05-02-2022, 11:29 AM
अध्याय ४
“तो फिर तूने क्या किया? क्या तूने लाडला के सामने बैठकर मूत दिया?” सासू मां आलता देवी ने मुझसे पूछा|
मैंने कहा, “ मेरे पास और कोई चारा भी तो नहीं था, सासु मैया| तब तक लाल बाबा के घर काफी लोग आ चुके थे... और उस वक्त अगर मैं हां ना कुछ करती हूं तो शायद लाडला नहीं नौटंकी शुरू कर देता और फिर मुश्किल हो जाती... क्योंकि लाल बाबा के मानने वालों में से कुछ लोग जानते हैं कि मैं उनकी कनीज़ -बंधीया-रखैल हूँ... और उनमें से एक औरत ने तो एक बार पूछ लिया था कि लाल बाबा मुझे अपने घर कपड़े पहन कर रहने की इजाजत क्यों देते हैं? इसलिए मैं कोई नया झमेला नहीं चाहती थी... इसलिए मैं लाडला के सामने ही अपनी साड़ी उठाकर अपनी टांगों को जितना फैला सकती थी पहला कर उकडूं होकर बैठ गई और जैसे ही मैं मूतने के लिए बैठने वाली थी उसी वक्त लाडला ने हैरत के साथ उससे पूछा, “अरे यह क्या? तुम्हारी दोनों टांगों के बीच में एकदम बाल क्यों नहीं है... मुझे इतना तो पता है कि लड़कियों की दाढ़ी मूछें नहीं होती तो क्या तुम लड़कियों की झांटें भी नहीं होती है?”
उसकी यह बात सुनकर मैं अपनी हंसी नहीं रोक पाई, “नहीं रे जानेमन! लड़कियों की भी झांटे होती है लेकिन चूँकि मैं तेरे अब्बू की एक कनीज़ -बंधीया-रखैल हूँ इसलिए मुझे अपने दोनों के बीच के हिस्से को बिल्कुल साफ सुथरा रखना पड़ता है ताकि जब मेरे मालिक यानी कि तेरे अब्बू मुझे नंगी करें तुम मुझे देख कर उन्हें शिकायत का मौका नहीं मिलना चाहिए”
मैंने गौर किया कि लाडला फटी फटी आंखों से मुझे देख रहा है| आज जिंदगी में पहली बार उसने किसी औरत का यौनांग बिल्कुल साफ-साफ देखा था... और फिर मैंने कोई देर नहीं की मैंने उससे कहा, “यह देख जानेमन लाडला, लड़कियां कैसे मूतती है”
यह कहकर मैं उसके सामने बैठ गई और फिर मैंने उसके सामने मूत दीया| न जाने क्यों मुझे अच्छी तरह से समझ में आ रहा था कि लाडला यह देख रहा है कि लड़कियों के दो टांगों के बीच में लड़कों की तरह कुछ लटक रही रहा कुछ झूल नहीं रहा... लड़कियों को कुछ पकड़ने की जरूरत भी नहीं है वह सिर्फ बैठ जाती है और फिर उनके यौन अंग से सवारी की तरह मूत की धारा निकलती है|
ओ मेरे हल्के पीले रंग के बहते हुए मूत को देखता रहा... उसके बाद मैंने साबुन से अच्छी तरह से अपने यौनांग को धोया और फिर उठकर अपनी साड़ी ठीक करने से पहले अपनी दो उंगलियों में नारियल का तेल लगा कर अच्छी तरह से अपने यौनांग के आसपास और अंदर नारियल का तेल लगा लिया|
लाडला में फिर हैरत से पूछा, “यह तुम क्या कर रही हो मैली दिद्दी (दीदी)”
मेरे प्यार से उसके गालों पर हाथ फिर कर कहा, “अब थोड़ा सब्र रख जानेमन लाडला थोड़ी ही देर के बाद तुझे सब कुछ समझ में आ जाएगा”
इसके बाद में उसके कंधे पर हाथ रखकर मैं उसको उसके कमरे में ले गई और उसको पलंग पर बैठा कर दरवाजा बंद करके उसमें कुंडी लगा दी|
पूरा कमरा थोड़ा सा अंधेरा हो गया और साथ ही में मुझे ऐसा लगने लगा कि कमरे के माहौल में थोड़ी कामुकता छा गई है|
इतने में लाडला बोल उठा, “मैली दिद्दी (दीदी), मेरा दिल न जाने क्यों जोर जोर से धड़क रहा है... और जैसा कि मैंने देखा कमरे का दरवाजा बंद करके तुम तो भूखे सामने बिल्कुल नंगी हो जाती हो”
“हां मेरी जानेमन लाडला तूने बिल्कुल ठीक कहा... और मैंने तुझे बताया था ना कि मैं तेरे अब्बू की एक कनीज़ -बंधीया-रखैल हूँ; इसलिए मेरे मालिक जब मुझे कमरे में ले जाकर ऐसे दरवाजा बंद कर देते हैं तो यह मेरी जिम्मेदारी बन जाती है कि मैं अपने सारे कपड़े उतार कर उनके सामने बिल्कुल नंगी हो जाऊं”
“तो तुमने अब तक की साड़ी क्यों पहन रखी है? फिलहाल तो तुम एक बंद कमरे में मेरे साथ अकेली हो तुम अपनी यह साड़ी उतार कर बिल्कुल नंगी क्यों नहीं हो जाती?”
