19-05-2019, 09:18 AM
(This post was last modified: 06-09-2020, 02:16 PM by komaalrani. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
गिफ्ट पैकेट्स
शाम को मम्मी ने गिफ्ट पैकेट्स खोले जिसे वो सुबह नदीदों की तरह देख रहे थे।
सेक्सी नाइटी, साडी ,शलवार सूट , इरोटिक अंडरगारमेंट्स ,ज्वेलरी ,... ढेर सारी चीजें... मेरे लिए।
वो जलन भरी निगाह से देख रहे थे।
आखिर वो रोक नहीं पाये ,
" मम्मी ,मेरे लिए। ' उनके मुंह से निकल ही गया।
मम्मी भी न। छेड़ने में उनका सानी नहीं है। मुस्करा के वो बोलीं ,
" मैं हूँ न तेरे लिए ,तू ही तो कहता था की मम्मी बस आप आ जाओ ,मुझे कुछ और नहीं चाहिए। "
बेचारे वो।
लेकिन जैसे कई बार मम्मी ( बल्कि अक्सर ) मम्मी पाला बदल कर अपने दामाद की ओर चली जाती थीं ,आज मैंने भी पाला बदल लिया ,और अपने 'उनके ' ओर चली गयी। मैंने उन्हें चढ़ाया ,
" अरे यार देखते क्या हो , फिर देरी किस बात की है ,गिफ्ट रैप खोलना शुरू कर न। "
उनकी निगाह वैसे भी मम्मी की खुली गोरी चिकनी पीठ को सहला रही थी और बैकलेस कच्छी चोली के बस पतले से रेशमी बंध को देख रहे थे।
गदराये कड़े कड़े गोरे गोरे उनके उभार वैसे ही बाहर छलक रहे थे।
ऊपर से मम्मी ने ज़रा सा उनके सामने झुक के एकदम टीट -दर्शन दे दिया , और उनके गोरे गुलाबी शरमाते गाल मींड़ते बोली ,
" एकदम मेरी ओर से पूरी इजाजत है। लेकिन ऐसा कैसे हो सकता है मैं अपने इस प्यारे प्यारे मुन्ने के लिए न लायी होऊं हो। "
और उन्होंने दूसरा पैकेट खोल दिया ,एकदम मेरे ऐसी चीजें ,
गुलाबी नाटी नाइटीज,बेबी डाल,एकदम मेरी जैसी साड़ियां ,थोड़ा सा पैडेड , लेसी ब्रा ( हाँ बस पैंटीज नहीं थीं ) ,सैंडल्स,...
वो छू छू के देख रहे थे तभी माम ने दूसरी एक छोटी अटैची खोली , पुरानी खूब घिसी हुयी साड़ियां दर्जन भर तो रही होंगी।
" ले ,ये तेरे घर में पहनने के लिए ,किचेन में काम करना हो , घर का काम करना हो उस समय। ये मेरी पुरानी साड़ियां है ,मेरी फेवरिट थीं , पहन पहन के घिस गयीं थी , अब इसे बदल के मैं क्या कटोरी ग्लास लेती ,मैंने सोचा तेरे लिए ही ले आऊं। घर का काम भी करता रहेगा तो मेरी याद आती रहेगी। "
उनके गाल एकदम गुलाबी हो गये थे ,लेकिन उनके मुंह से हलके निकल ही गया , " हाँ मम्मी। "
और उसके नीचे ही एक और छोटा सा पैकेट था , जैसे ही मम्मी ने निकाला उनकी निगाहॆ उत्सुकता से वहीँ चिपक गयीं।
मम्मी ने भी उन्हें खूब ललचाते दिखाते धीरे धीरे खोला ,
ढेर सारी पैंटीज ,लेसी ,सिल्कन , ,... लेकिन सब की सब खूब पहनी ,घिसी हुयी। और हलकी सी महक भी माम की ,
" ये भी पहले से पहन रही हैं ,पुरानी है और जब से तेरी बर्थडे थी न तब से ये ही पहन रही थी और ये तो बस आज उतारी है , मेरी देह का सब कुछ रचा बसा है इसमें,... "
वो बोलीं और जो पैंटी मम्मी ने आज उतारी थी ,लेकर सीधे उनके नाक पे लगा दी ,
" अरे वाह देह गंध ,ज़रा सूँघ के देख न , चाहे तो चाट भी ले , अरे मम्मी का ही तो स्वाद मिलेगा,... "
जैसे न चाहते हुए भी उन्होंने गहरी सांस ले के सूँघ ही लिया।
" अरे चाट भी ले न ,इनमें से सब दो तीन दिन कम से कम पहना है और उसके बाद धोया भी नहीं है , ... "
अब मम्मी उनके पीछे पड़ गयी थी।
उनका खूँटा खूब टनटना गया था।
हम दोनों के डबल अटैक के आगे , ...
