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Adultery मस्तराम के मस्त किस्से
#74
दूसरा हनीमून

सुबह के 9:30 बज रहे थे। सफेद पर्दे से छन कर कांच की खिड़की से सूरज की रोशनी शालिनी के आंखों पर पड़ रही थी। शालिनी बिना एक भी कपड़ों के तकिए से लिपट कर सो रही थी। 32 वर्ष की शालिनी का शरीर संगमरमर सा सफेद और भरा पूरा था। बड़े और सुडौल स्तन। एक स्तन तकिए के ऊपर था जिस पर की गुलाबी निप्पल सफेद तकिए को चूम रही थी। दूसरा स्तन तकिए के नीचे दबा था। नितम्ब बिल्कुल फुटबाल सा गोल। एक पैर सीधा तो दूसरा पैर मुड़ कर शालिनी के पेट के पास था जिससे उसके जांघों के बीच की दरार स्पष्ट दिख रही थी। पर कामना की मूर्ति शालिनी उस फाइव स्टार रिजॉर्ट के कमरे में अकेली थी। देर रात को शराब पीने के बाद रोते रोते वो कब सो गई उसे पता भी नहीं चला। उसके गुलाबी मुलायम गाल पर अभी भी सूखे हुए आंसू के निशान थे। वो और सोना चाहती थी, पर उसे ज़ोर की पेशाब लगी थी।

शालिनी अपने पति मनीष के साथ रिजॉर्ट दूसरे हनीमून पर आई थी। मनीष मेहनती और महत्वाकांक्षी मनुष्य था और एक मल्टीनेशनल कंपनी में मार्केटिंग मैनेजर था। अपनी मेहनत और लगन से वो कंपनी के बड़े अफसरों को चहेता बन गया था। कंपनी में कोई भी कठिन काम हो, चाहे मार्केटिंग डिपार्टमेंट का हो या न हो, सीनियर हमेशा मनीष को खोजते। मनीष ने कभी उन्हें निराश नहीं किया था, और वो भी मनीष को निराश नहीं करते। जितनी तेज़ी से मनीष को प्रमोशन मिलता था शायद ही कंपनी के इतिहास में कोई उतनी तेज़ी से ऊपर उठा हो। बोनस और इंसेंटिव के अलावा मनीष की कंपनी में जो सम्मान, जो प्रतिष्ठा मिलती थी वो मनीष के लिए प्रेरणस्रोत थी। मनीष मशीन की तरह दिन रात एक कर काम करता।

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RE: मस्तराम के मस्त किस्से - by modern.mastram - 25-02-2022, 10:39 PM



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