19-05-2019, 01:15 AM
सहाय मेज के पास से उठकर सोफे पर आ गया और पीठ के बल लेट गया | मिली भी ड्रिंक पीकर कुछ तरोताजा महसूस कर रही थी सहाय को लेटा देख समझ गयी अब उसकी बारी है | उसने अपनी दोनों जांघे घुटनों के बल सहाय के कमर के दोनों तरफ टिका दी और सहाय के लंड के ठीक सामने अपने भारी भरकम चूतड़ टिका दिए | मिली सहाय के ऊपर आने से पहले अपने बदन पर एक सुगन्धित तेल लगाकर आई थी जिससे भीषण चुदाई के बाद निकलने वाले मादक पसीने के बाद भी उसका बदन महकता रहे और उसके बॉस को कोई दिक्कत न हो | मिली के अपने ऊपर बैठते ही सहाय ने मिली के चूतड़ मसलने शुरू कर दिए | मिली आगे की तरफ झुककर सहाय के सूखे ओंठो को चूसकर उन्हें अपने मुहँ के रसीले मधुर रस से सरोबार करने लगी | सहाय भी उसके गुलाबी ओंठो का रस पान करने लगा | इधर उसके दोनों हाथ मिली के चुताड़ो का आटा गुथने में लगे हुए थे | मिली के चूतड़ यू ही नहीं उसके शरीर पर कुछ जायदा उठे नजर आते थे | सहाय को जब भी मौका मिलता वो मिली के चूतड़, कपड़ो के ऊपर से या बिना कपड़ो के मसलने लगता | उसका मिली के नरम मांस से अच्छे से भरे चौड़े गोरे गोरे मांसल चुताड़ो से विशेष अनुराग था, वो इसी तरह से मिली के छाती के स्तनों का भी आटा गूथना शुरू कर देता था | इनमे ऐसा खो जाता था कि कई बार मिली की चुदाई करना भूल जाता था और तब मिली को उसे याद दिलाना पड़ता था | अब मिली के चुताड़ो और स्तनों का मांस इतना बढ़ गया था कि सहाय को आटा गुथने के लिए मतलब भर का माल उपलब्ध होता | मिली समझ गयी अब सहाय के लिए आधा घंटा भी कम है | उसने सहाय को चुमते चुमते, एक हाथ से उसके कठोर लंड को अपने चूत के मुहाने पर लगाया और खुद ही चुताड़ो को नीचे को खिसका दिया | सहाय के लंड पर उसके जिस्म के बढ़ते भार से सहाय का लंड मिली की गुलाबी गरम चूत में समाने लगा और धीरे धीरे करके उसी में गायब हो गया | मिली ने ऊपर को कमर चूतड़ उछाले, लंड चूत से बाहर निकला, मिली फिर नीचे को बैठ गयी और लंड फिर चूत में समां गया |
मिली की अपनी कमर और चूतड़ हिलाने लगी | सहाय का पत्थर जैसा सख्त गरम तड़पता लंड, अपनी मखमली पनाहगाह में जाकर अन्दर बाहर होने लगा | मिली ने चुदाई शुरू कर दी | सहाय को इससे कोई मतलब नहीं था, वो बस मिली के चुताड़ो को दबाता रहा, उसके नरम मांस को मसल मसल कर मसाज करता रहा | जोर जोर से मसलने से मिली के चुताड़ो पर लालिमा आ गयी थी | मिली सहाय के ऊपर बैठकर खुद को ऊपर नीचे कर रही थी और एक तरह से सहाय को चोद रही थी भले ही लंड उसकी चूत में जा रहा हो | काफी देर तक मिली धीरे धीरे सहाय के लंड को अपनी चूत में ठेलती रही, आखिर वो भी थकने लगी | सहाय ने जब उसकी सांसो को उखड़ते देखा और उसके चुताड़ो को मसलना छोड़, हथेली खोलकर उन्हें कसकर थाम लिया, और मिली को आगे पीछे हिलाने लगा | उसका लंड मिली की रसभरी गीली चूत में सटासट अन्दर बाहर होने लगा | मिली सिसकारियां भरने लगी | वो लंड के इस तरह सटासट अपनी चूत में जाते देख अपने चूत दाने को रगड़ने लगी |
उसके मुहँ से बस मादक कराहे ही निकल रही थी - आआआअह्ह्ह कभी आआआआआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह् आह आआआआऐईईईईह्ह्ह्हह आह आआह्ह्ह | बस यही मिली के मुहँ से निकलने वाले शब्द थे |
