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Adultery मस्तराम के मस्त किस्से
#15
जैसे तैसे साइमा जब ऊपर आई तो कारवां बहुत आगे निकल चुका था। वो दौड़ती हुई बढ़ने लगी पर आगे जाकर एक रास्ता सीधा जा रहा था, एक ऊपर चढ़ रहा था तो एक नीचे घाटी की तरफ जा रहा था। पहाड़ के टेढ़े मेढे पैदल रास्ते में साइमा बहुत आगे तक नहीं देख पा रही थी। उसने हंसों में से 2-3 लोगों को आवाज़ लगाई। पर कोई जवाब नहीं। उसने खुदा पर भरोसा करते हुए नीचे घाटी की तरफ का रास्ता चुना। जल्दी जल्दी कुछ देर चलने के बाद साइमा को एहसास होने लगा कि उसने गलत रास्ता चुन लिया है। वो वापस आई, पर उसे वो मोड़ नहीं मिला जिससे उसने नीचे का रास्ता चुना था। साइमा रास्ता भटक गई थी। उसे टूरिस्ट ऑपरेटरों की तमाम हिदायतें याद आने लगीं। मोबाइल निकाल कर उसने देखा, सिग्नल नहीं मिल रहा था।

घबराई साइमा इधर उधर चल रही थी। कभी किसी रास्ते को पकड़ती, कभी किसी और रास्ते को। उसे समझ नहीं आ रहा था क्या करे, किधर जाए? बेचैन साइमा को दूर, नीचे घाटी में दो आदमी आते दिखे। वो नीचे उतरने लगी। पर जब वो निकट पहुंची तो वो ठिठक गई। वो अकेली लड़की थी, वो कैसे पता करे कि वो दोनों आदमी हैं या दो पैर वाले जानवर? साइमा किंकर्तव्यविमूढ़ सी खड़ी हो गई। वो भटक चुकी थी, अकेला यहां से निकालना असंभव था। पर उन दोनों का भरोसा कैसे करे? अगर उन्होंने उसके साथ कुछ उल्टा सीधा हरकत किया तो वो क्या करेगी? इस वीराने में वो किसी से मदद भी नहीं मांग सकती थी। इसी उधेड़बुन में खड़ी साइमा को उन दोनों ने देख लिया। पास आकर उसमे से एक ने पूछा "आप रास्ता भटक गई हैं?"


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RE: मस्तराम के मस्त किस्से - by modern.mastram - 14-02-2022, 07:41 PM



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