मैंने अपने बालों को खोलते हुए मुस्कुराकर उसकी तरफ देखा और फिर मैंने उससे कहा, “जानेमन लाडला, मेरे को बिल्कुल नंगी देखना तो तेरी ख्वाहिश है ना? तो तू खुद पास आकर मेरे साड़ी क्यों नहीं उतार देता?”
मेरी न्योते से लाडला बड़ा खुश हुआ| जल्दी से उठ कर आया और सबसे पहले तो उसने मेरे सीने से मेरा आंचल हटा दिया और उसके बाद बड़े ध्यान से वह मेरे स्तनों को देखने लगा... मेरे अंदर भी हल्की-हल्की गर्मी सी आने लगी शायद इसीलिए मेरी चूचियां उभर आई थी| लाडला से मानव रहा नहीं गया वो हल्के हल्के अपने दोनों हाथों से मेरे स्तनों को दुलार ने लगा और फिर वह बोला, “तुम्हारे यह दुद्दू (स्तन) कैसे तंग तंग लेकिन बिल्कुल नरेंद्र हमसे है, मैली दिद्दी (दीदी) “मैंने मुस्कुराकर जवाब दिया, “हम लड़कियों के दुद्दू (स्तन) ऐसे ही होते हैं मेरी जानेमन लाडला”
“अच्छा एक बात बताओ मैली दिद्दी (दीदी), क्या तुम मुझे अपने दुद्दूयों (स्तनों) को लेकर खेलने दोगी?”
“क्यों नहीं? इसके अलावा आज तो मुझे तेरे को बहुत कुछ सिखाना और समझाना भी है लेकिन उसके लिए पहले मुझे तेरे सामने बिल्कुल नंगी होना पड़ेगा... जानेमन लाडला, क्या तू अपनी मैली दिद्दी (दीदी) की साड़ी को खोल कर उसे बिल्कुल नंगी नहीं करेगा?”
“हां हां हां, क्यों नहीं आज तो मैं तुम्हें बिल्कुल खुली और मैं भी देखना चाहता हूं... काश मेरे बाल भी तुम्हारे जैसे रेशमी घूंगराले घने और लंबे होते”
“अरे कोई बात नहीं... वैसे भी तेरे बाल औरों के मुकाबले बिल्कुल कमर तक लंबे और बहुत सुंदर है... अब देर मत कर, मेरी साड़ी उतार कर तू मुझे नंगी कर दे और उसके बाद मैं भी तेरी लुंगी और बनियान उतार दूंगी... और उसके बाद हम दोनों नंगा नंगी एक साथ बिस्तर पर लेट जाएंगे... उसके बाद हम लोग एक खेल खेलेंगे... जैसे तेरे हो मुझे बिस्तर पर बिल्कुल नंगी करके लिटा कर मेरे साथ खेलते हैं वैसे तू भी सिर्फ मेरे दुद्दूयों (स्तनों) को लेकर ही क्यों मेरे पूरे बदन के साथ खेलना”
लाडला नहीं होगा और कोई देर नहीं की उसने जल्दी-जल्दी है मेरी साड़ी उतार दी और उसने मुझे बिल्कुल नंगी कर दिया... मैंने भी सबसे पहले उसकी लूंगी की गांठ खोलकर उसे ढीला किया लेकिन लूंगी मेरे हाथ से फिसल गई और झप से नीचे गिर गई... मैंने देखा कि पहले के मुकाबले उसका लिंग थोड़ा और बड़ा और बड़ा बड़ा सा लग रहा था... लेकिन उस अब मैंने उस पर कोई ध्यान नहीं दिया मैंने उसकी बनियान उतार दी और उसको भी पूरा नंगा कर दिया... वैसे तो मैं रोज ही उसे नंगा करके रह जाती हूं लेकिन आज मैंने तुम्हारा उसको सर से पांव तक देखा...
