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Adultery मस्तराम के मस्त किस्से
#62
"तुम नंगी बहुत मस्त दिखती हो। नंगी ही रहो।"

"अच्छा, ताकि जो भी मर्द मुझे देखे मेरा रेप करते रहे?"

"अभी 12-15 किलोमीटर तक कोई बस्ती नहीं। जब बस्ती आएगी तो पहन लेना। तब तक नंगी रहो।"

ओह! आदिमानव की तरह खुले आसमान के नीचे निर्वस्त्र, निफिक्र आजाद होकर घूमना। ये तो साइमा के भी एरोटिक एडवेंचर के मेनू में नहीं था। पर इस विचार से उसकी ज्वालामुखी फिर सुलगने लगी। "ठीक है, पर तुम लोग भी नंगे रहोगे?"

उन्हें क्या आपत्ती हो सकती थी? तीन आदिमानवों का झुंड, सारी सभ्यता से दूर, इन्सान द्वारा बनाए सारे नियम, सारे बंधनों से मुक्त प्रकृति की गोद में नंगे बदन मंज़िल की ओर बढ़ गए। आप कल्पना कर सकते हैं कि तीनो का कामक्रीड़ा पुनः प्रारंभ होने में अधिक समय नहीं लगा होगा। उत्तरकाशी पहुंचने से पहले तीनों के बीच त्रिशंकु संभोग का तीन तीन सत्र चला। साइमा ने त्रिशंकु संभोग के जितने आसनों को पॉर्न में देखा था, जितनों की कल्पना की थी और जिन आसनों की कल्पना उसने कभी कल्पना भी नहीं की थी, उन सारे आसनों में, अपने सारे छिद्रों में उसने संभोग का आनंद लिया।

शाम होने पर साइमा को मोबाइल सिग्नल मिलने लगा था। हंसों से संपर्क हुआ। उत्तरकाशी पहुंच कर साइमा ने दोनों से पूछा "अगर तुम लोग फॉरेस्ट डिपार्टमेंट से नहीं हो तो फिर कौन हो? और उस रास्ते पर क्या कर रहे थे।"


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RE: मस्तराम के मस्त किस्से - by modern.mastram - 23-02-2022, 09:29 PM



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