09-03-2022, 04:18 PM
मेरी दीदी एक ऐसी कुंवारी लड़की है, जिसे देखने के बाद एक बुड्डे आदमी को भी अपनी जवानी लौट कर आती महसूस होने लगती है.
उस वक्त मेरी दीदी की उम्र छब्बीस साल की थी. वो आदमी, जिनके बारे में मैं लिख रहा हूँ, उन अंकल की उम्र कोई पचास साल की थी. वो मेरे पड़ोस में ही रहते थे. वैसे तो उस सोसाइटी में लोग बहुत ही प्रेम करने वाले हैं और सभी एक दूसरे की इज्जत करते हैं. लेकिन इन अंकल ने मेरी दीदी के ऊपर एक ऐसा अहसान किया था, जो वाकयी इस तोहफे का हकदार था, जो अंकल ने किया था.
हुआ यूं कि एक दिन दीदी देर शाम को अपने ऑफिस से घर आ रही थीं, तो रास्ते में दीदी को कुछ बदमाशों ने खींच लिया. वे गुंडे दीदी को अपनी कार में बैठा कर उन्हें ले जाने वाले थे. उसी समय वो बगल वाले अंकल वहां आ गए और दीदी को उनसे छुड़ा लिया.
उस घटना के दो महीने के बाद की ये कहानी है.
उस वक्त मेरी दीदी की उम्र छब्बीस साल की थी. वो आदमी, जिनके बारे में मैं लिख रहा हूँ, उन अंकल की उम्र कोई पचास साल की थी. वो मेरे पड़ोस में ही रहते थे. वैसे तो उस सोसाइटी में लोग बहुत ही प्रेम करने वाले हैं और सभी एक दूसरे की इज्जत करते हैं. लेकिन इन अंकल ने मेरी दीदी के ऊपर एक ऐसा अहसान किया था, जो वाकयी इस तोहफे का हकदार था, जो अंकल ने किया था.
हुआ यूं कि एक दिन दीदी देर शाम को अपने ऑफिस से घर आ रही थीं, तो रास्ते में दीदी को कुछ बदमाशों ने खींच लिया. वे गुंडे दीदी को अपनी कार में बैठा कर उन्हें ले जाने वाले थे. उसी समय वो बगल वाले अंकल वहां आ गए और दीदी को उनसे छुड़ा लिया.
उस घटना के दो महीने के बाद की ये कहानी है.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
