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Adultery मैली
#10
अध्याय ५


सासु मां आलता देवी सुराही से एक गिलास ठंडा पानी भर के मेरे लिए लेकर आई और फिर पूछा, “उसके बाद क्या हुआ?”

मैं काफी देर से बोले जा रही थी इसलिए सचमुच मेरा गला नहीं सूख रहा थामैं एक ही सांस में पूरा गिलास पानी पी गईऔर फिर मैंने बोला जारी रखा-

वैसे तो आप जानती हैं सासु मैयाआपने लाल बाबा से मिलकर जो इंतजाम किया और उसके बाद मुझे आपकी इजाजत मिल गईइसलिए पराए मर्दों की बिस्तर में मदन पसारने का मुझे अच्छा सा तजुर्बा हो गया है|

इसलिए जब मैं लाडला को लेकर उसके साथ बिस्तर में लेट गई है तो मुझे कोई परेशानी महसूस नहीं हुई| और उस हालात में मैं उससे लिपट कर उसे प्यार से सेलानी लगीहम दोनो के नंगे बदन एक दूसरे से छू रहे थे...  और  लाडला को एक अजीब सा  उसकाव  महसूस हो रहा था...  लेकिन बनावट से लाडला बहुत ही दुख का मतलब था उसके मुकाबले लाल बाबा का बदन बिल्कुल गठीला और हट्टा कट्टा सा था...  जिसकी छुअन का एहसास बहुत ही अच्छा लगता था...
लेकिन लाडला को जो महसूस हो रहा था वह बिल्कुल अलग था|
 
कोतुहल और उत्साह से भरी एक नई बात ना मानो उसके सारे तन और मन को उत्तेजित कर रहा था...  कुछ देर तक मेरे साथ लिपट कर लेटे रहने के बाद खुद ब खुद उठ बैठा  और मेरे पूरे बदन पागलों की तरह सहलाता...  जैसे कि मानो वह कुछ खोज रहा है और वह से मिल नहीं रहा... उसने इससे पहले किसी भी औरत का यौनांग नहीं देखा था इसलिए मेरे बदन का वह हिस्सा उसका पूरा का पूरा ध्यान खींच रहा था...

वह बार-बार मेरे यौनांग कि लोगों को उंगलियों से दबा दबा कर देख रहा था और अनजाने में उसने अपनी उंगलियां अंदर डालने की कोशिश की लेकिन मैंने उसे रोक लिया...

इसी बीच लाडला न जाने कितनी बार उससे बोल चुका था, “मैली दिद्दी (दीदी)तुम्हारे बदन को लेकर ऐसे खेलने में मुझे बड़ा मजा आ रहा है... और पता नहीं क्यों मुझे ऐसा लग रहा है...  मेरा नुन्नु  अंदर ही अंदर अपने आप कहां पर रहा है और पता नहीं मुझे एक अजीब से मीठे-मीठे दर्द का भी एहसास हो रहा है...  और देखो मेरा यह नन्नू अपने आप ही कितना बड़ा और सख्त हो गया है...”

मुझे अच्छी तरह से समझ में आ गया था कि लाडला के अंदर धीरे-धीरे कामुकता कर रही है और चूँकि  दूसरों के बिस्तरों में बदन पसारने में मैं काफी तजुर्बे दार हूं इसलिए मैंने उससे कहा, “अब सुन मेरी बात जानेमन लाडला...  तेरी ख्वाहिश के मुताबिक और तेरे अब्बू के हुकुम के हिसाब से मैं तेरे बिस्तर पर बिल्कुल नंगी लेट गई हूँ...  और तू मेरे पूरे नंगे बदन से खेल रहा है...  “
अब मेरी एक बार तो मानेगातुम मेरे दुद्दूयों (स्तनों) की चूचियों को थोड़ा चूस दे...  इससे मुझे भी बड़ा मजा आएगा”
 
हां- हां- हांक्यों नहीं...  क्यों नहीं” लाडला एकदम लालच और हवस की गर्मी में बहक के बड़ा खुश हो कर के मेरी चूचियों को चूसने लगा...  मैंने अपनी दूसरी चूची उसके हाथों में पकड़ा दिया और वह इशारा समझ कर उसे अपनी उंगलियों सेदबा दबा कर खेलने लगा...
 