सहाय नीचे से ही बुलेट ट्रेन की तरह अपनी कमर हिलाने लगा | मिली के चूतड़, मांसल चिकनी जांघे, सपाट पेट, भरा हुआ सीना, उठे हुए लटकते स्तन सर गर्दन सब थरथराने लगा, जैसे वो पटरी के किनारे बैठी हो और मालगाड़ी 100 की स्पीड में दौड़ती सरपट चली जा रही हो | उसकी चूत में सच में सहाय का लंड सरपट ही दौड़ रहा था और उसके मांसल चौड़े चुताड़ो सहित उसके पुरे बदन को थरथरा रहा था | सहाय फिर से टॉप गियर में मिली की चूत में लंड पेलने लगा | मिली इस भीषण चुदाई की उत्तेजना के रोमांच को दिलो दिम्माग में गहराई से महसूस कर रही थी | वो सहाय से मिलने वाले हर धक्के को अपने दिलो दिम्माग में संजो रही थी | मिली कराह रही थी, उछल रही थी, कामुक कराहे निकाल रही थी, मिली चुद रही थी कसकर चुद रही थी | इस चुदाई से थरथराते बदन में कब तरंग आती कब वो झड़ती उसे पता ही नहीं चलता | इस समय उसे बस अपने अन्दर पिस्टन की तरह अन्दर बाहर होते लंड का अहसास था बाकि सारे अहसास बहुत पीछे छुट गए थे | इस समय उसका झड़ना न झड़ना बेमानी हो चूका था | वो दो बार झड चुकी थी अब तो बस चुदाई की ललक रह गयी थी भीषण चुदाई |
मिली के मुहँ से बस यही निकल रहा था - आह आह आ्आ्आ्आ्आ्आ्आ्आ्ह्ह्ह्ह्ह ओह ओह ओह्ह्ह्ह्ह्ह आअहहहहहहहहह्हह्ह्हाआआआआआआ अहहह्हहहहहहहहहा हहह्हहाहह्ह अहहह्हहहहहहहहहा |
सहाय का लंड मिली की चूत में सटासट बिना किसी अड़चन के घुस रहा था | मिली की चूत की दीवारों और सहाय के लंड के बीच गर्षण इतना तेज था की सहाय का लंड और मिली की चूत दीवारे आग की भट्ठी की तरह तप रही थी | बेतहाशा चुदाई के कारन मिली की दीवारे गीली होकर फिर सुख गयी लेकिन सहाय के लंड की न स्पीड कम हुई न धक्के | मिली बस हर झाके के साथ टेप रिकॉर्डर की तरह बजती रही और उसके मुहँ से बस कराहने की अहहह्हहहहहहहहहा हहह्हहाहह्ह अहहह्हहह हहहहहहा जैसी आवाजे निकलती रही | सहाय अपना दम उखड़ने तक मिली को चोदता रहा और मिली बस सहाय से चिपकी अपनी चूत को सुपर फ़ास्ट ट्रेन की स्पीड से चुदवाती रही | मिली और सहाय दोनों से पसीने से तर बतर थे, मिली को सुपर स्पीड से चोदने के कारन सहाय भी बहुत हांफ रहा था और मिली भी मुहँ से तेज भाप छोड़ रही थी |
मिली लम्बी लम्बी तेज सांसो से हांफती हुई - सर आज क्या हो गया, आज तो आप सुपर फ़ास्ट एक्सप्रेस की तरह दौड़ रहे है, ऐसे ही स्पीड से चोदते रहे तो मै तो हांफ हांफ के ही मर जाउंगी |
सहाय भी हांफता हुआ बोला - आआअह्ह्ह्ह्ह्क्या बेबी इस्स्स्सस्स्स करू तुमारी चिकनी गुलाबी चूत जब चोदना शुरू करता हूँ, तो कुंवारी चूत जैसी फीलिंग करा देती है अआह्ह और फिर जब तुम्हे चोदते चोदते, चुदाई की ठरक इतनी तगड़ी हो जाती है की लंड न मुरझाने का नाम लेता है और न झड़ने का | तुमारी जवानी की गंध इतनी तेज है मेरा लंड मदहोश हो जाता है , ओह्ह्ह ह्ह्ह्हह तुमारे कोमल नाजुक बदन का जादू इस कदर मेरे दिलो दिमाग पर नशे की तरह चढ़ जाता है की कुछ याद ही नहीं रहता | तुम साक्षात् वासना की देवी लगने लगती हो | अब जिसके पास हवस की देवी खुद ही उसकी हवस की आग बढ़ाने के लिए मौजूद हो वो भला क्या थकेगा क्या रुकेगा | तुम लगता है पस्त हो गयी हो पूरी तरह | कोई नहीं आज मुझे भी कुछ ज्यादा टाइम लग रहा है, मैंने देर से झड़ने की दवा खा ली, मुझे लगा आज तुम पूरी रात चुदने के लिए तैयार होगी | इसलिए बहुत भीषण तरीके से तुमारी चूत चोदने की सोच कर.................................. |
सहाय अपनी बात पूरी कर पाता इससे पहले ही मिली बोल पड़ी - आआह्ह्ह्ह सार्र्र्रर्र्र्रर मै रेडी हूँ बाआआआअस्स्स्स, आप मुझे रात भर चोदिये, बस बीच में थोड़ा साँस सँभालने का मौका दे दीजिये | आप भी थक गए होंगे |
सहाय बुरी तरह हांफता हुआ - अरे अभी कैसे मै थक गया |