लंबाई में वह मेरे से करीब 3 या 4 इंच छोटा होगा और उसका बदन बिल्कुल दुबला पतला एकदम लल्लू पंजू की तरह था|
कितने में लाडला का ध्यान उसकी दो टांगों के बीच के हिस्से में गया और वह हैरत से बोला, “अरी मैली दिद्दी (दीदी), यह क्या हो रहा है? इससे पहले तो कभी मेरा नन्नू (लिंग) इतना बड़ा और इतना सख्त कभी नहीं हुआ था”
“ही ही ही ही” मैं हंस पड़ी, “चिंता मत कर जानेमन लाडला, तेरा नन्नू (लिंग) अभी और भी बड़ा और- और भी सख्त होने वाला है”
उस वक्त लाडला के दिमाग में बहुत सारी बातें बिजली की तरह को उधर ही थी उसने अनजाने में ही मेरे यौनांग पर हाथ फेरते- फेरते मुझसे पूछ लिया, “मैली दिद्दी (दीदी) तुम लड़कियों का नुन्नू (यौनांग) बड़ा और खड़ा नहीं होता?”
“ ही ही ही ही” मुझे दोबारा हंसी आ गई, और मैंने कहा, “ नहीं रे जानेमन लाडला, लड़कियों का नुन्नू (यौनांग) बड़ा और खड़ा नहीं होता... और हां एक और बात...” अब मैंने उंगली उठा कर उसको समझाने के तरीके से बताया, “ लड़कों के नुन्नू (यौनांग) को 'लंड' कहते हैं... और इन अण्डों को 'टट्टे' कहते हैं... और हम लड़कियों की नुन्नू (यौनांग) को ‘चुत’ या फिर ‘फुद्दी’के नाम से जाना जाता है… अब बोल मेरी जान... मैंने तुझे क्या सिखाया?”
“लड़कों के 'लंड' और 'टट्टे' होते हैं और लड़कियों की ‘चुत’ या फिर ‘फुद्दी’... लड़कों का खड़ा हो जाता है लेकिन लड़कियों का नहीं होता”
“अरे वाह मेरी जानेमन लाडला तो सब सीख गया है... चल अब हम दोनों नंगा नंगी बिस्तर पर जाके लेट जाते हैं”
“हां हां हां” लाडला बहुत खुश होकर बोला|
मैंने उसका हाथ पकड़ कर उसको बिस्तर पर लिटा दिया|
इतनी देर से मेरी सासू मा आलता देवी बड़े ध्यान से मेरी बातें सुन रही थी| फिर उन्होंने मुझसे पूछा, “ तो क्या बिस्तर पर लेटने के साथ ही तूने उसके साथ चुदाई कर ली?”
“जी नहीं, सासु मैया... वैसे तो सोचने वाली बात यह है कि लाडला की उम्र करीब है 21- 22 साल की है... लेकिन उसकी बनावट और बदन यहां तक की दिमाग के हिसाब से भी वह बहुत ही कच्चा है... अब तो उसे देखा है और आपकी समझ गई होंगी कि कोई अगर दूर से उसे खुले बालों में देखें तो पहले पहले शायद वो यही सोचेगा कि यह कोई 13- 14 साल की लड़की है... इसलिए मैंने सोचा कि अगर एकदम शुरू शुरू में मैंने उसका लिंग अपनी यौनांग में घुसा दिया तो शायद उसे दर्द होगा... क्योंकि बचपन में उसके लिंग की चमड़ी को आगे से छीन लिया गया था इसलिए जब वह मेरी चुत में अपना लंड घुसायेगा तू उसकी चमड़ी सिकुड़ कर एकदम पीछे चली जाएगी और शायद पहली बार उसको दर्द भी हो सकता है... इसलिए मैंने सोचा कि पहले मैं उसका लंड अपने हाथों की मुट्ठी में लेकर हिला हिला कर उसे उस खूबसूरत मस्ती का एहसास करा दूं जिसकी उसे बहुत जरूरत है, उसके बाद धीरे-धीरे एक-एक करके अपने मालिक यह दिए हुए हुकुम के मुताबिक मैं उसकी हवस को भड़का कर उसे असली खेल के मजे का एहसास करवाऊंगी...”
