19-05-2019, 02:38 AM
अपडेट - 19
अचानक से घड़ी की बेल बज पड़ती है। शाम के 7.30 बज रहे है।
समीर: लो तुम्हारा घर जाने का वक़्त हो गया। और तुम्हारा दर्द भी अब तो 100%, सही हो गया होगा। है ना?
चंचल: (शर्म से ) हम्म
समीर: तो चलो मैं निकलता हूँ। मेरे जाने के ठीक 10 मिनट बाद तुम निकल जाना।
समीर निकल जाता है आने फार्महाउस ओर चंचल निकल जाती है अपने घर।
अब आगे.......
चंचल घर पहुंचती है जहां पर सरिता चंचल का ही इंतजार कर रही थी। चंचल जैसे ही घर पहुंचती है ठीक सरिता चंचल के गले लग जाती है। चंचल भी सरिता को गले लगा लेती है। सरिता चंचल को जल्दी आने को बोलती है। चंचल फीकी से मुस्कान के साथ अपने बेडरूम की तरफ चल देती है।
सरिता चंचल के लिए चाय बनाने को रानी से बोल कर अपने बेडरूम में चली जाती है। हाल फिलहाल रानी सरिता के तो बहित क्लोज हो गयी थी लेकिन चंचल????? अभी तक वो चंचल से ठीक से बात तक नही कर सकी थी। इसी लिए रानी को थोड़ा बहुत डर था तो सिर्फ और सिर्फ चंचल का था। रानी चुपचाप चंचल के लिए चाय बनाने चली जाती है।
वहीं दूसरी और चंचल अपने बेडरूम में जाकर के अपना बैग बिस्तर पर रख देती है। और वाशरूम में जाकर के शावर के नीचे खड़ी हो जाती है। चंचल अपने कपड़ों तक को नहीं उतारती। शायद चंचल को अपने किये पर पछतावा हो रहा था। अब ये कह पाना मुश्किल था कि जो चंचल के गालों से टपक कर बह रहा था वो पानी था के आंसू....
खैर कैसे जैसे चंचल खुद को समझा बुझा कर डिनर के लिए तैयार करती है और खाना खाने को नीचे आ जाती है।
रात को करीब 1 बजे.....
समीर: वेलकम डॉक्टर, वेलकम....
डॉक्टर....:- हेलो मिस्टर समीर कहिये आपने मुझे अर्जेंट क्यों बुलाया।
समीर: यार छोड़ ये फालतू की फ़ॉर्मूलटी और गले लग जा.....
डॉक्टर और समीर जो कुछ देर पहले तक एकदम प्रोफेशनलस की तरह मिल रहे थे अचानक से एक दूसरे के गले लग जाते है।
डॉक्टर: यार देख तू मुझे जब भी बुलाता है तो किसी ना किसी की अच्छी खासी ज़िन्दगी बिगड़ जाती है। तो तू पहले ये बता काम क्या है?
समीर: एक लड़की है यार उम्र ये समझ ले बात नही सकता। वरना xossipy वाले नाराज हो जाएँगे। लेकिन अंदाजे को सिर्फ इतना कहूंगा कि उसकी झांटें अभी आयी भी नही होंगी और अगर आयी है तो वो ऐसे होंगी जैसे हो ही ना।।।
डॉक्टर: अच्छा तो उसे कोई प्रॉब्लम है क्या?
समीर: नहीं नहीं उसे कोई प्रॉब्लम नहीं है, प्रॉब्लम मुझे है। दरअसल में चाहता हूं कि वो वक़्त से पहले बड़ी हो जाये।
डॉक्टर:- (शॉक से) कितनी बड़ी? मेरा मतलब कितनी बड़ी करना चाहती हो उसे?
समीर: इतनी बड़ी की उसकी उम्र से उसका शरीर बिल्कुल भी मेल ना खाये और उसे ............(कुछ कान में बोलता है) बस इतना ही काम है।
डॉक्टर: समीssssssssर...... तुम क्या समझते हो अपने आपको? तुम चाहते हो कि मैं उस लड़की को जिसे बच्ची कहना चाहिए उसे ये सब के लिए तैयार करूँ..... तुमने क्या सोच कर मुझे ऐसा करने को कहा?