मिली - सर आपका लंड इतनी देर से मेरी गुलाबी गरम भट्ठी बन चुकी सुरंग को चीर कर अन्दर तक रपट रहा है, उसे भी तो सटासट चलने के लिए ग्रीस और तेल की जरुरत होगी |
सहाय - आआह्ह ह्ह्ह्हह्ह अच्छा हाँ लंड की गीली मालिश की जरुरत तो है कर दो अपने नाजुक ओंठो से, बहुत कसकर चुदाई करी है बेचारे ने, उसका भी ग्रीस कम हो गया होगा, हमेशा की तरह मजा आ गया तुझे चोदकर, साला जन्नत की सैर करा देती है बिना उफ्फ्फ्फ़ सूउफ़्फ़्फ़्फ़ किये | दूसरी चुते तो चीख चीख कर कान फोड़ डालेगी जो ऐसे चोड़ दिया तो, ऊपर से पांच दिन बिस्तर से नहीं उठेगी सो अलग | कितना भी चीखे चिल्लाये लेकिन चुदाई में खलल नहीं डालती साली तू .................................बहुत ही रंडी चूत है कितना भी चोदो थकती ही नहीं |
मिली भी खिलखिला पड़ी |
मिली ने सहाय का लंड अपने मुहँ में ले लिया | मिली ने ऐसे सहाय के सामने मुहँ खोल दिया जैसे वो लंड चूसने के लिए बरसो से प्यासी हो, तड़प रही हो | मिली की लंड चूसने की ललक देखकर सहाय भी हल्का सा कामुकता से मुस्कुरा दिया | उसने अपने तने सख्त लंड को जड़ से थामा और मिली के सर के बाल पकड़कर उसके खुले मुहँ में ठेल दिया और कमर हिलाकर उसका मुहँ चोदने लगा | मिली के मुहँ में धक्के लगाने के बाद जब उसने लंड बाहर निकाला तो वो मिली के मुहँ की लार से सना हुआ था, उसके सुपाडे पर ढेर सारी लार चिपकी हुई थी |
सहाय ने अपनी दोनों हथेलियों से मिली का सर थम लिया ताकि उसका सर स्थिर रहे और उसके कमर हिलाने से उसका मोटा गरम खड़ा लंड सीधे उसके मुहँ में जाये, और इधर उधर उसके चेहरे पर लगकर उसे कोई नुकसान ना पंहुचाये | मिली भी ऊपर की तरफ गर्दन करके सहाय की आँखों में आंखे डाले देख रही थी | सहाय भी नीचे की तरफ मिली की आँखों में देख रहा था | सहाय ने मिली के खुले मुहँ में लंड घुसेड़ दिया | पहले से इतर इस बार वो लंड को मुहँ में गहराई में घुसेड़ कर मुहँ चोदने लगा | उसका लंड मिली के मुहँ के नीचे गले तक जाकर टकरा रहा था | वो लंड को मिली के मुहँ में अन्दर घुसाकर ही उसे चोद रहा था | मिली के मुहँ से बेतहाशा लार बह रही थी, मिली बार बार अपने नाजुक गुलाबी ओंठो से सहाय के मोटे गरम सख्त लंड के चारो ओर घेरा बनाने की कोशिश करती लेकिन मुहँ पर लगते सहाय के लंड के झटके से उसके ओंठो का घेरा टूट जाता | वो पूरी कोशिश कर रही थी कि सहाय का लंड उसके नरम ओंठो के कसे हुए गुलाबी छल्ले से गुजरता हुआ उसकी खुदुरी जीभ पर से रपटता हुआ गले तक उतरे लेकिन न उसकी सांसे काबू में थी न ही सहाय की | बस दोनों वासना की आग में जल रहे थे और अपने बदन की आग बुझाने की उत्तेजना में हर वो काम क्रीड़ा कर रहे थे जो दो जवानी के आग में धधकते जिस्म कर सकते है | हर एक राउंड की मुहँ चुदाई के बाद ढेर सारी लार मिली सहाय के लंड पर उड़ेल देती | उसके मुहँ से लार की तो जैसे नदी बह रही थी | बीच में बीच में मादक कराहे निकालती, जिससे सहाय उत्तेजित होता | उसका लंड चूसते हुए भी उसके मुहँ से ऐसी कराहे घुटी घुटी आवाजो में निकलती जी सहाय के दिलो दिमाग को बहुत आनंदित कर जाती | मुहँ चूसते चोदते समय निकलने वाली मादक आहे सहाय की उत्तेजन में उत्प्रेरक का काम करती | मिली ने सहाय का लंड जड़ से थम कर उसे अच्छी तरह से कसकर चुसना शुरू कर दिया और लंड बाहर आते ही उसके मुहँ से आआहा आहाहहह्हाहा की कराह निकल ही जाती जो कमरे की उत्तेजना और बढ़ा देती | मिली कभी सिर्फ सुपाडे को चूसती, कभी जड़ से लंड से थाम पूरा का पूरा लंड मुहँ में घोट लेती, जो उसकी गर्दन में जाकर अड़ जाता और फिर वो जबदस्ती सहाय के लंड को जड़ तक साबुत निगलने का प्रयास करती और वापसी में लंड मुहँ से निकालते समय आह आ्आ्आ्आ्आ्आ्आ्आ्ह्ह्ह्ह्ह आह आ्आ्आ्आ्आ्आ्आ्आ्ह्ह्ह्ह्ह और स्ल्स्लस्ल्स्लस्ल्स च्प्च्पच्प्च्प चप चप चप के साथ एक लम्बी साँस लेती |
