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Adultery मस्तराम के मस्त किस्से
#47
"प्लीज़ बैग मत फेंकना। मैं फुल्ली कॉपरेट कर रही हूं। तुम प्लीज़ मेरे इज्जत का भी खयाल रखो। सबके सामने मुझे जलील करके तुम्हें क्या मिलेगा?"

"हम्म! ओके, डन। तुम हमारी बात मानो, हम तुम्हारी मानेंगे। पर पहले टॉप तो उतारो।" राजीव ने अपने शर्ट के बटन खोलते हुए बोला।

धीरे धीरे साइमा का भय खत्म हो रहा था और एक्साइटमेंट बढ़ रहा था। अबतक उसने थ्रीसम केवल पॉर्न में देखा था। उसने सपने में भी नहीं सोचा था कि वो कभी थ्रीसम कर पाएगी। दो मर्दों के साथ संभोग में जो जो संभावनाएं थीं उनके कल्पना मात्र से ही कामुक साइमा का ज्वालामुखी और दहकने लगा था। ज्वालामुखी से गरमा गर्म लावा बहने लगा था। साइमा का जब तक टॉप उतरा तब तक राजीव अपना शर्ट उतार चुका था। उसने ब्रा में कैद साइमा की चूचियों पर अपना एक हाथ रखा और दूसरे हाथ से साइमा के कमसिन हाथ को पकड़ कर अपने पैंट पर रख दिया। साइमा को शर्म करने में कोई सार्थकता नहीं दिख रही थी। जब चुदना ही है तो मज़े लेकर चुदो। उसने मादक नज़रों से राजीव की आंखों में देखा और एक भीनी सी मुस्कान के साथ बड़ी नज़ाकत से राजीव के लंड को पैंट के ऊपर से दबाया।

राजीव ने चूची पर प्रेशर बढ़ाया तो साइमा ने लंड पर। राजीव ने साइमा के हाथ को छोड़ उसकी नंगी गांड को पकड़ लिया। गांड को मसलते हुए उसने साइमा के जिस्म को अपने बदन पर दबाया और उसके नरम मुलायम गुलाबी होंठों पर अपना होंठ रख दिया। साइमा ने दूसरे हाथ से राजीव का सिर पकड़ लिया और साथ देते हुए अपना मुंह खोल कर उसे चूमने लगी। मुंह खुला मिला तो राजीव का जीभ अंदर घुसा। साइमा राजीव के जीभ को अपने जीभ से तो उसके लंड को अपने हाथ से रगड़ने लगी।

[Image: SS01.jpg]

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RE: मस्तराम के मस्त किस्से - by modern.mastram - 19-02-2022, 05:59 PM



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