बस गृहिणियों का पुराना बहाना और पुरानी छिपने की जगह ,
" जा रहा हूँ ,कड़ाही जल रही होगी। " और वो भाग के किचेन में।
शाम को मम्मी ने गिफ्ट पैकेट्स खोले जिसे वो सुबह नदीदों की तरह देख रहे थे।
सेक्सी नाइटी, साडी ,शलवार सूट , इरोटिक अंडरगारमेंट्स ,ज्वेलरी ,... ढेर सारी चीजें... मेरे लिए।
वो जलन भरी निगाह से देख रहे थे।
आखिर वो रोक नहीं पाये ,
" मम्मी ,मेरे लिए। ' उनके मुंह से निकल ही गया।
मम्मी भी न। छेड़ने में उनका सानी नहीं है। मुस्करा के वो बोलीं ,
" मैं हूँ न तेरे लिए ,तू ही तो कहता था की मम्मी बस आप आ जाओ ,मुझे कुछ और नहीं चाहिए। "
बेचारे वो।
लेकिन जैसे कई बार मम्मी ( बल्कि अक्सर ) मम्मी पाला बदल कर अपने दामाद की ओर चली जाती थीं ,आज मैंने भी पाला बदल लिया ,और अपने 'उनके ' ओर चली गयी। मैंने उन्हें चढ़ाया ,
" अरे यार देखते क्या हो , फिर देरी किस बात की है ,गिफ्ट रैप खोलना शुरू कर न। "
उनकी निगाह वैसे भी मम्मी की खुली गोरी चिकनी पीठ को सहला रही थी और बैकलेस कच्छी चोली के बस पतले से रेशमी बंध को देख रहे थे।
गदराये कड़े कड़े गोरे गोरे उनके उभार वैसे ही बाहर छलक रहे थे।
ऊपर से मम्मी ने ज़रा सा उनके सामने झुक के एकदम टीट -दर्शन दे दिया , और उनके गोरे गुलाबी शरमाते गाल मींड़ते बोली ,
" एकदम मेरी ओर से पूरी इजाजत है। लेकिन ऐसा कैसे हो सकता है मैं अपने इस प्यारे प्यारे मुन्ने के लिए न लायी होऊं हो। "
और उन्होंने दूसरा पैकेट खोल दिया ,एकदम मेरे ऐसी चीजें ,
गुलाबी नाटी नाइटीज,बेबी डाल,एकदम मेरी जैसी साड़ियां ,थोड़ा सा पैडेड , लेसी ब्रा ( हाँ बस पैंटीज नहीं थीं ) ,सैंडल्स,...
वो छू छू के देख रहे थे तभी माम ने दूसरी एक छोटी अटैची खोली , पुरानी खूब घिसी हुयी साड़ियां दर्जन भर तो रही होंगी।
" ले ,ये तेरे घर में पहनने के लिए ,किचेन में काम करना हो , घर का काम करना हो उस समय। ये मेरी पुरानी साड़ियां है ,मेरी फेवरिट थीं , पहन पहन के घिस गयीं थी , अब इसे बदल के मैं क्या कटोरी ग्लास लेती ,मैंने सोचा तेरे लिए ही ले आऊं। घर का काम भी करता रहेगा तो मेरी याद आती रहेगी। "
उनके गाल एकदम गुलाबी हो गये थे ,लेकिन उनके मुंह से हलके निकल ही गया , " हाँ मम्मी। "
और उसके नीचे ही एक और छोटा सा पैकेट था , जैसे ही मम्मी ने निकाला उनकी निगाहॆ उत्सुकता से वहीँ चिपक गयीं।
मम्मी ने भी उन्हें खूब ललचाते दिखाते धीरे धीरे खोला ,
ढेर सारी पैंटीज ,लेसी ,सिल्कन , ,... लेकिन सब की सब खूब पहनी ,घिसी हुयी। और हलकी सी महक भी माम की ,
" ये भी पहले से पहन रही हैं ,पुरानी है और जब से तेरी बर्थडे थी न तब से ये ही पहन रही थी और ये तो बस आज उतारी है , मेरी देह का सब कुछ रचा बसा है इसमें,... "
वो बोलीं और जो पैंटी मम्मी ने आज उतारी थी ,लेकर सीधे उनके नाक पे लगा दी ,
" अरे वाह देह गंध ,ज़रा सूँघ के देख न , चाहे तो चाट भी ले , अरे मम्मी का ही तो स्वाद मिलेगा,... "
जैसे न चाहते हुए भी उन्होंने गहरी सांस ले के सूँघ ही लिया।
" अरे चाट भी ले न ,इनमें से सब दो तीन दिन कम से कम पहना है और उसके बाद धोया भी नहीं है , ... "
अब मम्मी उनके पीछे पड़ गयी थी।
उनका खूँटा खूब टनटना गया था।
हम दोनों के डबल अटैक के आगे , ...
बस गृहिणियों का पुराना बहाना और पुरानी छिपने की जगह ,
" जा रहा हूँ ,कड़ाही जल रही होगी। " और वो भाग के किचेन में।