सहाय फिर कमर हिलाने लगा | मिली ने अपना मुहँ को खोलकर ओंठो का गोल छल्ला बना दिया ताकि सहाय के लंड के लिए मुहँ का छेद चूत की तरह एक सुरंग बन जाये और वो उसके मुहँ की चुदाई कर सके | सहाय मिली के मुहँ को चोदने लगा | स्ल्स्लस्ल्स्लस्ल्स च्प्च्पच्प्च्प खप चप स्लप इस्सस उस्स्स्सस, लंड मिली की रस भरे गुलाबो ओंठो की गिरफ्त को चीरता हुआ, मिली का नाजुक मुहँ में जाने लगा | उसकी गीली जीभ पर उसके नाजुक सुपाडे की ठोकर मिली और सहाय दोनों को वासना से आनंदित कर रही थी | उसके मुहँ से गो गो गो की आवाजे निकल रही थी | सहाय का लंड मिली के मुहँ लार से पूरी तरह नहा गया | सहाय ने मिली के मुहँ से लंड निकाल लिया और फिर से पीठ के बल लेट गया | मिली उसके ऊपर आकर फिर से पंजो के बल उसकी कमर के ऊपर बैठ गयी | इस बार उसके भारी भरकम मांसल चूतड़ सहाय के मुहँ की तरफ थे उसने सहाय की तरफ पीठ करके अपना मुहँ सहाय के पैरो की तरफ कर रखा था | अपने गोरे गोरे मजबूत चिकने पैरो के बल पर खुद को सोफे से टिकाये और ऊपर के शरीर को पीछे पीठ की तरफ हल्का सा झुकाकर अपने हाथो को सहाय के सीने पर टिका दिया | सहाय हर बार तीन चार पोजीशन में मिली को चोदता था | सहाय ने अपने एक हाथ से लंड को सीधा किया और मिली की चिकनी गुलाबी चुदी हुई चूत के खुले छेद के मुहाने पर रखकर एक धक्का मार कर उसकी चूत में घुसा दिया | मिली के मुहँ से बस हल्की सी आह निकली | मिली का शरीर स्थिर था और सहाय नीचे से कमर उठकर धक्के लगा रहा था | मिली की चिकनी नरम चूत में सहाय का लंड सटासट अन्दर बाहर का सफर करने लगा |
मिली के मुहँ से - ह्ह्ह्हह्ह्ह्ह ऊऊऊऊऊऊ ऊऊऊऊऊफ़्फ़फ़्फ़ फ़्फ़फ़्फ़फ़्फ़ फ़्फ़फ़्फ़फ़्फ़फ़ूऊऊ ऊऊऊऊऊऊऊ आअहाआअहाआह्ह ऊऊऊऊऊऊह्हह्ह ह्हह्हह्हह्हह्हह्हह ही निकल रहा था | चोदो सर मुझे और जोर से चोदो | आप बहुत अच्छा चोदते हो | आपका लंड मेरी चूत की सारी खुजली आज मिटाए दे रहा है | आपका मोटा लंड मेरी चूत को चीर रहा है | बस ऐसे ही चूत को चोदकर इसकी सारी खुजली मिटा दो सर | चोद दो मेरी पनियाती चूत को |
सहाय मिली की अनुसुनी कर अपनी ही धुन मे लगा था | मिली की चूत में उसका लंड पूरी स्पीड में पूरी गहराई तक जा रहा था | वो मिली की चूत का एक एक कोना अच्छे से चोद रहा था | उसकी जांघे मिली के नरम नरम चुताड़ो से टकरा रही थी, उसकी गोलिया उछाल मार कर उसके चूत दाने से टकरा रही थी | पूरा का पूरा लंड जड़ तक मिली की चूत में आ जा रहा था | मिली बस वासना में डूबी मादक चुद्दकड़ गालियां निकाल रही थी | अब सचमुच में वो चुदाई की वासना की गिरफ्त में थी |
मिली - चोदो मुझे सर और जोर से चोदो, और अन्दर तक डाल कर मेरी चूत को फाड़ दो, मेरी हरामन चूत का कोना कोना कुचल डालो. मसल डालो इस रंडी चूत को |
मिली वासना की उत्तेजना में क्या क्या बडबडा रही थी उसे भी नहीं पता | सहाय का भी यही हाल था,
सहाय भी उत्तेजना से भरा हुआ था - चोद तो रहा हूँ साली रंडी की औलाद | क्या रंडी की चूत लेकर पैदा हुई है साली, इतना कसकर छोड़ रहा हूँ, फिर भी मरी जा रही है लंड के लिए साली हरामन कुतिया | कितना भी चोदो भूखी की भूखी ही रहती है | साली आधा घंटा हो गया है अपने मुसल लंड से तेरी चूत कूटते कूटते मसलते मसलते, इसकी चुदास अभी भी उतनी ही बरक़रार है |
