01-03-2022, 10:35 PM
(This post was last modified: 27-03-2022, 08:55 AM by modern.mastram. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
शालिनी ने हंसते हुए कहा "दिखने दो, यहां न कोई मुझे पहचानता है, न तुम्हें।" शालिनी ने अपना पैंटी सागर की लहरों में बहा दिया और मनीष के हाथ को पकड़ कर अपने जांघों के बीच रख दिया। "अब तुम्हारी बारी।" मनीष ने उंगलियों से शालिनी के चूत के दरवाज़े को खटखटाया। शालिनी ने पैर को फैला कर दरवाज़े को खोल दिया। पानी के अंदर भी चूत पर गीलापन था। मनीष की उंगली फिसलती हुई अंदर जा घुसी। शरारती शालिनी ने अपने ड्रेस में हाथ घुसा कर ब्रा के हुक को खोल दिया। फिर थोड़ा जिम्नास्टिक और थोड़ा नृत्य कला का प्रयोग कर ड्रेस के भीतर से ब्रा को खींच कर बाहर निकाल दिया। ब्रा भी लहरों पर तैरता हुआ पैंटी को पकड़ने निकल पड़ा। शालिनी का गीला ड्रेस उसके स्तन से ऐसे चिपका था कि अगर ड्रेस सफेद होता तो आप बता ही नहीं सकते थे कि शालिनी ने कपड़े पहने हैं या नहीं। लाल ड्रेस में भी आप उसके निप्पल का स्थान और स्थिति साफ साफ देख सकते थे। मनीष कपड़े के बाहर से दिख रहे निप्पल से असहज हो रहा था कि शालिनी ने ड्रेस को एक किनारे सरका कर अपने निप्पल को बाहर किया और मनीष के सिर को पकड़ कर अपने छाती पर दबा दिया। बेबस मनीष अपनी बीबी के निप्पल को खुले में कैसे छोड़ता? उसने निप्पल को मुंह में ले लिया। वर्षों से प्यासी शालिनी तड़पने लगी। "चलो, रूम में चलते हैं।"
इस सीरीज के अन्य रोचक कहानियों को पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।
मॉडर्न मस्तराम के अन्य कहानियों एवं उपन्यासों के लिए यहां क्लिक करें।
मनीष के जान में जान आई। शालिनी के शरारत से बेचारा ऐसे शर्मिंदा हो रहा था जैसे भीड़ के सामने किसी ने मनीष को नंगा कर दिया हो। शालिनी के ड्रेस को ठीक कर उसके हाथ को पकड़ वो समुन्द्र से बाहर निकला। बिना ब्रा और पैंटी के शालिनी की बदन से चिपका उसका पतला वन पीस ड्रेस उसके बदन की हर गहराई और ऊंचाई के भेद खोल रहा था। बीच पर खड़े मनचले और शरीफ, चाहे अकेले हो या अपने जोड़े के साथ, सब शालिनी को घूर रहे थे। उनकी नजर शालिनी की उत्तेजना को बढ़ा रही थी तो मनीष के शर्मिंदगी को। "सब तुम्हें ही घूर रहे हैं।" मनीष ने धीरे से कहा।
"घूरने दो और खुश हो, तुम्हारी बीबी सेक्सी है।" शालिनी ने इठलाते हुए कहा।
इस सीरीज के अन्य रोचक कहानियों को पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।
मॉडर्न मस्तराम के अन्य कहानियों एवं उपन्यासों के लिए यहां क्लिक करें।
मनीष के जान में जान आई। शालिनी के शरारत से बेचारा ऐसे शर्मिंदा हो रहा था जैसे भीड़ के सामने किसी ने मनीष को नंगा कर दिया हो। शालिनी के ड्रेस को ठीक कर उसके हाथ को पकड़ वो समुन्द्र से बाहर निकला। बिना ब्रा और पैंटी के शालिनी की बदन से चिपका उसका पतला वन पीस ड्रेस उसके बदन की हर गहराई और ऊंचाई के भेद खोल रहा था। बीच पर खड़े मनचले और शरीफ, चाहे अकेले हो या अपने जोड़े के साथ, सब शालिनी को घूर रहे थे। उनकी नजर शालिनी की उत्तेजना को बढ़ा रही थी तो मनीष के शर्मिंदगी को। "सब तुम्हें ही घूर रहे हैं।" मनीष ने धीरे से कहा।
"घूरने दो और खुश हो, तुम्हारी बीबी सेक्सी है।" शालिनी ने इठलाते हुए कहा।