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Adultery अहसान का कर्ज
#10
दीदी को भी चुदने में बड़ा दर्द हो रहा था. वो अंकल के लंड से चुद जरूर रही थीं पर उनको मजा की जगह दर्द हो रहा था.
लगभग बीस मिनट तक अंकल ने चुदाई की और उसके बाद अंकल की रफ्तार एकदम तेज हो गई. अब अंकल ने अपने होंठों से दीदी के होंठों को चूसने के लिए बढ़ा दिए. दीदी ने भी अंकल के होंठों के ऊपर अपने होंठों को रख लिया.
मैं समझ गया कि अब अंकल का वीर्य दीदी की चुत में गिरने वाला हो गया है क्योंकि वो दीदी की चुत में जोर जोर से झटके मार रहे थे.
दो मिनट के बाद अंकल एक तेज आह … के साथ ठंडे पड़ गए. उनका रस दीदी की चुत में भरने लगा था. वो दीदी के ऊपर ही ढेर हो गए और दीदी ने उनको अपनी बांहों में सुला लिया और अपनी टांगें अंकल की पीठ से कस ली थीं. दीदी के चेहरे पर असीम शान्ति दिख रही थी, जैसे किसी प्यासी को अमृत मिल गया हो.
कुछ देर के बाद वो दीदी के ऊपर से हट गए और दीदी को अपनी बांहों में कसते हुए लेट गए. मैंने भी अपने लंड को हिला कर अपना माल उधर ही दीवार पर गिरा दिया था.
कुछ देर बाद अचानक से दीदी को होश आयी तो वो अपने आपको अंकल की बांहों में नंगी अवस्था में देख कर शर्मा गईं.
तब तक वो अंकल भी जग गए थे. अब उन्होंने दीदी के गाल पर एक चूमा लिया. और उन्होंने दीदी से पलटने को कहा. दीद पलट गईं, तो उनकी गांड अंकल की तरफ़ हो गई. अब दीदी एकदम नंगी हालत में बिना कुछ कहे अपनी पीठ को अंकल की तरफ़ करके लेटी हुई थीं.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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RE: अहसान का कर्ज - by neerathemall - 09-03-2022, 04:23 PM



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