मिली भी उत्तेजना के नशे में डूबी थी - सर ये मिली की चूत है, जितना चोदोगे उतना चुदास इसकी बढ़ जाती है |
आआआआआआआआ ह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह आआआआआआअह आआईई |
सहाय ने एक जोरदार झटका मारा और मिली की चीखे निकल गयी - आआआआआआआआआआआअ
आआआआआआआआह्हीईईईईईईईईईइ माआर डालालालालालालालाल |
सहाय - ले रंडी की लौड़ी और ले मेरा लंड , ऐसे ही चीखे निकलूगा तेरी |
मिली - आआआआआआआआह्हीईईईईईईईईईइ ऊ्ऊ्ऊ्ई्ई्ई्ई… मां्म्म्आ्आ्आ्आ्आ सर थोड़ा धीईईईईईईईईईईरेरेरेरेरे ईईईई रीरीरीरीरीरीरीईईईईए चोचोचोचोचोचोआआआआदो सर |
दर्द उसकी जांघो और पिंडलियों में घर कर गे और मिली का बदन फिर कांपने लगा | उसकी वासना झाड़ने लगी | आआआआआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह् सर माआईईईईईइ तो झ झाझाझाझाझाझाड़ड़ड़ड़ड़ड़ड़ड़ रही हूँ |
मिली की अपनी कमर और चूतड़ हिलाने लगी | सहाय का पत्थर जैसा सख्त गरम तड़पता लंड, अपनी मखमली पनाहगाह में जाकर अन्दर बाहर होने लगा | मिली ने चुदाई शुरू कर दी | सहाय को इससे कोई मतलब नहीं था, वो बस मिली के चुताड़ो को दबाता रहा, उसके नरम मांस को मसल मसल कर मसाज करता रहा | जोर जोर से मसलने से मिली के चुताड़ो पर लालिमा आ गयी थी | मिली सहाय के ऊपर बैठकर खुद को ऊपर नीचे कर रही थी और एक तरह से सहाय को चोद रही थी भले ही लंड उसकी चूत में जा रहा हो | काफी देर तक मिली धीरे धीरे सहाय के लंड को अपनी चूत में ठेलती रही, आखिर वो भी थकने लगी | सहाय ने जब उसकी सांसो को उखड़ते देखा और उसके चुताड़ो को मसलना छोड़, हथेली खोलकर उन्हें कसकर थाम लिया, और मिली को आगे पीछे हिलाने लगा | उसका लंड मिली की रसभरी गीली चूत में सटासट अन्दर बाहर होने लगा | मिली सिसकारियां भरने लगी | वो लंड के इस तरह सटासट अपनी चूत में जाते देख अपने चूत दाने को रगड़ने लगी |
उसके मुहँ से बस मादक कराहे ही निकल रही थी - आआआअह्ह्ह कभी आआआआआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह् आह आआआआऐईईईईह्ह्ह्हह आह आआह्ह्ह | बस यही मिली के मुहँ से निकलने वाले शब्द थे |
सहाय नीचे से ही बुलेट ट्रेन की तरह अपनी कमर हिलाने लगा | मिली के चूतड़, मांसल चिकनी जांघे, सपाट पेट, भरा हुआ सीना, उठे हुए लटकते स्तन सर गर्दन सब थरथराने लगा, जैसे वो पटरी के किनारे बैठी हो और मालगाड़ी 100 की स्पीड में दौड़ती सरपट चली जा रही हो | उसकी चूत में सच में सहाय का लंड सरपट ही दौड़ रहा था और उसके मांसल चौड़े चुताड़ो सहित उसके पुरे बदन को थरथरा रहा था | सहाय फिर से टॉप गियर में मिली की चूत में लंड पेलने लगा | मिली इस भीषण चुदाई की उत्तेजना के रोमांच को दिलो दिम्माग में गहराई से महसूस कर रही थी | वो सहाय से मिलने वाले हर धक्के को अपने दिलो दिम्माग में संजो रही थी | मिली कराह रही थी, उछल रही थी, कामुक कराहे निकाल रही थी, मिली चुद रही थी कसकर चुद रही थी | इस चुदाई से थरथराते बदन में कब तरंग आती कब वो झड़ती उसे पता ही नहीं चलता | इस समय उसे बस अपने अन्दर पिस्टन की तरह अन्दर बाहर होते लंड का अहसास था बाकि सारे अहसास बहुत पीछे छुट गए थे | इस समय उसका झड़ना न झड़ना बेमानी हो चूका था | वो दो बार झड चुकी थी अब तो बस चुदाई की ललक रह गयी थी भीषण चुदाई |