समीर अचानक से डॉक्टर के व्यवहार से चोंक जाता है। उसे बिल्कुल भी ऐसी उम्मीद नही थी। समीर डॉक्टर को समझने के लिए उसके कंधे पर हाथ रखता है लेकिन डॉक्टर तुरन्त पीछे मुड़ कर समीर का हाथ हटा देता है।
कुछ पल को तो समीर के भी होश उड़ जाते है।
लेकिन अगले ही पल डॉक्टर समीर को खींच कर अपने गले लगा लेता है।
डॉक्टर: वाह यार क्या काम बताया है।यही काम करने में तो मुझे मज़ा आता है। लेकिन क्या करूँ हमारे यहां का कानून कमबख्त हर चीज को गैरकानूनी बनाये बैठा है। तू टेंशन मत कर। बस मुझे किसी भी तरह 4-5 घंटे उसके साथ दे देना। मुझे मुश्किल से 2 आपरेशन करने पड़ेंगे। और मैं वादा करता हूँ अगर तेरे दोस्त का काम 15 दिन में रंग ना लाया तो तुझे क्या मैं इस ज़माने को कभी अपनी शक्ल नहीं दिखाऊंगा।
समीर डॉक्टर के तेवर से जो घबरा गया था अब उसके साथ से एक दम से खुश हो गया था।
आज ही कि शाम डिनर के बाद चंचल अपने पड़ोस की आंटी के घर जाती है।
ये एक क्रिस्टन फैमिली है।
चंचल: मेरी आंटी..... आंटी
मेरी::- चंचल तुम? इस वक़्त? यहाँ?
चंचल: आंटी कल मेरे आफिस से किड्स स्पेशल एक पार्टी है। आप तो जानती है हमारे यहां बच्चे नही है तो अगर आप कहें तो रिया को ले जाऊँ।
मेरी: लेकिन रिया की तो कल कॉलेज है ना वो कैसे.....?
अभी मेरी ने अपनी बात पूरी भी नही की थी कि....
रिया: नो मम्मा दो दिन का तो हॉलिडे है। एक्चुअली हमारे प्रिंसिपल सिर और उनकी फैमिली के यहां कोई फंक्शन है तो पूरा स्टाफ जा रहा है।
मेरी चाहती तो नहीं थी कि रिया को चंचल के साथ भेजे लेकिन अब वो मजबूर थी आखिर पड़ोस का सवाल था और चंचल की सास को अगर पता चलता की मेरी ने रिया को आफिस फंक्शन में नहीं भेजा तो पड़ोस खराब हो जाएगा। यहीं सोच कर मेरी ने जाने की इजाजत देदी।
चंचल: आंटी आप फ़िक़्र मत कीजिये 5 से 6 घंटे में वही कॉलेज टाइम में रिया को वापस घर ले आउंगी। मैं खुद साथ मे आउंगी।
मेरी: (झूंटी मुस्कान के साथ) ठीक है ले जाना।
रिया भी चंचल के साथ जाने के नाम से बहुत खुश थी। क्योंकि चंचल हमेशा रिया के लिए कुछ ना कुछ लाती रहती थी। इस लिए चंचल और रिया दोनो की अच्छी खासी पटती भी थी।
चंचल रिया से कुछ देर इधर उधर की बात करती है। इसी दौरान चंचल रिया के शरीर का जायजा लेती है।
रिया: लम्बे बाल गोरा रंग, चमड़ी ऐसी जैसे मलाई। गुलाब की तरह गुलाबी गाल एयर लाल होंठ, चेहरा इतना मासूम की हर कोई चाहे प्यार करना। नींबू से भी छोटे आकार की चुंचिया जो अभी तक विकसित हुआ भी शुरू नहीं कि, केले के तने जैसी लंबी टांगे। काम तो जैसे गायब ही हो गयी हो। हालांकि नितम्बों का आकार थोड़ा थोड़ा विकसित होना शुरू हो चुका था। लंबाई करीब 4.5 फिट। बिल्कुल विकसित होने के दहलीज पर अभी कदम भी नहीं पड़ा शायद।
चंचल मन ही मन सोच रही थी पता नही समीर इसके साथ क्या करेगा।
करीब 25 मिनट बाद चंचल वापस लौट जाती है। घर आकर चंचल सीधे अपने कमरे में जाति है और समीर को कॉल लगाने को फ़ोन उठाती है।लेकिन अचानक से उसे अपने और समीर के बीच का वाकया याद आ जाता है जिसके बाद चंचल को समझ नही आ रहा था कि वो समीर को कैसे कॉल करे। काफी मसक्कत के बाद जब चंचल तक हर जाति है तो फ़ोन बिना किये ही चंचल सोने के लिए अपने बिस्तर पर लेट जाटी है और फ़ोन को अपनी छाती पर रख कर सोचने लगती है कि समीर को कॉल करूँ या नहीं।
अभी चंचल ये सब सोच ही रही थी कि अचानक से चंचल का फ़ोन वाइब्रेट होने लगता है। जिसके वाईब्रेशन से चंचल अचानक से घबरा कर उठ बैठती है।
अचानक से घड़ी की बेल बज पड़ती है। शाम के 7.30 बज रहे है।
समीर: लो तुम्हारा घर जाने का वक़्त हो गया। और तुम्हारा दर्द भी अब तो 100%, सही हो गया होगा। है ना?
