09-03-2022, 01:15 PM
कुछ ही दिनों में हम दोनों के अन्दर एक दूसरे के लिए इतनी बेचैनी बढ़ गई कि जल्दी मिलने को जी करने लगा.
कुछ समय बाद मैं वापिस घर आया तो मालूम हुआ कि मेरे मामा का अपेंडिक्स का ऑपरेशन हुआ है.
आशिमा दीदी भी उसी शहर में रहती थीं. मामा के खाने का इंतज़ाम उनके घर से ही होता था तो मैं मामा से मिलने अस्पताल गया.
मैं मामा से मिलने के बाद आशिमा दीदी के साथ उनके घर चला गया.
हम दोनों को ही इसी पल का इंतजार था.
कुछ समय बाद मैं वापिस घर आया तो मालूम हुआ कि मेरे मामा का अपेंडिक्स का ऑपरेशन हुआ है.
आशिमा दीदी भी उसी शहर में रहती थीं. मामा के खाने का इंतज़ाम उनके घर से ही होता था तो मैं मामा से मिलने अस्पताल गया.
मैं मामा से मिलने के बाद आशिमा दीदी के साथ उनके घर चला गया.
हम दोनों को ही इसी पल का इंतजार था.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.