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Adultery मस्तराम के मस्त किस्से
#38
"जूता से पत्थर पर ग्रिप नहीं बन रहा। खाली पैर ऊपर चढ़ने में आसानी होगा।" पत्थर से लटकी साइमा ऐसे डरी हुई थी मानो फांसी से लटकी हो। अगर राजीव ने उसे छोड़ दिया तो वो सीधा झरना के पानी में गिरेगी जहां पानी का फोर्स उसे नदी में धकेल देगा। नदी में गई तो उस बेचारी की अस्थियां बिना दाह संस्कार के ही गंगाजल में विसर्जित हो जाएंगी। जूता उतरने के बाद उसे अपना पजामा सरकता महसूस हुआ। पहले तो उसे लगा कि गीला होकर भारी हो गया है और वजन से फिसल रहा। पर जब उसने देखा कि राजीव ने उसे ऊपर खींचना बंद कर दिया है तो उसे मामला समझ आ गया। तब तक उसका पैंट सरक कर नितम्ब तक आ चुका था। "नहीं! प्लीज, क्या कर रहे हो? छोड़ो मुझे।"

राजीव ने मुस्कुराते हुए कहा "सच में छोड़ दूं?"

"नहीं, प्लीज! क्यों कर रहे हो ऐसे?"

नीरज ने पैंट को घुटने तक सरकाते हुए कहा "क्योंकि तुम एक सेक्सी माल हो।"

"देखो, मैं तुम लोगों के अगेंस्ट फॉरेस्ट डिपार्टमेंट में कंप्लेन कर दूंगी। तुम्हारी जॉब चली जाएगी।" उसका पैंट उतर चुका था। नीरज ने पैंट को नदी में फेंक दिया। साइमा अपने सामने पैंट को नदी में बहती देखती रह गई।

राजीव ने हंसते हुए कहा "तुम्हें सही में लगता है कि हम फॉरेस्ट डिपार्टमेंट से हैं?"

नीरज ने नितम्बों को मसलते हुए कहा "फॉरेस्ट डिपार्टमेंट में न तो वाइल्ड लाइफ प्रोटेक्शन फोर्स होता है और न ही उसका कोई एंटी पोचिंग एंड स्मगलिंग यूनिट है। बाय द वे, तुम्हारी गांड मस्त है।"

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RE: मस्तराम के मस्त किस्से - by modern.mastram - 18-02-2022, 05:14 PM



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