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Incest बहन के जिस्म का
#23
उसने मेरी पैन्टी भी निकाल दी और मेरी गीली हो चुकी चूत पर हमला बोल दिया. उसने मेरे लहंगे के अंदर ही मेरे चूतड़ों को पकड़ कर अपनी जीभ को मेरी चूत में घुसा दिया. मैं तो जैसे होश में ही नहीं रह गयी थी.

मैं उसके सिर को अपनी चूत में दबाने लगी. इतनी गर्म हो गयी थी कि मैं अगले कुछ मिनट में ही झड़ गयी. झड़ने में पहली बार मुझे इतना आनंद मिला था. मेरा भाई विशाल सच में बहुत मस्त तरीके से चूत को चूसता था.

जब तक मैंने खुद को संभाला तो मैंने पाया कि मेरा लहंगा मेरी कमर तक उठ गया था. उसका 8 इंच का लौड़ा मेरी चूत पर लगा कर वो मेरी चूत को सहला रहा था. उसका खूंखार लंड देख कर मैं तो सहम सी गयी.

मैं सोचने लगी कि अगर इस मूसल लंड से अभी चुदने लग गयी तो चीखें निकल जायेंगी और सबको पता लग जायेगा.
मैंने पूछा- कॉन्डम कहां हैं?
वो बोला- मेरे पास नहीं है.

इतने में ही फोन की रिंग बजने लगी. मैंने देखा तो मां का फोन था.
“कहां है तू?” मां ने पूछा.
मैंने कहा- बस अभी आती हूं मम्मी.

वो बोली- मैंने जो काम दिया था वो किया कि नहीं?
मैंने कहा- हां हो गया मां, बस अभी नीचे ही आ रही हूं.

फोन रखने के बाद मैंने विशाल से कहा- चल उठ, मां बुला रही है.
वो मुझसे रुकने की मिन्नत करने लगा.
मैंने उसको समझाते हुए कहा- पागल हो गया है क्या, हम लोग शादी में आये हुए हैं. मां ने बहुत सारा काम दिया हुआ है. वैसे भी शादी खत्म होने वाली है. नीचे सब लोग वेट कर रहे हैं. मैं काफी देर से गायब हूं. अभी रिस्क है.

विशाल बोला- प्लीज दीदी … एक बार करने दो.
मैंने कहा- नहीं, अभी हमारे पास सेफ्टी भी नहीं है.
ये सुनकर उसका मुंह उतर गया.
मैंने कहा- अच्छा ठीक है. अभी के लिए जा. हम घर पहुंच कर देखेंगे.

ये सुनकर उसके चेहरे पर फिर से मुस्कान आ गयी.
वो बोला- आइ लव यू दीदी.
मैंने कहा- आइ लव यू टू … अब तू निकल यहां से, वरना दोनों पकड़े जायेंगे.

उसने मेरी गीली पैंटी को देख कर कहा- अब ये तो आपके किसी काम की नहीं है.
मैंने अपनी गीली पैंटी उसके मुंह पर दे मारी और उससे बोली- ये ले … खा ले इसको … अब निकल यहां से.
वो चला गया.

विशाल ने बेड की सारी सजावट खराब कर दी थी. मुझे सारा काम दोबारा से करना पड़ा लेकिन साथ ही खुशी भी हो रही थी. मैंने अपने कपड़े ठीक किये और थोड़ा सा मेकअप किया और फिर से नीचे आ गयी.
वो मुझे कहीं पर दिखाई नहीं दिया.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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RE: बहन के जिस्म का - by neerathemall - 09-03-2022, 03:55 PM



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