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Adultery मस्तराम के मस्त किस्से
#33
आगे आई बड़ी चुनौती। एक झरने को पार कर बड़े से चट्टान पर चढ़ना था। चट्टान के एक तरफ तेज़ बहती नदी थी तो दूसरी तरफ दीवार की तरह खड़ी पहाड़। "ये तो बहुत डेंजरस है। कोई और रास्ता नहीं है?"

"आप घबराओ मत, हम हैं न।"

"नहीं बाबा। मैं गिर जाऊंगी। प्लीज़ किसी दूसरे रास्ते से ले चलिए।"

"उसके लिए तो हमें वापस लौटना होगा, फिर ऊपर चढ़ कर जाना होगा। बहुत टाइम लगेगा। बस इतना दूर ही प्रॉबलम है, इसके बाद घाटी फ्लैट हो जाती है। आप चलो, हम इस रास्ते से कई बार आए गए है। हमारे रहते कोई प्रॉबलम नहीं होगी।"

साइमा आगे बढ़ी और लड़खड़ा कर पानी में गिर गई। दोनों ने पकड़ कर उसे उठाया। पर उसका कपड़ा गीला हो चुका था। ढीला ट्रेक सूट गीला होकर साइमा के बदन से चिपक चुका था। सबकुछ ढका हुआ होकर भी सबकुछ दिख रहा था। राजीव आगे के गोलार्धों को घूर रहा था तो नीरज पीछे के। गोलाईयों को देख कर दोनों की लंबाई बढ़ी जा रही थी। राजीव और नीरज की नज़रें मिली, आंखों ही आंखों में वार्तालाप हुई, दोनों का तम्बू खड़ा हो गया। राजीव उस चट्टान पर आसानी से चढ़ गया। पर चट्टान की ऊंचाई साइमा के पहुंच से अधिक थी। गीली साइमा का गीला हाथ, पैर और बदन पत्थर पर फिसल रहा था। राजीव ने मदद को हाथ बढ़ाया तो नीरज ने नीचे से साइमा को हाथ दिया।

राजीव ने साइमा के बांह को पकड़ लिया। साइमा का बदन अभी भी चट्टान से लटका हुआ था। उसे एहसास हुआ कि नीरज का हाथ उसके नितम्ब को दबा रहा है। वो समझ नहीं पा रही थी कि नीरज उसे ऊपर धकेल रहा या उसके नितम्बों से खेल रहा। राजीव ने थोड़ा और ऊपर खींचा तो नीरज उसके जूते उतारने लगा। "अरे, जूते क्यों उतार रहे हो।"

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RE: मस्तराम के मस्त किस्से - by modern.mastram - 17-02-2022, 09:00 PM



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