लेकिन कुछ ही देर बाद उसने मेरे से एक अजीब से सवाल किया...
 
ऐसा कैसा सवाल किया लाडला में तेरे से?”,  सासू मां आलता दीदी है बहुत ही ध्यान से मेरी बातें सुन रही थी और ऐसी भड़कती हुई हालत में लाडला के सवाल का जिक्र उन्हें बड़ा ही अजीब लग रहा था...
 
ही ही ही ही ही” मैं हंस पड़ी  और मैंने कहा, “सासु मैयाअगर आप उसका सवाल सुनोगे तो आप ही हंसने लगोगी... उसने मुझसे पूछा अरे यह क्या मैली दिद्दी (दीदी)?... तुम्हारे दुद्दू (स्तन)  इतने सूखे सूखे क्यों है?”
 
मैंने भी हैरत नहीं आकर उससे पूछा, “सूखे सूखे? क्या मतलब?”

उसने कहा, “ मैं तुम्हारी दुद्दूयों (स्तनों)  को चूस रहा हूं, मैली दिद्दी (दीदी)  लेकिन इनमें से तो दूध ही नहीं निकल रहा”

अब मैं उसके सवाल का क्या जवाब दूंअब मैं उसे कैसे समझाऊं कि जिन औरतों के छोटे-छोटे बच्चे हुआ करते हैं उन्हीं के स्तनों में दूध आता है... और मुझे मालूम था कि इस वक्त अगर मैं उसे यह सब समझाने बैठ गई की औरतों को बच्चा कैसे होता है तो हो सकता है उसके दिमाग में कुछ ज्यादा ही दूर पड़ेगा इसलिए मैंने उसके सवाल को टाल दिया  और कहा, “हर चीज के लिए एक वक्त होता है, मेरे दुद्दूयों (स्तनों) में जब दूध आएगातब मैं तुझे जरूर पिलाऊंगी”

लाडला जिस तरह से मदहोश होकर मेरी चूचियों को चूस रहा था वह मुझे बहुत अच्छा लग रहा था इसलिए मैंने दोबारा उससे कहा, “ अरे तू रुक क्यों गया  जानेमन लाडलामेरी दुद्दूयों (स्तनों) की चुचियों को चूसता रह...  क्या तू अपनी मैली दिद्दी (दीदी) को प्यार नहीं करना चाहता?”
लाडला मेरी बातों को सुनकर फिर से ललचाया और फिर खुशी खुशी “हां हां हां” बोलकर वह दोबारा मेरी चूचियों को चूसने लगा|

लाडला मुझसे बिल्कुल चिपक के और लिपट के लेटा हुआ था उसने अपनी एक टांग भी मेरे ऊपर चढ़ा दी थी...  और अब मुझे लगने लगा कि मौका अच्छा हैमैंने धीरे से उसकी टांग को अपने बदन से हटाया और फिर उसके अध खड़े लिख दो अपने हाथ की मुट्ठी में पकड़ लिया और फिर उसे ऊपर-नीचे ऊपर- नीचे हिलाने लगी...

जैसे ही मैं ऐसा करने लगी, लाडला की आंखों में एक अजीब सी चमक आ गई है...  और  मदहोश होकर मेरी चूचियों को चूसने लगा...  मुझसे भी रहा नहीं गया मैंने उसके माथे को चूमने लगी...  धीरे धीरे मैंने देखा कि लाडला हल्का-हल्का हिलने डुलने और छटपटाने लगाया है...  मैं समझ गई कि धीरे धीरे उसके अंदर का ज्वार बढ़ रहा है... इसलिए मैंने सोचा कि अब मेरी बारी... मैंने उसके बदन पर एक डाक चढ़ाकर उसके बदन को पलक से दबा कर रखा और अपने दूसरे हाथ से उसको कस कर पकड़ लिया था कि वह ज्यादा हिलडुल ना सके और उसके बाद मैंने और तेजी से उसके लिंग को हिलाना शुरू किया...