चंचल: (शर्म से ) हम्म
समीर: तो चलो मैं निकलता हूँ। मेरे जाने के ठीक 10 मिनट बाद तुम निकल जाना।
समीर निकल जाता है आने फार्महाउस ओर चंचल निकल जाती है अपने घर।
अब आगे.......
चंचल घर पहुंचती है जहां पर सरिता चंचल का ही इंतजार कर रही थी। चंचल जैसे ही घर पहुंचती है ठीक सरिता चंचल के गले लग जाती है। चंचल भी सरिता को गले लगा लेती है। सरिता चंचल को जल्दी आने को बोलती है। चंचल फीकी से मुस्कान के साथ अपने बेडरूम की तरफ चल देती है।
सरिता चंचल के लिए चाय बनाने को रानी से बोल कर अपने बेडरूम में चली जाती है। हाल फिलहाल रानी सरिता के तो बहित क्लोज हो गयी थी लेकिन चंचल????? अभी तक वो चंचल से ठीक से बात तक नही कर सकी थी। इसी लिए रानी को थोड़ा बहुत डर था तो सिर्फ और सिर्फ चंचल का था। रानी चुपचाप चंचल के लिए चाय बनाने चली जाती है।
वहीं दूसरी और चंचल अपने बेडरूम में जाकर के अपना बैग बिस्तर पर रख देती है। और वाशरूम में जाकर के शावर के नीचे खड़ी हो जाती है। चंचल अपने कपड़ों तक को नहीं उतारती। शायद चंचल को अपने किये पर पछतावा हो रहा था। अब ये कह पाना मुश्किल था कि जो चंचल के गालों से टपक कर बह रहा था वो पानी था के आंसू....
खैर कैसे जैसे चंचल खुद को समझा बुझा कर डिनर के लिए तैयार करती है और खाना खाने को नीचे आ जाती है।
रात को करीब 1 बजे.....
समीर: वेलकम डॉक्टर, वेलकम....
डॉक्टर....:- हेलो मिस्टर समीर कहिये आपने मुझे अर्जेंट क्यों बुलाया।
समीर: यार छोड़ ये फालतू की फ़ॉर्मूलटी और गले लग जा.....
डॉक्टर और समीर जो कुछ देर पहले तक एकदम प्रोफेशनलस की तरह मिल रहे थे अचानक से एक दूसरे के गले लग जाते है।
डॉक्टर: यार देख तू मुझे जब भी बुलाता है तो किसी ना किसी की अच्छी खासी ज़िन्दगी बिगड़ जाती है। तो तू पहले ये बता काम क्या है?
समीर: एक लड़की है यार उम्र ये समझ ले बात नही सकता। वरना xossipy वाले नाराज हो जाएँगे। लेकिन अंदाजे को सिर्फ इतना कहूंगा कि उसकी झांटें अभी आयी भी नही होंगी और अगर आयी है तो वो ऐसे होंगी जैसे हो ही ना।।।
डॉक्टर: अच्छा तो उसे कोई प्रॉब्लम है क्या?
समीर: नहीं नहीं उसे कोई प्रॉब्लम नहीं है, प्रॉब्लम मुझे है। दरअसल में चाहता हूं कि वो वक़्त से पहले बड़ी हो जाये।
डॉक्टर:- (शॉक से) कितनी बड़ी? मेरा मतलब कितनी बड़ी करना चाहती हो उसे?
समीर: इतनी बड़ी की उसकी उम्र से उसका शरीर बिल्कुल भी मेल ना खाये और उसे ............(कुछ कान में बोलता है) बस इतना ही काम है।
डॉक्टर: समीssssssssर...... तुम क्या समझते हो अपने आपको? तुम चाहते हो कि मैं उस लड़की को जिसे बच्ची कहना चाहिए उसे ये सब के लिए तैयार करूँ..... तुमने क्या सोच कर मुझे ऐसा करने को कहा?
समीर अचानक से डॉक्टर के व्यवहार से चोंक जाता है। उसे बिल्कुल भी ऐसी उम्मीद नही थी। समीर डॉक्टर को समझने के लिए उसके कंधे पर हाथ रखता है लेकिन डॉक्टर तुरन्त पीछे मुड़ कर समीर का हाथ हटा देता है।
कुछ पल को तो समीर के भी होश उड़ जाते है।
लेकिन अगले ही पल डॉक्टर समीर को खींच कर अपने गले लगा लेता है।
डॉक्टर: वाह यार क्या काम बताया है।यही काम करने में तो मुझे मज़ा आता है। लेकिन क्या करूँ हमारे यहां का कानून कमबख्त हर चीज को गैरकानूनी बनाये बैठा है। तू टेंशन मत कर। बस मुझे किसी भी तरह 4-5 घंटे उसके साथ दे देना। मुझे मुश्किल से 2 आपरेशन करने पड़ेंगे। और मैं वादा करता हूँ अगर तेरे दोस्त का काम 15 दिन में रंग ना लाया तो तुझे क्या मैं इस ज़माने को कभी अपनी शक्ल नहीं दिखाऊंगा।
समीर डॉक्टर के तेवर से जो घबरा गया था अब उसके साथ से एक दम से खुश हो गया था।
आज ही कि शाम डिनर के बाद चंचल अपने पड़ोस की आंटी के घर जाती है।
ये एक क्रिस्टन फैमिली है।
चंचल: मेरी आंटी..... आंटी
मेरी::- चंचल तुम? इस वक़्त? यहाँ?
