09-03-2022, 03:57 PM
मैं दीदी की चुदाई करने से एक कदम की दूरी पर रहकर चूक गया था. मेरा लंड तना हुआ था. मैं सीधा जेन्ट्स के बाथरूम में गया और दीदी के बारे में सोच कर मुठ मारने की सोची.
मैंने दीदी की गीली पैंटी निकाली और उसको मुंह पर लगा कर लंड को रगड़ने लगा.
उसकी पैंटी से आ रही उसके प्रिकम की खुशबू मेरी सांसों में घुलने लगी. मेरा लौड़ा फटने को हो गया. मैंने पैंटी को जीभ से चाटा. मैंने अपने लंड को वापस तना हुआ ही अंदर दबा लिया. मैंने मन बना लिया था कि दीदी की चूत मैं घर जाकर नहीं बल्कि यहीं पर चोदनी है.
मैं तुरंत बाहर निकला और मार्केट से एक कॉन्डम का डिब्बा ले आया. उसमें 10 कॉन्डम थे. अब मैं सही मौके का इंतजार करने लगा.
मैंने दीदी की गीली पैंटी निकाली और उसको मुंह पर लगा कर लंड को रगड़ने लगा.
उसकी पैंटी से आ रही उसके प्रिकम की खुशबू मेरी सांसों में घुलने लगी. मेरा लौड़ा फटने को हो गया. मैंने पैंटी को जीभ से चाटा. मैंने अपने लंड को वापस तना हुआ ही अंदर दबा लिया. मैंने मन बना लिया था कि दीदी की चूत मैं घर जाकर नहीं बल्कि यहीं पर चोदनी है.
मैं तुरंत बाहर निकला और मार्केट से एक कॉन्डम का डिब्बा ले आया. उसमें 10 कॉन्डम थे. अब मैं सही मौके का इंतजार करने लगा.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.