12-02-2022, 10:28 AM
(This post was last modified: 27-03-2022, 08:34 AM by modern.mastram. Edited 5 times in total. Edited 5 times in total.)
दूसरा रिक्वायरमेंट रूट का सेफ होना था। चार पैर वाले जानवरों से बचने के लिए तो उसने रूट को घने जंगलों से दूर रखा था पर इस देश में लड़कियों को चार पैर वाले जानवरों से अधिक खतरा दो पैर वाले जानवरों से है। कई घंटों के संवाद, विवाद और विमर्श के बाद निष्कर्ष निकला कि केवल उन दोनों का जाना सेफ नहीं। उन्हें और कपल्स को साथ ले जाना चाहिए। 3-4 जोड़े अगर साथ हैं तो फिर सुरक्षा कोई मुद्दा नहीं रहेगा। पर किसी भी जोड़े को ले जाना पूरे ट्रिप को बर्बाद कर सकता है। साइमा ने सोच समझ कर केवल उन जोड़ों को ऑफर दिया जिन्हें PDA यानी पब्लिक डिसप्ले ऑफ़ अफेक्शन से कोई आपत्ती और संकोच नहीं था, जो कई बार संभोग कर एक दूसरे से सहज हो चुके थे और जो खुले में संभोग की बात से उत्साहित और रोमांचित थे। अंततः साइमा - इमरान के अलावा तीन जोड़े और जुड़ गए।
तीसरा शर्त मार्ग का सुगम होना था। साइमा नहीं चाहती थी सफर में इतना थक जाए कि संभोग के लिए ऊर्जा ही न बचे। तीनो शर्तों को पूरा करता हुआ एक सप्ताह का रूट तय करने में साइमा को एक महीना समय लगा था। पर सबसे बड़ी समस्या अम्मी अब्बू से ट्रिप के लिए परमिशन लेना था। अम्मी को मनाना उतना मुश्किल नहीं था बस कुछ तथ्यों को बदलना पर्याप्त था। ट्रैकिंग ट्रिप बदल गया रिसर्च प्रोजेक्ट में, टीम में से लड़के गायब हो गए और तसल्ली के लिए सारी लड़कियों से अम्मी की आमने सामने बात करा दी गई। अब्बू को मनाना बड़ा चैलेंज था। कैरियर की दलील अब्बू के सामने व्यर्थ थी। जब नौकरी करनी ही नहीं तो प्रोजेक्ट, पेपर और मार्क्स का क्या फायदा? कॉलेज बस डिग्री के लिए है, बिना डिग्री अच्छे घर में निकाह मुश्किल होगी। तरकीब साइमा को दिलवाले दुल्हनियां ले जाएंगे सिनेमा से सूझी। उसकी किस्मत अच्छी थी कि उसके अब्बू सिनेमा या टीवी नहीं देखते थे। ख़ैर, साइमा को जितना ड्रामा करना पड़ा हो, जितनी तरकीब लगानी पड़ी हो, जितना झूठ बोलना पड़ा हो, उसे इजाज़त मिल गई।
तीसरा शर्त मार्ग का सुगम होना था। साइमा नहीं चाहती थी सफर में इतना थक जाए कि संभोग के लिए ऊर्जा ही न बचे। तीनो शर्तों को पूरा करता हुआ एक सप्ताह का रूट तय करने में साइमा को एक महीना समय लगा था। पर सबसे बड़ी समस्या अम्मी अब्बू से ट्रिप के लिए परमिशन लेना था। अम्मी को मनाना उतना मुश्किल नहीं था बस कुछ तथ्यों को बदलना पर्याप्त था। ट्रैकिंग ट्रिप बदल गया रिसर्च प्रोजेक्ट में, टीम में से लड़के गायब हो गए और तसल्ली के लिए सारी लड़कियों से अम्मी की आमने सामने बात करा दी गई। अब्बू को मनाना बड़ा चैलेंज था। कैरियर की दलील अब्बू के सामने व्यर्थ थी। जब नौकरी करनी ही नहीं तो प्रोजेक्ट, पेपर और मार्क्स का क्या फायदा? कॉलेज बस डिग्री के लिए है, बिना डिग्री अच्छे घर में निकाह मुश्किल होगी। तरकीब साइमा को दिलवाले दुल्हनियां ले जाएंगे सिनेमा से सूझी। उसकी किस्मत अच्छी थी कि उसके अब्बू सिनेमा या टीवी नहीं देखते थे। ख़ैर, साइमा को जितना ड्रामा करना पड़ा हो, जितनी तरकीब लगानी पड़ी हो, जितना झूठ बोलना पड़ा हो, उसे इजाज़त मिल गई।