क्रमशः
“तो फिर तूने क्या किया? क्या तूने लाडला के सामने बैठकर मूत दिया?” सासू मां आलता देवी ने मुझसे पूछा|
मैंने कहा, “ मेरे पास और कोई चारा भी तो नहीं था, सासु मैया| तब तक लाल बाबा के घर काफी लोग आ चुके थे... और उस वक्त अगर मैं हां ना कुछ करती हूं तो शायद लाडला नहीं नौटंकी शुरू कर देता और फिर मुश्किल हो जाती... क्योंकि लाल बाबा के मानने वालों में से कुछ लोग जानते हैं कि मैं उनकी कनीज़ -बंधीया-रखैल हूँ... और उनमें से एक औरत ने तो एक बार पूछ लिया था कि लाल बाबा मुझे अपने घर कपड़े पहन कर रहने की इजाजत क्यों देते हैं? इसलिए मैं कोई नया झमेला नहीं चाहती थी... इसलिए मैं लाडला के सामने ही अपनी साड़ी उठाकर अपनी टांगों को जितना फैला सकती थी पहला कर उकडूं होकर बैठ गई और जैसे ही मैं मूतने के लिए बैठने वाली थी उसी वक्त लाडला ने हैरत के साथ उससे पूछा, “अरे यह क्या? तुम्हारी दोनों टांगों के बीच में एकदम बाल क्यों नहीं है... मुझे इतना तो पता है कि लड़कियों की दाढ़ी मूछें नहीं होती तो क्या तुम लड़कियों की झांटें भी नहीं होती है?”
उसकी यह बात सुनकर मैं अपनी हंसी नहीं रोक पाई, “नहीं रे जानेमन! लड़कियों की भी झांटे होती है लेकिन चूँकि मैं तेरे अब्बू की एक कनीज़ -बंधीया-रखैल हूँ इसलिए मुझे अपने दोनों के बीच के हिस्से को बिल्कुल साफ सुथरा रखना पड़ता है ताकि जब मेरे मालिक यानी कि तेरे अब्बू मुझे नंगी करें तुम मुझे देख कर उन्हें शिकायत का मौका नहीं मिलना चाहिए”
मैंने गौर किया कि लाडला फटी फटी आंखों से मुझे देख रहा है| आज जिंदगी में पहली बार उसने किसी औरत का यौनांग बिल्कुल साफ-साफ देखा था... और फिर मैंने कोई देर नहीं की मैंने उससे कहा, “यह देख जानेमन लाडला, लड़कियां कैसे मूतती है”
यह कहकर मैं उसके सामने बैठ गई और फिर मैंने उसके सामने मूत दीया| न जाने क्यों मुझे अच्छी तरह से समझ में आ रहा था कि लाडला यह देख रहा है कि लड़कियों के दो टांगों के बीच में लड़कों की तरह कुछ लटक रही रहा कुछ झूल नहीं रहा... लड़कियों को कुछ पकड़ने की जरूरत भी नहीं है वह सिर्फ बैठ जाती है और फिर उनके यौन अंग से सवारी की तरह मूत की धारा निकलती है|
ओ मेरे हल्के पीले रंग के बहते हुए मूत को देखता रहा... उसके बाद मैंने साबुन से अच्छी तरह से अपने यौनांग को धोया और फिर उठकर अपनी साड़ी ठीक करने से पहले अपनी दो उंगलियों में नारियल का तेल लगा कर अच्छी तरह से अपने यौनांग के आसपास और अंदर नारियल का तेल लगा लिया|
लाडला में फिर हैरत से पूछा, “यह तुम क्या कर रही हो मैली दिद्दी (दीदी)”
मेरे प्यार से उसके गालों पर हाथ फिर कर कहा, “अब थोड़ा सब्र रख जानेमन लाडला थोड़ी ही देर के बाद तुझे सब कुछ समझ में आ जाएगा”
इसके बाद में उसके कंधे पर हाथ रखकर मैं उसको उसके कमरे में ले गई और उसको पलंग पर बैठा कर दरवाजा बंद करके उसमें कुंडी लगा दी|
पूरा कमरा थोड़ा सा अंधेरा हो गया और साथ ही में मुझे ऐसा लगने लगा कि कमरे के माहौल में थोड़ी कामुकता छा गई है|
इतने में लाडला बोल उठा, “मैली दिद्दी (दीदी), मेरा दिल न जाने क्यों जोर जोर से धड़क रहा है... और जैसा कि मैंने देखा कमरे का दरवाजा बंद करके तुम तो भूखे सामने बिल्कुल नंगी हो जाती हो”
“हां मेरी जानेमन लाडला तूने बिल्कुल ठीक कहा... और मैंने तुझे बताया था ना कि मैं तेरे अब्बू की एक कनीज़ -बंधीया-रखैल हूँ; इसलिए मेरे मालिक जब मुझे कमरे में ले जाकर ऐसे दरवाजा बंद कर देते हैं तो यह मेरी जिम्मेदारी बन जाती है कि मैं अपने सारे कपड़े उतार कर उनके सामने बिल्कुल नंगी हो जाऊं”
“तो तुमने अब तक की साड़ी क्यों पहन रखी है? फिलहाल तो तुम एक बंद कमरे में मेरे साथ अकेली हो तुम अपनी यह साड़ी उतार कर बिल्कुल नंगी क्यों नहीं हो जाती?”
