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Adultery मस्तराम के मस्त किस्से
शालिनी वैसे ही दोनों पैर बिस्तर से नीचे लटकाए लेट गई। गोरा कमसिन बदन, फैली जांघों के बीच से झांकती चिकनी गुलाबी चूत। वहां अगर कोई मर्द होता तो इस दृश्य को देखकर कर है मदमस्त हो शालिनी को सांड की तरह चोदने लगता। पर शालिनी प्यासी लेटी थी। गीलापन अब उसकी चूत पर नहीं, उसकी आंखों में थी। दोनों आंखों के कोने से अश्रूधारा बह कर चादर को गीला कर रहे थे। शालिनी निर्जीव की तरह घंटो वैसे ही लेटी रही। फिर कमरे में बने मिनी बार से व्हिस्की पिया, टीवी ऑन करके चैनल बदलती रही। शराब के नशे और नंगे बदन ने शायद शालिनी को उत्तेजित कर दिया था। वो सोफे पर बैठ गई और सेंटर टेबल पर दोनों पैरों को रख कर अपने पैरों को फैला दिया। एक हाथ में मोबाइल रख कर उसपर पॉर्न चला दिया। म्यूट करके नहीं, फूल वॉल्यूम पर। दूसरे हाथ से उसने पहले अपने स्तन को मसला, फिर चूत को। कभी क्लिट को मसलती तो कभी उंगली अंदर डालती।

फिर शालिनी उठ कर इधर उधर देखने लगी, बाथरूम में गई, वहां से एक टूथब्रश ले आई। फिर वैसे ही बैठ कर चूत में ब्रश घुसा कर अंदर बाहर करने लगी। पर शायद ब्रश से उसे तृप्ति नहीं मिल रही थी। थोड़ी देर में वो फिर उठी, अपने बैग को खोल उसमें से कंडीशनर का बोतल निकाली। ये मोटा था। पहले बोतल को उसने अपने चूत और क्लिट पर रगड़ा। फिर अपना थूक डाल कर बोतल को गीला किया और बोतल अंदर घुसाने लगी। थोड़ी देर बोतल अंदर बाहर करने के बाद उसने बोतल को गुस्से में फेंक दिया और बिस्तर पर जा कर तकिए से लिपट फूट फूट कर रोने लगी। रोते रोते वो कब सो गई उसे पता ही नहीं चला। पर अभी उसे जोरों की पेशाब लगी थी।
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RE: मस्तराम के मस्त किस्से - by modern.mastram - 05-03-2022, 01:50 AM



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