14-02-2022, 02:45 PM
(13-02-2022, 07:23 PM)modern.mastram Wrote: फिर क्या था, एक बूढ़ा कौआ, एक जवान कबूतरी और तीन नख से शिख तक वासना से सराबोर हंस के जोड़ों के साथ कारवां पहाड़ों के दरख्तों में समा गया। जहां भी खूबसूरत नजारा मिलता - झरना हो, घाटी हो, या हरे घास का मैदान हो, कारवां ठहरता, हंस कुछ देर नज़ारा देखते, फिर एक दूसरे को देखते, फिर एकांत का कोना ढूंढ़ कर काम क्रिया में लग जाते। कबूतरी अपने किस्मत पर रोती तो कभी बूढ़े कौवे को हसरत से देखती। इस उम्र में इसका खड़ा भी होता होगा? मर्द तो काफी उम्र तक सेक्सुअली एक्टिव रहते हैं। अमेरिका में तो इससे बुड्ढे बुड्ढे मर्द 20-22 की लड़कियों को ट्रॉफी वाइफ बनाते हैं। साइमा कभी कभी अपने हुस्न और जिस्म के ऊंचाइयों और गहराइयों से कौवे को रिझाने का प्रयास करती। फिर सोचती की उसका स्टैंडर्ड इतना भी गिरा हुआ नहीं है कि सड़क चलते एक बुड्ढे से चुदवा ले। कभी कभी वो छिप कर हंसों के संभोग को देखती, कभी अपने उंगली से प्रेम करती, फिर बुड्ढे के बारे में सोचती, फिर अपने स्टैंडर्ड के बारे में, फिर इमरान की खाला को गाली देती, फिर अपने किस्मत को कोसती। जंगल में मंगल करता कारवां आगे बढ़ रहा था और अतृप्त कामना और लिप्सा साइमा को पागल बनाए जा रहे थे।
कहते हैं लड़कियां नक्शा नहीं समझ सकती। जो ट्रैकिंग मैप लेकर साइमा आई थी वो एक नर हंस ने हथिया लिया था और उस कौवे के साथ मिल कर मार्गदर्शक बनने का प्रयास कर रहा था। निराश, उदास साइमा कौवे और हंसों के पीछे पीछे अनमने ढंग से चल रही थी। दो दिन बीत गए थे, हंसों ने कम से कम 7-8 बार संभोग कर लिया था। साइमा कम से कम 20 बार गीली हो चुकी थी। कभी हंसों के क्रीड़ा को देख कर, कभी इमरान के होने पर जो संभावनाएं थी उन्हें सोच कर तो कभी बुड्ढे के बारे में ही सोच कर। 3-4 बार उसने उंगली का सहारा भी लिया पर ज्वालामुखी एक बार भी नहीं फूटा था। दहकते ज्वालामुखी और निराश मन से सबके पीछे चलती साइमा को ज़ोर की पेशाब लगी। सभी जोड़े एक दूसरे में मसगूल थे। साइमा ने सोचा किसी को बताने की क्या ज़रूरत, जल्दी काम खत्म करके तेज़ चल कर उनके साथ हो लेगी। ऐसे तो कोई आस पास था नहीं, वो कहीं भी बैठ कर पेशाब कर सकती थी, पर आदमी आदतों का गुलाम होता है। साइमा रास्ते से हट कर थोड़ा नीचे उतर झाड़ का एक ओट ढूंढने लगी। जब झाड़ मिला तो उसने पीठ पर से बैग उतार कर नीचे रखा और झाड़ के पीछे ट्रेक सूट का पैंट और पैंटी नीचे सरका कर बैठ गई। उसने पेशाब करना शुरू ही किया था कि उसका बैग लुढकने लगा। बैग में उसके कपड़ों के अलावा मोबाइल और कैमरा भी था। साइमा असमंजस में थी, पेशाब करे या बैग पकड़े? पेशाब ज़ोर की लगी थी। बैग को पहाड़ की ढाल पर लुढ़कते देखते हुए साइमा ने पहले अपना काम खत्म किया। फिर ढलान पर संभलते फिसलते उतरते हुए बैग तक पहुंच गई। उतरना तो आसान था पर चढ़ना सचमुच में पहाड़ चढ़ना था।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.