मैंने अपने बालों को खोलते हुए मुस्कुराकर उसकी तरफ देखा और फिर मैंने उससे कहा, “जानेमन लाडला, मेरे को बिल्कुल नंगी देखना तो तेरी ख्वाहिश है ना? तो तू खुद पास आकर मेरे साड़ी क्यों नहीं उतार देता?”
मेरी न्योते से लाडला बड़ा खुश हुआ| जल्दी से उठ कर आया और सबसे पहले तो उसने मेरे सीने से मेरा आंचल हटा दिया और उसके बाद बड़े ध्यान से वह मेरे स्तनों को देखने लगा... मेरे अंदर भी हल्की-हल्की गर्मी सी आने लगी शायद इसीलिए मेरी चूचियां उभर आई थी| लाडला से मानव रहा नहीं गया वो हल्के हल्के अपने दोनों हाथों से मेरे स्तनों को दुलार ने लगा और फिर वह बोला, “तुम्हारे यह दुद्दू (स्तन) कैसे तंग तंग लेकिन बिल्कुल नरेंद्र हमसे है, मैली दिद्दी (दीदी) “मैंने मुस्कुराकर जवाब दिया, “हम लड़कियों के दुद्दू (स्तन) ऐसे ही होते हैं मेरी जानेमन लाडला”
“अच्छा एक बात बताओ मैली दिद्दी (दीदी), क्या तुम मुझे अपने दुद्दूयों (स्तनों) को लेकर खेलने दोगी?”
“क्यों नहीं? इसके अलावा आज तो मुझे तेरे को बहुत कुछ सिखाना और समझाना भी है लेकिन उसके लिए पहले मुझे तेरे सामने बिल्कुल नंगी होना पड़ेगा... जानेमन लाडला, क्या तू अपनी मैली दिद्दी (दीदी) की साड़ी को खोल कर उसे बिल्कुल नंगी नहीं करेगा?”
“हां हां हां, क्यों नहीं आज तो मैं तुम्हें बिल्कुल खुली और मैं भी देखना चाहता हूं... काश मेरे बाल भी तुम्हारे जैसे रेशमी घूंगराले घने और लंबे होते”
“अरे कोई बात नहीं... वैसे भी तेरे बाल औरों के मुकाबले बिल्कुल कमर तक लंबे और बहुत सुंदर है... अब देर मत कर, मेरी साड़ी उतार कर तू मुझे नंगी कर दे और उसके बाद मैं भी तेरी लुंगी और बनियान उतार दूंगी... और उसके बाद हम दोनों नंगा नंगी एक साथ बिस्तर पर लेट जाएंगे... उसके बाद हम लोग एक खेल खेलेंगे... जैसे तेरे हो मुझे बिस्तर पर बिल्कुल नंगी करके लिटा कर मेरे साथ खेलते हैं वैसे तू भी सिर्फ मेरे दुद्दूयों (स्तनों) को लेकर ही क्यों मेरे पूरे बदन के साथ खेलना”
लाडला नहीं होगा और कोई देर नहीं की उसने जल्दी-जल्दी है मेरी साड़ी उतार दी और उसने मुझे बिल्कुल नंगी कर दिया... मैंने भी सबसे पहले उसकी लूंगी की गांठ खोलकर उसे ढीला किया लेकिन लूंगी मेरे हाथ से फिसल गई और झप से नीचे गिर गई... मैंने देखा कि पहले के मुकाबले उसका लिंग थोड़ा और बड़ा और बड़ा बड़ा सा लग रहा था... लेकिन उस अब मैंने उस पर कोई ध्यान नहीं दिया मैंने उसकी बनियान उतार दी और उसको भी पूरा नंगा कर दिया... वैसे तो मैं रोज ही उसे नंगा करके रह जाती हूं लेकिन आज मैंने तुम्हारा उसको सर से पांव तक देखा...