मिली के मुहँ से बस यही निकल रहा था - आह आह आ्आ्आ्आ्आ्आ्आ्आ्ह्ह्ह्ह्ह ओह ओह ओह्ह्ह्ह्ह्ह आअहहहहहहहहह्हह्ह्हाआआआआआआ अहहह्हहहहहहहहहा हहह्हहाहह्ह अहहह्हहहहहहहहहा |
सहाय का लंड मिली की चूत में सटासट बिना किसी अड़चन के घुस रहा था | मिली की चूत की दीवारों और सहाय के लंड के बीच गर्षण इतना तेज था की सहाय का लंड और मिली की चूत दीवारे आग की भट्ठी की तरह तप रही थी | बेतहाशा चुदाई के कारन मिली की दीवारे गीली होकर फिर सुख गयी लेकिन सहाय के लंड की न स्पीड कम हुई न धक्के | मिली बस हर झाके के साथ टेप रिकॉर्डर की तरह बजती रही और उसके मुहँ से बस कराहने की अहहह्हहहहहहहहहा हहह्हहाहह्ह अहहह्हहह हहहहहहा जैसी आवाजे निकलती रही | सहाय अपना दम उखड़ने तक मिली को चोदता रहा और मिली बस सहाय से चिपकी अपनी चूत को सुपर फ़ास्ट ट्रेन की स्पीड से चुदवाती रही | मिली और सहाय दोनों से पसीने से तर बतर थे, मिली को सुपर स्पीड से चोदने के कारन सहाय भी बहुत हांफ रहा था और मिली भी मुहँ से तेज भाप छोड़ रही थी |
मिली लम्बी लम्बी तेज सांसो से हांफती हुई - सर आज क्या हो गया, आज तो आप सुपर फ़ास्ट एक्सप्रेस की तरह दौड़ रहे है, ऐसे ही स्पीड से चोदते रहे तो मै तो हांफ हांफ के ही मर जाउंगी |
सहाय भी हांफता हुआ बोला - आआअह्ह्ह्ह्ह्क्या बेबी इस्स्स्सस्स्स करू तुमारी चिकनी गुलाबी चूत जब चोदना शुरू करता हूँ, तो कुंवारी चूत जैसी फीलिंग करा देती है अआह्ह और फिर जब तुम्हे चोदते चोदते, चुदाई की ठरक इतनी तगड़ी हो जाती है की लंड न मुरझाने का नाम लेता है और न झड़ने का | तुमारी जवानी की गंध इतनी तेज है मेरा लंड मदहोश हो जाता है , ओह्ह्ह ह्ह्ह्हह तुमारे कोमल नाजुक बदन का जादू इस कदर मेरे दिलो दिमाग पर नशे की तरह चढ़ जाता है की कुछ याद ही नहीं रहता | तुम साक्षात् वासना की देवी लगने लगती हो | अब जिसके पास हवस की देवी खुद ही उसकी हवस की आग बढ़ाने के लिए मौजूद हो वो भला क्या थकेगा क्या रुकेगा | तुम लगता है पस्त हो गयी हो पूरी तरह | कोई नहीं आज मुझे भी कुछ ज्यादा टाइम लग रहा है, मैंने देर से झड़ने की दवा खा ली, मुझे लगा आज तुम पूरी रात चुदने के लिए तैयार होगी | इसलिए बहुत भीषण तरीके से तुमारी चूत चोदने की सोच कर.................................. |
सहाय अपनी बात पूरी कर पाता इससे पहले ही मिली बोल पड़ी - आआह्ह्ह्ह सार्र्र्रर्र्र्रर मै रेडी हूँ बाआआआअस्स्स्स, आप मुझे रात भर चोदिये, बस बीच में थोड़ा साँस सँभालने का मौका दे दीजिये | आप भी थक गए होंगे |
सहाय बुरी तरह हांफता हुआ - अरे अभी कैसे मै थक गया |
मिली - सर आपका लंड इतनी देर से मेरी गुलाबी गरम भट्ठी बन चुकी सुरंग को चीर कर अन्दर तक रपट रहा है, उसे भी तो सटासट चलने के लिए ग्रीस और तेल की जरुरत होगी |
सहाय - आआह्ह ह्ह्ह्हह्ह अच्छा हाँ लंड की गीली मालिश की जरुरत तो है कर दो अपने नाजुक ओंठो से, बहुत कसकर चुदाई करी है बेचारे ने, उसका भी ग्रीस कम हो गया होगा, हमेशा की तरह मजा आ गया तुझे चोदकर, साला जन्नत की सैर करा देती है बिना उफ्फ्फ्फ़ सूउफ़्फ़्फ़्फ़ किये | दूसरी चुते तो चीख चीख कर कान फोड़ डालेगी जो ऐसे चोड़ दिया तो, ऊपर से पांच दिन बिस्तर से नहीं उठेगी सो अलग | कितना भी चीखे चिल्लाये लेकिन चुदाई में खलल नहीं डालती साली तू .................................बहुत ही रंडी चूत है कितना भी चोदो थकती ही नहीं |
मिली भी खिलखिला पड़ी |
