09-03-2022, 03:33 PM
मुझे पता था ये गांडू कुछ न कुछ गड़बड़ करेगा। मुझे अधनंगी करके मुझे गर्म करके छोड़ गया। पहली बार उसके भोलेपन पर मुझे प्यार नहीं बल्कि गुस्सा आ रहा था। यहाँ एक हॉट लड़की चूत खोले अपनी जवानी परोस रही है और इसे फालतू चीजों की पड़ी है।
मुझे बड़ा ही अपमान महसूस हुआ। शायद मुझमें ही कुछ कमी है. ऐसे हीन भाव आने लगे मेरे मन में। मैं मन मारकर सो गई।
सुबह मैं उठी तो मेरे बगल में मेरे सूखे हुए कपड़े रखे हुए थे। भाई कमरे में नहीं था। मैं तैयार होकर बाहर आई. बाहर गाड़ी खड़ी थी। भाई काउंटर के पास मेरा इन्तजार कर रहा था। हमने चेक आउट किया। फिर से गाड़ी में हम नाना के घर के लिए निकल गए।
गाड़ी में सब शांत था. दोनों में से कोई किसी से बात नहीं कर रहा था। एक दो बार उसने बात करने की कोशिश की लेकिन मैंने कुछ रेस्पोन्स नहीं दिया.
हम नानी के घर पहुँच गए. गाड़ी से उतरते समय भी उसने मुझे बात करना चाहा लेकिन मैंने उसे अनदेखा कर दिया और वहाँ भीड़ के साथ हो लिये हम दोनों.
अगले दो दिनों तक मैं खूब मस्त रही, उसे इग्नोर करती रही। इस बीच उसने कई बार मुझसे बात करना चाही लेकिन मैं जान बूझकर मौका नहीं दे रही थी।
शादी का दिन आ गया। दुल्हन भी सजी, मैं भी सज गयी। मैंने एक मॉडर्न लहंगा पहना था. नेट वाली स्लीव लेस चोली था। वन साइडेड दुपट्टा था जिसमें मेरी नंगी पीठ और पेट साफ नजर आ रहे थे। मेरी पतली कमर, फूले हुए स्तन अलग से चमक रहे थे। ऐसा लग रहा था कि मैं लड़कों के आकर्षण का केंद्र बन गयी थी.
मैं खुद सोच में पड़ गयी थी कि एक पढा़ई करने वाली लड़की पटाखा कैसे बन गयी. मेरी मां ने मुझे दूल्हे यानि कि मेरे मामा का कमरा सजाने के लिए काम दे दिया था.
कमरे को सजाने के काम में मैं लग गयी. तभी विशाल कमरे में आया और दरवाजा बंद करने लगा.
मुझे बड़ा ही अपमान महसूस हुआ। शायद मुझमें ही कुछ कमी है. ऐसे हीन भाव आने लगे मेरे मन में। मैं मन मारकर सो गई।
सुबह मैं उठी तो मेरे बगल में मेरे सूखे हुए कपड़े रखे हुए थे। भाई कमरे में नहीं था। मैं तैयार होकर बाहर आई. बाहर गाड़ी खड़ी थी। भाई काउंटर के पास मेरा इन्तजार कर रहा था। हमने चेक आउट किया। फिर से गाड़ी में हम नाना के घर के लिए निकल गए।
गाड़ी में सब शांत था. दोनों में से कोई किसी से बात नहीं कर रहा था। एक दो बार उसने बात करने की कोशिश की लेकिन मैंने कुछ रेस्पोन्स नहीं दिया.
हम नानी के घर पहुँच गए. गाड़ी से उतरते समय भी उसने मुझे बात करना चाहा लेकिन मैंने उसे अनदेखा कर दिया और वहाँ भीड़ के साथ हो लिये हम दोनों.
अगले दो दिनों तक मैं खूब मस्त रही, उसे इग्नोर करती रही। इस बीच उसने कई बार मुझसे बात करना चाही लेकिन मैं जान बूझकर मौका नहीं दे रही थी।
शादी का दिन आ गया। दुल्हन भी सजी, मैं भी सज गयी। मैंने एक मॉडर्न लहंगा पहना था. नेट वाली स्लीव लेस चोली था। वन साइडेड दुपट्टा था जिसमें मेरी नंगी पीठ और पेट साफ नजर आ रहे थे। मेरी पतली कमर, फूले हुए स्तन अलग से चमक रहे थे। ऐसा लग रहा था कि मैं लड़कों के आकर्षण का केंद्र बन गयी थी.
मैं खुद सोच में पड़ गयी थी कि एक पढा़ई करने वाली लड़की पटाखा कैसे बन गयी. मेरी मां ने मुझे दूल्हे यानि कि मेरे मामा का कमरा सजाने के लिए काम दे दिया था.
कमरे को सजाने के काम में मैं लग गयी. तभी विशाल कमरे में आया और दरवाजा बंद करने लगा.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
