26-02-2022, 10:04 PM
(This post was last modified: 27-03-2022, 08:48 AM by modern.mastram. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
मनीष को मिलने वाले प्रमोशन, बोनस और इज्जत से तो शालिनी खुश थी, पर उसके दिन रात काम करने से नहीं। अकसर मनीष ऑफिस के काम से बाहर रहता और जब घर पर होता तब भी काम में व्यस्त। कभी कभी शालिनी मूड में होती, मनीष को रिझाने के लिए पारदर्शी नाइटी में, बिना ब्रा पैंटी के उसके पास आती। मनीष उसे प्यार से चूम कर कहता "तुम बेडरूम में चलो, मैं अभी पांच मिनट में काम ख़त्म करके आता हूं।" आधे घंटे बाद शालिनी उसे याद दिलाती "बस खत्म हो ही गया, दो मिनट और।" दो घंटे बाद मनीष जब बेडरूम पहुंचता तो शालिनी या तो सो चुकी होती, या गुस्से में सोने का ड्रामा करती। बेचारा मनीष नींद में सोई शालिनी के सेक्स के लिए जगाना उचित नहीं समझता और शालिनी प्यासी ही रह जाती।
जैसे जैसे समय बीत रहा था वैसे वैसे शालिनी की अतृप्त पिपासा उसके क्रोध को धीमे आंच पर पका रही थी। अब शालिनी को मनीष के हर बात से चिढ़ होने लगी थी। शालिनी ने शराब पीना शुरू कर दिया था और जब भी मनीष उसे टोकता या मना करता तो मनीष को ऐसी खड़ी खोटी सुनाती कि मनीष बेचारा कुछ नहीं बोल पाता। दोनों के बीच तनाव बढ़ता जा रहा था। हर पर्व, हर त्योहार, हर मौका चाहे शालिनी का बर्थडे हो, शादी की एनिवर्सरी हो या फिर वेलेंटाइन डे अगर मनीष घर पर है तो झगड़ा होना तय था। मनीष शालीन था तो शालिनी आक्रामक। मनीष चाहे जो बोले, जवाब में उसे बुरा भला सुनने को मिलता। सारे झगड़े में मनीष का कहना था कि वो जो भी कर रहा दोनों की खुशी के लिए कर रहा। दिन रात एक करके मेहनत कर रहा तो शालिनी सोसायटी में सम्मान से रहे, उसकी आवश्यकताएं पूरी हो सके, उसके और आने वाले पीढ़ी के भविष्य को सुरक्षित करने के लिए कर रहा। शालिनी खुल कर कभी ये नहीं कह पाती कि उसकी आवश्यकताओं में एक आवश्यकता शारीरिक सुख भी है; सानिध्य, आलिंगन, संभोग भी है। अपना फ्रस्ट्रेशन शालिनी मनीष को बुरा भला कह कर निकलती।
जैसे जैसे समय बीत रहा था वैसे वैसे शालिनी की अतृप्त पिपासा उसके क्रोध को धीमे आंच पर पका रही थी। अब शालिनी को मनीष के हर बात से चिढ़ होने लगी थी। शालिनी ने शराब पीना शुरू कर दिया था और जब भी मनीष उसे टोकता या मना करता तो मनीष को ऐसी खड़ी खोटी सुनाती कि मनीष बेचारा कुछ नहीं बोल पाता। दोनों के बीच तनाव बढ़ता जा रहा था। हर पर्व, हर त्योहार, हर मौका चाहे शालिनी का बर्थडे हो, शादी की एनिवर्सरी हो या फिर वेलेंटाइन डे अगर मनीष घर पर है तो झगड़ा होना तय था। मनीष शालीन था तो शालिनी आक्रामक। मनीष चाहे जो बोले, जवाब में उसे बुरा भला सुनने को मिलता। सारे झगड़े में मनीष का कहना था कि वो जो भी कर रहा दोनों की खुशी के लिए कर रहा। दिन रात एक करके मेहनत कर रहा तो शालिनी सोसायटी में सम्मान से रहे, उसकी आवश्यकताएं पूरी हो सके, उसके और आने वाले पीढ़ी के भविष्य को सुरक्षित करने के लिए कर रहा। शालिनी खुल कर कभी ये नहीं कह पाती कि उसकी आवश्यकताओं में एक आवश्यकता शारीरिक सुख भी है; सानिध्य, आलिंगन, संभोग भी है। अपना फ्रस्ट्रेशन शालिनी मनीष को बुरा भला कह कर निकलती।