मिली ने सहाय का लंड अपने मुहँ में ले लिया | मिली ने ऐसे सहाय के सामने मुहँ खोल दिया जैसे वो लंड चूसने के लिए बरसो से प्यासी हो, तड़प रही हो | मिली की लंड चूसने की ललक देखकर सहाय भी हल्का सा कामुकता से मुस्कुरा दिया | उसने अपने तने सख्त लंड को जड़ से थामा और मिली के सर के बाल पकड़कर उसके खुले मुहँ में ठेल दिया और कमर हिलाकर उसका मुहँ चोदने लगा | मिली के मुहँ में धक्के लगाने के बाद जब उसने लंड बाहर निकाला तो वो मिली के मुहँ की लार से सना हुआ था, उसके सुपाडे पर ढेर सारी लार चिपकी हुई थी |
सहाय ने अपनी दोनों हथेलियों से मिली का सर थम लिया ताकि उसका सर स्थिर रहे और उसके कमर हिलाने से उसका मोटा गरम खड़ा लंड सीधे उसके मुहँ में जाये, और इधर उधर उसके चेहरे पर लगकर उसे कोई नुकसान ना पंहुचाये | मिली भी ऊपर की तरफ गर्दन करके सहाय की आँखों में आंखे डाले देख रही थी | सहाय भी नीचे की तरफ मिली की आँखों में देख रहा था | सहाय ने मिली के खुले मुहँ में लंड घुसेड़ दिया | पहले से इतर इस बार वो लंड को मुहँ में गहराई में घुसेड़ कर मुहँ चोदने लगा | उसका लंड मिली के मुहँ के नीचे गले तक जाकर टकरा रहा था | वो लंड को मिली के मुहँ में अन्दर घुसाकर ही उसे चोद रहा था | मिली के मुहँ से बेतहाशा लार बह रही थी, मिली बार बार अपने नाजुक गुलाबी ओंठो से सहाय के मोटे गरम सख्त लंड के चारो ओर घेरा बनाने की कोशिश करती लेकिन मुहँ पर लगते सहाय के लंड के झटके से उसके ओंठो का घेरा टूट जाता | वो पूरी कोशिश कर रही थी कि सहाय का लंड उसके नरम ओंठो के कसे हुए गुलाबी छल्ले से गुजरता हुआ उसकी खुदुरी जीभ पर से रपटता हुआ गले तक उतरे लेकिन न उसकी सांसे काबू में थी न ही सहाय की | बस दोनों वासना की आग में जल रहे थे और अपने बदन की आग बुझाने की उत्तेजना में हर वो काम क्रीड़ा कर रहे थे जो दो जवानी के आग में धधकते जिस्म कर सकते है | हर एक राउंड की मुहँ चुदाई के बाद ढेर सारी लार मिली सहाय के लंड पर उड़ेल देती | उसके मुहँ से लार की तो जैसे नदी बह रही थी | बीच में बीच में मादक कराहे निकालती, जिससे सहाय उत्तेजित होता | उसका लंड चूसते हुए भी उसके मुहँ से ऐसी कराहे घुटी घुटी आवाजो में निकलती जी सहाय के दिलो दिमाग को बहुत आनंदित कर जाती | मुहँ चूसते चोदते समय निकलने वाली मादक आहे सहाय की उत्तेजन में उत्प्रेरक का काम करती | मिली ने सहाय का लंड जड़ से थम कर उसे अच्छी तरह से कसकर चुसना शुरू कर दिया और लंड बाहर आते ही उसके मुहँ से आआहा आहाहहह्हाहा की कराह निकल ही जाती जो कमरे की उत्तेजना और बढ़ा देती | मिली कभी सिर्फ सुपाडे को चूसती, कभी जड़ से लंड से थाम पूरा का पूरा लंड मुहँ में घोट लेती, जो उसकी गर्दन में जाकर अड़ जाता और फिर वो जबदस्ती सहाय के लंड को जड़ तक साबुत निगलने का प्रयास करती और वापसी में लंड मुहँ से निकालते समय आह आ्आ्आ्आ्आ्आ्आ्आ्ह्ह्ह्ह्ह आह आ्आ्आ्आ्आ्आ्आ्आ्ह्ह्ह्ह्ह और स्ल्स्लस्ल्स्लस्ल्स च्प्च्पच्प्च्प चप चप चप के साथ एक लम्बी साँस लेती |
सहाय फिर कमर हिलाने लगा | मिली ने अपना मुहँ को खोलकर ओंठो का गोल छल्ला बना दिया ताकि सहाय के लंड के लिए मुहँ का छेद चूत की तरह एक सुरंग बन जाये और वो उसके मुहँ की चुदाई कर सके | सहाय मिली के मुहँ को चोदने लगा | स्ल्स्लस्ल्स्लस्ल्स च्प्च्पच्प्च्प खप चप स्लप इस्सस उस्स्स्सस, लंड मिली की रस भरे गुलाबो ओंठो की गिरफ्त को चीरता हुआ, मिली का नाजुक मुहँ में जाने लगा | उसकी गीली जीभ पर उसके नाजुक सुपाडे की ठोकर मिली और सहाय दोनों को वासना से आनंदित कर रही थी | उसके मुहँ से गो गो गो की आवाजे निकल रही थी | सहाय का लंड मिली के मुहँ लार से पूरी तरह