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Incest बहन के जिस्म का
#19
मैंने कहा- “तू? तू यहाँ क्या कर रहा है?”
वो दरवाजा बंद करके मेरी तरफ बढ़ा।

मैं बाहर की ओर जाने लगी. उसने मेरे हाथ को पकड़ लिया और मुझे अपनी ओर खींचते हुए बोला- दीदी सुन तो सही.
मैंने हाथ झटकते हुए कहा- मुझे तेरी कोई बात नहीं सुननी है.

उसने मुझे दीवार के सहारे अपनी मजबूत बांहों के नीचे दबा लिया. मेरे होंठों के पास अपने होंठ लाकर बोला- दीदी, आपको मेरी बात सुननी ही होगी.
मैंने कहा- मुझे तुझसे कोई बात नहीं करनी. तूने मुझे अधनंगी छोड़ दिया. गलती मेरी ही थी. तू भी अश्विन के जैसा ही निकला. तूने मेरी इन्सल्ट की है.

ये कहते हुए मेरी आंखों में आंसू आ गये.
वो मेरे गालों से अपने गाल सटाते हुए बोला- नहीं दीदी, आप गलत सोच रही हो. मैं घबरा गया था. ऐसा कुछ नहीं है जैसा आप सोच रही हो. एक बार मेरी बात तो सुन लो.

मैंने छुड़ाने की कोशिश की लेकिन उसकी पकड़ मजबूत थी. इसलिए मैं छुड़ा नहीं पायी.
उसने बोलना शुरू किया- दीदी मैं स्कूल के दिनों से ही आपको पसंद करने लगा था. आपके पीछे बैठ कर आपको देखता रहता था. आपके सेक्सी जिस्म के बारे में सोच कर न जाने कितनी बार मैंने … (मुठ मारी हुई है)

वो कहते हुए ही रुक गया.
फिर बोला- आज तक मैंने सिर्फ आपको सपने में ही देखा है. उस दिन के लिए मैं दिल से सॉरी कह रहा हूं. आई लव यू दीदी.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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RE: बहन के जिस्म का - by neerathemall - 09-03-2022, 03:34 PM



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