इतने में लाडला का लिंग पूरी तरह से खड़ा हो गया था और एकदम लोहे की तरह सख्त हो चुका था... दूर-दूर से सांसे ले रहा था और आगे बढ़ रहा था... और उसके मुंह से दबी हुई आवाज में भी निकलने लगी थी... “ममम...  ऊँ... हूँ... ममम...  ऊँ... हूँ... ममम...  ऊँ... हूँ...”

मैंने उसे छोड़ा नहींमैंने अपनी पूरी ताकत से उसे बिस्तर पर दबाए रखा और उसका लिंग हिलाती रही... क्योंकि मुझे मालूम था...  भले ही मुझे जबरदस्ती करनी पड़े लेकिन आज उसको इस बात का तजुर्बा करवाना बहुत ही जरूरी था... उसके बाद ज्यादा देर नहीं लगी...  लाडला का बदन अचानक  कांप उठा... और करीब-करीब एक चुल्लू हल्का गरम इला चिपचिपा धात (वीर्य) उसके लिंग से फूट पड़ा और मेरा हाथ और मेरी मुट्ठी उससे गीली हो गई...  लेकिन उसका माल (वीर्य) उसके बाप के  माल (वीर्य) की तरह गाढ़ा नहीं था...  मैंने अपनी नजरों को झुका कर देखा...  लाडला अपनी आंखें मूंदे हुए हांफ रहा था...  उसका चेहरा एक अनजानी खुशी और चैन की भावना से  भरी हुई थी...

मैंने उसके चेहरे से उसके उलझे उलझे बालों को हटाया और फिर उसे अपनी पकड़ से अलग  करके उसे कुछ देर तक चूमती और चाटती रही और फिर मैंने उससे पूछा, “बोल मेरी जान लाडलाकैसा लगा तुझे?”

लाडला हाँफते हुए बोला, “ अरे बाप रे...  अरे बाप रे...  मुझे तो बहुत मजा आया मैली दिद्दी (दीदी)...  जिंदगी में पहली बार मुझे ऐसा एहसास हुआ है... मैं तो यह चाहता हूं तुम हर रोज मेरे साथ ऐसा ही करो”

हां क्यों नहीं? तुझे अगर यह सब अच्छा लगा...  तो तुझे खुश करके मुझे भी खुशी मिलेगी”
 
फिर लाडला को यह एहसास हुआ कि उसके लिंग से कुछ अजीब सी चीज फूट पड़ी थीउसने हैरत से मुझसे पूछा, “ मेरे नुन्नू से वह क्या निकला, मैली दिद्दी (दीदी)?”

मैंने बड़े प्यार से स्पीक वालों को से लाया और फिर उसे उसकी सच्चाई से रूबरू करवाया, “मैं बताती हूं ना जानेमन लाडला...  तेरे नुन्नू से जो चीज निकली है...  उसे कहते हैं- ' सड़का'...  या फिर 'मालया फिर 'धात'...  और जिस तरह से मैंने तेरा नुन्नू अपनी मुट्ठी में लेकर हिलाया...  उसे कहते हैं मुठ मारना...  लड़की लोग जब मुठ मारते हैं तो उन्हें ऐसी मस्ती का एहसास होता है और वक्त आने पर उनके नन्नू से सड़का फूट पड़ता है

मेरी बात पूरी होने से पहले ही लाडला ने बीच में ही सवाल किया, “अच्छा, मैली दिद्दी (दीदी) सड़का क्यों निकलता है?... क्या होता है इससे?”

मैंने उसे समझाते हुए कहा, “हर मर्द की यह जिम्मेदारी बनती है कि वह औरतों की चुत में अपना सड़का गिराए... चुत का मतलब याद है ना तुझे, लाडला?”

हां हां हां...  वही तो तुम लड़कियों की पेशाब करने वाली जगह...”यह कहकर लाडला ने प्यार से मेरे यौनांग  पर हाथ फेरा...

हां तूने बिल्कुल ठीक कहा... और जैसा कि मैं कह रही थी लड़के लोग जो भी लड़कियों की चुत मैं अपना ही है सड़का गिराते हैं...  तुझे सी खुशी और मदहोशी का एहसास तुझे हुआ वैसा ही लड़कियों को भी होता है...”