लंबाई में वह मेरे से करीब 3 या 4 इंच छोटा होगा और उसका बदन बिल्कुल दुबला पतला एकदम लल्लू पंजू की तरह था|
कितने में लाडला का ध्यान उसकी दो टांगों के बीच के हिस्से में गया और वह हैरत से बोला, “अरी मैली दिद्दी (दीदी), यह क्या हो रहा है? इससे पहले तो कभी मेरा नन्नू (लिंग) इतना बड़ा और इतना सख्त कभी नहीं हुआ था”
“ही ही ही ही” मैं हंस पड़ी, “चिंता मत कर जानेमन लाडला, तेरा नन्नू (लिंग) अभी और भी बड़ा और- और भी सख्त होने वाला है”
उस वक्त लाडला के दिमाग में बहुत सारी बातें बिजली की तरह को उधर ही थी उसने अनजाने में ही मेरे यौनांग पर हाथ फेरते- फेरते मुझसे पूछ लिया, “मैली दिद्दी (दीदी) तुम लड़कियों का नुन्नू (यौनांग) बड़ा और खड़ा नहीं होता?”
“ ही ही ही ही” मुझे दोबारा हंसी आ गई, और मैंने कहा, “ नहीं रे जानेमन लाडला, लड़कियों का नुन्नू (यौनांग) बड़ा और खड़ा नहीं होता... और हां एक और बात...” अब मैंने उंगली उठा कर उसको समझाने के तरीके से बताया, “ लड़कों के नुन्नू (यौनांग) को 'लंड' कहते हैं... और इन अण्डों को 'टट्टे' कहते हैं... और हम लड़कियों की नुन्नू (यौनांग) को ‘चुत’ या फिर ‘फुद्दी’के नाम से जाना जाता है… अब बोल मेरी जान... मैंने तुझे क्या सिखाया?”
“लड़कों के 'लंड' और 'टट्टे' होते हैं और लड़कियों की ‘चुत’ या फिर ‘फुद्दी’... लड़कों का खड़ा हो जाता है लेकिन लड़कियों का नहीं होता”
“अरे वाह मेरी जानेमन लाडला तो सब सीख गया है... चल अब हम दोनों नंगा नंगी बिस्तर पर जाके लेट जाते हैं”
“हां हां हां” लाडला बहुत खुश होकर बोला|
मैंने उसका हाथ पकड़ कर उसको बिस्तर पर लिटा दिया|
इतनी देर से मेरी सासू मा आलता देवी बड़े ध्यान से मेरी बातें सुन रही थी| फिर उन्होंने मुझसे पूछा, “ तो क्या बिस्तर पर लेटने के साथ ही तूने उसके साथ चुदाई कर ली?”
“जी नहीं, सासु मैया... वैसे तो सोचने वाली बात यह है कि लाडला की उम्र करीब है 21- 22 साल की है... लेकिन उसकी बनावट और बदन यहां तक की दिमाग के हिसाब से भी वह बहुत ही कच्चा है... अब तो उसे देखा है और आपकी समझ गई होंगी कि कोई अगर दूर से उसे खुले बालों में देखें तो पहले पहले शायद वो यही सोचेगा कि यह कोई 13- 14 साल की लड़की है... इसलिए मैंने सोचा कि अगर एकदम शुरू शुरू में मैंने उसका लिंग अपनी यौनांग में घुसा दिया तो शायद उसे दर्द होगा... क्योंकि बचपन में उसके लिंग की चमड़ी को आगे से छीन लिया गया था इसलिए जब वह मेरी चुत में अपना लंड घुसायेगा तू उसकी चमड़ी सिकुड़ कर एकदम पीछे चली जाएगी और शायद पहली बार उसको दर्द भी हो सकता है... इसलिए मैंने सोचा कि पहले मैं उसका लंड अपने हाथों की मुट्ठी में लेकर हिला हिला कर उसे उस खूबसूरत मस्ती का एहसास करा दूं जिसकी उसे बहुत जरूरत है, उसके बाद धीरे-धीरे एक-एक करके अपने मालिक यह दिए हुए हुकुम के मुताबिक मैं उसकी हवस को भड़का कर उसे असली खेल के मजे का एहसास करवाऊंगी...”
क्रमशः
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