चंचल: आंटी कल मेरे आफिस से किड्स स्पेशल एक पार्टी है। आप तो जानती है हमारे यहां बच्चे नही है तो अगर आप कहें तो रिया को ले जाऊँ।
मेरी: लेकिन रिया की तो कल कॉलेज है ना वो कैसे.....?
अभी मेरी ने अपनी बात पूरी भी नही की थी कि....
रिया: नो मम्मा दो दिन का तो हॉलिडे है। एक्चुअली हमारे प्रिंसिपल सिर और उनकी फैमिली के यहां कोई फंक्शन है तो पूरा स्टाफ जा रहा है।
मेरी चाहती तो नहीं थी कि रिया को चंचल के साथ भेजे लेकिन अब वो मजबूर थी आखिर पड़ोस का सवाल था और चंचल की सास को अगर पता चलता की मेरी ने रिया को आफिस फंक्शन में नहीं भेजा तो पड़ोस खराब हो जाएगा। यहीं सोच कर मेरी ने जाने की इजाजत देदी।
चंचल: आंटी आप फ़िक़्र मत कीजिये 5 से 6 घंटे में वही कॉलेज टाइम में रिया को वापस घर ले आउंगी। मैं खुद साथ मे आउंगी।
मेरी: (झूंटी मुस्कान के साथ) ठीक है ले जाना।
रिया भी चंचल के साथ जाने के नाम से बहुत खुश थी। क्योंकि चंचल हमेशा रिया के लिए कुछ ना कुछ लाती रहती थी। इस लिए चंचल और रिया दोनो की अच्छी खासी पटती भी थी।
चंचल रिया से कुछ देर इधर उधर की बात करती है। इसी दौरान चंचल रिया के शरीर का जायजा लेती है।
रिया: लम्बे बाल गोरा रंग, चमड़ी ऐसी जैसे मलाई। गुलाब की तरह गुलाबी गाल एयर लाल होंठ, चेहरा इतना मासूम की हर कोई चाहे प्यार करना। नींबू से भी छोटे आकार की चुंचिया जो अभी तक विकसित हुआ भी शुरू नहीं कि, केले के तने जैसी लंबी टांगे। काम तो जैसे गायब ही हो गयी हो। हालांकि नितम्बों का आकार थोड़ा थोड़ा विकसित होना शुरू हो चुका था। लंबाई करीब 4.5 फिट। बिल्कुल विकसित होने के दहलीज पर अभी कदम भी नहीं पड़ा शायद।
चंचल मन ही मन सोच रही थी पता नही समीर इसके साथ क्या करेगा।
करीब 25 मिनट बाद चंचल वापस लौट जाती है। घर आकर चंचल सीधे अपने कमरे में जाति है और समीर को कॉल लगाने को फ़ोन उठाती है।लेकिन अचानक से उसे अपने और समीर के बीच का वाकया याद आ जाता है जिसके बाद चंचल को समझ नही आ रहा था कि वो समीर को कैसे कॉल करे। काफी मसक्कत के बाद जब चंचल तक हर जाति है तो फ़ोन बिना किये ही चंचल सोने के लिए अपने बिस्तर पर लेट जाटी है और फ़ोन को अपनी छाती पर रख कर सोचने लगती है कि समीर को कॉल करूँ या नहीं।
अभी चंचल ये सब सोच ही रही थी कि अचानक से चंचल का फ़ोन वाइब्रेट होने लगता है। जिसके वाईब्रेशन से चंचल अचानक से घबरा कर उठ बैठती है।
बर्बादी को निमंत्रण
https://xossipy.com/thread-1515.html
[b]द मैजिक मिरर (THE MAGIC MIRROR) {A Tale of Tilism}[/b]
https://xossipy.com/thread-2651.html
Hawas ka ghulam
https://xossipy.com/thread-33284-post-27...pid2738750
https://xossipy.com/thread-1515.html
[b]द मैजिक मिरर (THE MAGIC MIRROR) {A Tale of Tilism}[/b]
https://xossipy.com/thread-2651.html
Hawas ka ghulam
https://xossipy.com/thread-33284-post-27...pid2738750