अच्छा एक बात बताओ मैली दिद्दी (दीदी)...  तुमने तो मेरा नुन्नू हाथ की मुट्ठी में पकड़ कर हिला हिला के मुझे तो एकदम बहुत खुश कर दिया...  लेकिन तुम लड़कियां  ऐसा क्या करती हो?”
 
हम लोग और कर ही क्या कर सकते हैंजानेमन लाडला...  अगर हम लोगों का दिल करता है तो हम लोग अपनी चुत के अंदर उंगली डालकर हिला लेती है...”

अरे वाह बड़ी अच्छी बात हैतुमने मेरे साथ जैसा किया उससे तो मुझे बड़ा मजा आया अगर तुम चाहो तो मैं अपनी उंगलियां डालकर हिला हिला कर तुमको भी मैं खुश कर दूं?”

मैंने कहा, “नहीं-नहीं- नहीं... तुझे मेरी फुद्दी में  यानी कि चुत में उंगली डालने की जरूरत नहीं है...  मैं तो यह चाहती हूं कि तू अपना लंड  यानी कि नन्नू  मेरी फुद्दी  में डाल कर हिलाये...”

अरे हां हां हां हां...  अब मैं समझा अब्बू जब तुम्हारे ऊपर लेटते हैं तो अपना नुन्नू  यानी के लंड तुम्हारी फुद्दी में घसेड़ देते हैं और उसके बाद अपनी कमर को ऊपर नीचे ऊपर नीचे करके तब तक हिलाते हैं जब तक उनके लंड से सड़का नहीं फूट पड़ता...  उसके बाद तुम दोनों को बड़ा मजा आता है और फिर अब्बू तुमसे अलग हो जाते हैं...  हां हां हां...  अब मैं सब कुछ समझ गया”
चलो गनीमत है कि इतनी देर में  लाल बाबा के बेटे लाडला ने दो और दो जोड़कर 22 का आंकड़ा बना लिया है...

अरे वाह!  मेरी जानेमन लाडला तो बहुत समझदार हो गया है उसे सब कुछ एकदम समझ में आ गया है...”
 
लेकिन मैली दिद्दी (दीदी)देखो ना मेरा नन्नू फिर से कैसे छोटा और एकदम निढाल सा हो गया है...  एकदम नरम नरम...  मैं इसे तुम्हारी फुद्दी में कैसे घुसाउँगा?”

तू उसकी चिंता क्यों कर रहा है जानेमन लाडला मैं हूं ना तेरी लौंडिया...  तेरी मैली दिद्दी (दीदी)  मैं दोबारा तेरे नन्नू को  खड़ा करके बिल्कुल सख्त सा खम्बे जैसा लंड बना दूंगी और उसके बाद तू अपना लंड मेरी फुद्दी में घुसा देना...”
 
क्रमशः
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मैली - by naag.champa - 03-02-2022, 10:20 AM
RE: मैली-1 - by naag.champa - 03-02-2022, 10:34 AM
RE: मैली 2 - by naag.champa - 03-02-2022, 10:58 AM
RE: मैली - by Bhikhumumbai - 03-02-2022, 01:42 PM
RE: मैली - by naag.champa - 05-02-2022, 11:23 AM
RE: मैली - by naag.champa - 05-02-2022, 11:26 AM
RE: मैली - by naag.champa - 05-02-2022, 11:29 AM
RE: मैली - by Eswar P - 05-02-2022, 09:43 PM
RE: मैली - by naag.champa - 06-02-2022, 02:43 AM
RE: मैली-5 - by naag.champa - 06-02-2022, 09:18 PM
RE: मैली - by Eswar P - 07-02-2022, 04:52 PM
RE: मैली - by Eswar P - 09-02-2022, 08:06 AM
RE: मैली-6 - by naag.champa - 09-02-2022, 11:07 AM
RE: मैली - by Eswar P - 10-02-2022, 10:51 PM
RE: मैली - by Curiousbull - 13-02-2022, 10:38 AM
RE: मैली - by naag.champa - 20-02-2022, 10:39 AM



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