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Adultery मस्तराम के मस्त किस्से
#57
दूर दूर तक कोई नहीं था। इस आजादी ने साइमा को सारे बंधनों से मुक्त कर दिया था। वो आनंद से उन्माद में आ ज़ोर ज़ोर से चीख रही थी, चिल्ला रही थी। "आह! फक मि हार्डर! ओह येस। ओह या।" उसकी बहुत दिनों से इच्छा थी कि चुदाई के समय वो पोर्नस्टार की तरह चीखे, चिल्लाए, आवाज़ निकाले पर इमरान के साथ चुदाई हमेशा चोरी छुपे होती। कभी किसी फ्रेंड के घर तो कभी इमरान के हॉस्टल में। ऐसे में उसे चुप चाप चुदना पड़ता था। आस पास कोई नहीं, खुले आसमान के नीचे, दो अजनबियों के साथ वाइल्ड सेक्स। साइमा आजाद थी, उन्मुक्त थी, उत्तेजना से पागल थी। वो ज़ोर ज़ोर से चीख रही थी, आवाज़ निकाल रही थी। आवाज़ पहाड़ों से टकरा कर हिमालय की हंसी वादियों में गूंज रही थी। आवाज़ सुन कर उन दोनों जानवरों का हवस बढ़ता जाता, हवस बढ़ने से चुदाई की गति, गति बढ़ने से साइमा की आवाज और फिर आवाज़ से हवस।

तीन दिनों से प्यासी, उत्तेजना से भरी कामुक साइमा दो अनुभवी जानवरों की चुदाई कितनी देर तक झेलती? सिंफनी के क्लाइमैक्स की तरह चुदाई का बीट तेज़ हो रहा था, उत्तेजना आरोहण पर थी। एक विस्फोट के साथ साइमा चरम पर पहुंची। साइमा के झड़ने के बाद उसकी चूत ने राजीव के लंड को जकड़ लिया। इस एहसास को राजीव नहीं झेल पाया और उसने भी धार छोड़ दी। जब दोनों विकेट गिर चुके थे तो नीरज ने भी अपनी गति बढ़ा कर साइमा के मुंह को अपने वीर्य से भर दिया।

तीनो नंगे बदन, पसीने से लथपथ, खुले आसमान के नीचे, ऊंचे पहाड़ की ओट में, झरने की मधुर संगीत और नदी के कल कल छल छल के निकट आनंद से बेसुध बेफिक्र लेट गए। थोड़ी देर बाद साइमा उठी और अपने ब्रा की तरफ बढ़ी। नीरज ने अपने पैर से ब्रा को धक्का दे नदी में बहा दिया। "अब क्यों फेंक रहे हो? अब क्या चाहिए?"


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RE: मस्तराम के मस्त किस्से - by modern.mastram - 22-02-2022, 09:00 PM



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