नहा गया | सहाय ने मिली के मुहँ से लंड निकाल लिया और फिर से पीठ के बल लेट गया | मिली उसके ऊपर आकर फिर से पंजो के बल उसकी कमर के ऊपर बैठ गयी | इस बार उसके भारी भरकम मांसल चूतड़ सहाय के मुहँ की तरफ थे उसने सहाय की तरफ पीठ करके अपना मुहँ सहाय के पैरो की तरफ कर रखा था | अपने गोरे गोरे मजबूत चिकने पैरो के बल पर खुद को सोफे से टिकाये और ऊपर के शरीर को पीछे पीठ की तरफ हल्का सा झुकाकर अपने हाथो को सहाय के सीने पर टिका दिया | सहाय हर बार तीन चार पोजीशन में मिली को चोदता था | सहाय ने अपने एक हाथ से लंड को सीधा किया और मिली की चिकनी गुलाबी चुदी हुई चूत के खुले छेद के मुहाने पर रखकर एक धक्का मार कर उसकी चूत में घुसा दिया | मिली के मुहँ से बस हल्की सी आह निकली | मिली का शरीर स्थिर था और सहाय नीचे से कमर उठकर धक्के लगा रहा था | मिली की चिकनी नरम चूत में सहाय का लंड सटासट अन्दर बाहर का सफर करने लगा |
मिली के मुहँ से - ह्ह्ह्हह्ह्ह्ह ऊऊऊऊऊऊ ऊऊऊऊऊफ़्फ़फ़्फ़ फ़्फ़फ़्फ़फ़्फ़ फ़्फ़फ़्फ़फ़्फ़फ़ूऊऊ ऊऊऊऊऊऊऊ आअहाआअहाआह्ह ऊऊऊऊऊऊह्हह्ह ह्हह्हह्हह्हह्हह्हह ही निकल रहा था | चोदो सर मुझे और जोर से चोदो | आप बहुत अच्छा चोदते हो | आपका लंड मेरी चूत की सारी खुजली आज मिटाए दे रहा है | आपका मोटा लंड मेरी चूत को चीर रहा है | बस ऐसे ही चूत को चोदकर इसकी सारी खुजली मिटा दो सर | चोद दो मेरी पनियाती चूत को |
सहाय मिली की अनुसुनी कर अपनी ही धुन मे लगा था | मिली की चूत में उसका लंड पूरी स्पीड में पूरी गहराई तक जा रहा था | वो मिली की चूत का एक एक कोना अच्छे से चोद रहा था | उसकी जांघे मिली के नरम नरम चुताड़ो से टकरा रही थी, उसकी गोलिया उछाल मार कर उसके चूत दाने से टकरा रही थी | पूरा का पूरा लंड जड़ तक मिली की चूत में आ जा रहा था | मिली बस वासना में डूबी मादक चुद्दकड़ गालियां निकाल रही थी | अब सचमुच में वो चुदाई की वासना की गिरफ्त में थी |
मिली - चोदो मुझे सर और जोर से चोदो, और अन्दर तक डाल कर मेरी चूत को फाड़ दो, मेरी हरामन चूत का कोना कोना कुचल डालो. मसल डालो इस रंडी चूत को |
मिली वासना की उत्तेजना में क्या क्या बडबडा रही थी उसे भी नहीं पता | सहाय का भी यही हाल था,
सहाय भी उत्तेजना से भरा हुआ था - चोद तो रहा हूँ साली रंडी की औलाद | क्या रंडी की चूत लेकर पैदा हुई है साली, इतना कसकर छोड़ रहा हूँ, फिर भी मरी जा रही है लंड के लिए साली हरामन कुतिया | कितना भी चोदो भूखी की भूखी ही रहती है | साली आधा घंटा हो गया है अपने मुसल लंड से तेरी चूत कूटते कूटते मसलते मसलते, इसकी चुदास अभी भी उतनी ही बरक़रार है |
मिली भी उत्तेजना के नशे में डूबी थी - सर ये मिली की चूत है, जितना चोदोगे उतना चुदास इसकी बढ़ जाती है |
आआआआआआआआ ह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह आआआआआआअह आआईई |
सहाय ने एक जोरदार झटका मारा और मिली की चीखे निकल गयी - आआआआआआआआआआआअ
आआआआआआआआह्हीईईईईईईईईईइ माआर डालालालालालालालाल |
सहाय - ले रंडी की लौड़ी और ले मेरा लंड , ऐसे ही चीखे निकलूगा तेरी |
मिली - आआआआआआआआह्हीईईईईईईईईईइ ऊ्ऊ्ऊ्ई्ई्ई्ई… मां्म्म्आ्आ्आ्आ्आ सर थोड़ा धीईईईईईईईईईईरेरेरेरेरे ईईईई रीरीरीरीरीरीरीईईईईए चोचोचोचोचोचोआआआआदो सर |
दर्द उसकी जांघो और पिंडलियों में घर कर गे और मिली का बदन फिर कांपने लगा | उसकी वासना झाड़ने लगी | आआआआआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह् सर माआईईईईईइ तो झ झाझाझाझाझाझाड़ड़ड़ड़ड़ड़ड़ड़ रही हूँ |