह से तेल में तर कर लिया.
इससे उसको चुदास चढ़ गयी.
अब मैं उसकी चूत फाड़ने के लिए तैयार था. मैं तेल लगाने के बाद लंड को उसकी चूत पर रगड़ने लगा. अपर्णा पूरी तरह से सिहर उठी.
वो अपने हाथों से अपने बूब्स को दबाने लगी. उसकी चूचियों को चूस चूस कर मैंने पहले ही लाल कर दिया था.
अब चूत पर लंड के रगड़े जाने से उसकी उत्तेजना के कारण उसकी चूचियों के निप्पल तन कर नुकीले हो गये.
वो अपनी चूत को मेरे लंड पर खुद से ही रगड़ने की कोशिश कर रही थी.
मैं उसके मन की बात जान गया था कि अब उसकी चूत को लंड की सख्त जरूरत है. वैसे भी मैंने उसके सभी अंगों को चूस चाटकर उसे पूरी तरह से चुदासी कर दिया था.
मैंने भी अब देर न करते हुए अपने लन्ड को अपर्णा की चूत पर टिका दिया.
वो मेरे चेहरे की ओर देख रही थी और इंतजार में थी कि कब उसकी चूत में लंड उतरेगा.
उसके चेहरे को मैं भी देख रहा था. वो लंड की प्यासी हो चुकी थी और मेरा लंड भी उसकी चूत की प्यास में तड़प गया था.
फिर मैंने एक धक्का दिया और लंड उसकी चूत में उतार दिया.
अपर्णा की चूत बहुत टाइट थी लेकिन तेल मैंने बहुत ज्यादा लगा दिया था.
चूत और लंड की चिकनाहट इतनी ज्यादा थी कि चूत में लंड फिसलता चला गया और ऐसे जा घुसा जैसे कि केक में चाकू घुस जाता है.
मैंने अपने आप को अपर्णा के ऊपर लिटा दिया और उसके होंठों को जोर जोर से पीने लगा.
वो भी मेरे लंड को लेकर जैसे धन्य हो गयी थी और पूरी शिद्दत के साथ मेरे होंठों से होंठों को मिलाकर मेरा साथ दे रही थी.
मैं अपनी गति में आ गया. मैंने गांड को हिलाते हुए धीरे धीरे उसकी चूत में चोदना शुरू किया.
उसकी चूत में मेरा लन्ड फच्च फच्च की आवाज के साथ अंदर बाहर होने लगा।
मैं अपर्णा के होंठों को चूसने के साथ साथ बीच बीच में उसकी गर्दन और गालों पर भी चूम रहा था. कभी उसके उरोज़ों से दूध पीता तो कभी निप्पलों को चूसता।
वो भी मेरे चूतड़ों को पकड़ कर अपनी चूत में जोर जोर के धक्के लगवा रही थी. उसकी टांगें पूरी तरह से मेरी कमर पर लिपटी हुई थीं और वो चूत को पूरी खोलकर लेटी हुई थी ताकि उसकी चूत में लंड की चोट अंदर तक लगे.
चुदाई की काफी शौकीन लग रही थी वो!
करीब दस मिनट तक हम ऐसे ही चुदाई करते रहे.
फिर मैंने अपर्णा को अपने ऊपर आने के लिए कहा और मैं नीचे लेट गया.
अपर्णा मेरे ऊपर आ गयी।
वो मेरे लंड को पकड़ कर अपनी चूत के मुहाने तक ले गयी और चूत से मेरे लन्ड को चोदने लगी.
मैं उसके तने हुए मोटे उरोज़ों को दबाने में मशगूल हो गया।
अपर्णा मेरे ऊपर ही लेट गयी और हम किस करने लगे.
इसी बीच अपर्णा स्खलित हो गई.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.