01-02-2022, 02:41 PM
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अब मेरा नंगा सुडौल 8” का गरमा-गरम किसी रोड जैसा कड़क लंड, बुआ की मुट्ठी में क़ैद था, जिसे वो धीरे – 2 उपर नीचे करके मुठियाने लगी…
वो नीचे को खिसकी, और उसने मेरे लंड का चुम्मा ले लिया, फिर धीरे से चाट कर अपनी चूत को रगड़ने लगी….
वासना बुआ के सर पर सवार हो चुकी थी, सो उसने अपनी पैंटी को निकाल फेंका,
मुझे कंधे से धक्का देकर सीधा किया और रज़ाई ओढ़े ही ओढ़े, अपनी चौड़ी गान्ड लेकर मेरे उपर सवार हो गयी…
मेरे दोनो ओर अपने घुटने टिकाए उसने अपनी गीली रस से सराबोर गरम चूत को मेरे लंड पर सेट किया और उसके ऊपर बैठती चली गयी…
मेरा लंड शायद बुआ की चूत के हिसाब से ज़्यादा मोटा था.., क्योंकि उसे अंदर करते हुए उसे दर्द का अहसास हुआ और उसने अपने होंठ कस कर भींच लिए…!
धीरे-2 कर के उसने मेरे पूरे लंड को उसकी चूत ने निगल लिया, और फिर मेरे ऊपर पसर कर हांपने लगी….!
उसकी खरबूजे जैसी चुचियाँ मेरे चौड़े चक्ले सीने से दब कर ब्लाउज को फाडे डाल रही थी…
नीम बेहोशी जैसी नींद की हालत में, मुझे ये सब सपने में होता प्रतीत हो रहा था…
लेकिन जब लंड पर चूत की गर्मी और गीलापन महसूस होते ही मेरी नींद खुल गयी.. और मेने अपनी आँखे खोल कर देखा…
शांति बुआ मेरे सीने में अपने बड़े-2 मुलायम चुचों को दबाए अपना मुँह मेरे कंधे से सटाये पड़ी हाँफ रही थी…
पहले तो मे उसको पहचान ही नही पाया…, इसलिए मेने उसके दोनो कंधे पकड़ कर जैसे ही उठाया वो सकपका गयी.. और उसने फिर से अपना मुँह मेरे कंधे में छुपा लिया…
मेने चोंक कर बुआ से कहा – शांति बुआ आप ! और आप ये क्या कर रही हो..? हटो मेरे ऊपर से.. कोई देख लेगा तो क्या कहेगा…?
बुआ – प्लीज़ छोटू ! मुझे माफ़ कर्दे…, यार ! तेरे इस लंड की गर्मी मेरे से सहन नही हुई… अब थोड़ी देर और रुक जा.. मेरा राजा बेटा…!
मे – पर बुआ ! क्या ये सही है..? आप मेरी माँ समान हो….!
बुआ – अब सही ग़लत सोचने का समय निकल चुका है.. बेटा.. अब अपनी बुआ को ठंडी हो लेने दे, वरना ये कम्बख़्त मेरी चूत मुझे सोने नही देगी…
मे चुप रह गया.., कुछ देर बाद बुआ ने अपना काम शुरू कर दिया और वो अपनी मस्त गद्देदार गान्ड को मेरे लंड पर आगे पीछे करने लगी..
वो अपनी गान्ड को ज़्यादा नही उछाल पा रही थी क्योंकि अगर ग़लती से भी कोई जाग गया, और रज़ाई के अंदर भूकंप आता देख लिया तो बुआ के साथ-2 मेरी भी पूरी तरह भॅड पिट जानी थी..!
बाबूजी अपनी बेहन की चुदाई कैसे बर्दास्त करते वो भी अपने बेटे से…., तो पता लगते ही, वो गान्ड कुटाई होनी थी… कि भगवान ही जाने….!
इसी डर के चलते, बुआ की लय थोड़ी मध्यम ही रही, मे तो कोई कोशिश कर ही नही सकता था…!
तो जैसे तैसे कर के बुआ ने अपना पानी निकाल ही लिया.. और चूत में मेरा लंड घुसाए हुए वो मेरे ऊपर लेट कर हाँफने लगी…
मे – अब क्या हुआ बुआ ? रुक क्यों गयी..?
अरे छोटू ! मेरा तो हो गया…वो फुसफुसा कर बोली…
ये सुनते ही मेरी झान्टे सुलग गयीं… इसकी माँ की चूत मारु…, भेन्चोद इसका हो गया तो ये खुश और मेरा क्या…?
भेन्चोद यहाँ लंड फटने की कगार पर है, और ये भोसड़ी की अपनी चूत झाड के फारिग हो गयी….!
सारा डर रखा ताक पर, लपक कर मेने उसे बाजू में लिटाया और उसको अपनी तरफ गान्ड घुमाने को कहा…
वो ना नुकुर करने लगी… मुझे गुस्सा आने लगा.. मेने कहा – बुआ अब ये ठीक नही होगा, चुप चाप उधर करवट ले लो वरना में सबको जगा के बताता हूँ..
उसकी गान्ड फट गयी, और झट से अपनी मोटी गुद गुदि गान्ड मेरी ओर करदी.. मेने थोड़ा सा अपना सर पीछे को किया, टाँगों को उसकी तरफ कर के उसकी ऊपर की टाँग को उसके पेट से लगाया..
मेरे और बुआ के सर के बीच अब 45 डिग्री का आंगल था, उसकी चूत मेरे लंड के ठीक सामने खुली पड़ी थी…
मेने घचक से पूरा लंड एक ही झटके में पेल दिया… उसके मुँह से एक दबी दबी सी कराह… निकल गयी..
बुआ की चुचियों को ब्लाउज के उपर से मसल्ते हुए मे ढका-धक धक्के मारने लगा…
मेरे धक्कों की स्पीड इतनी ज़्यादा थी कि उसकी हाल ही झड़ी चूत सूखने लग गयी.. और घर्षण से उसमें जलन होने लगी…
बुआ गिडगिडाते हुए बोली – छोटू धीरे कर बेटा… मेरी चूत में जलन हो रही है..
मे क्या करूँ तो.. आपने मेरे लॉड को क्यों जगाया.. अब झेलो…
थोड़ी देर बाद उसकी चूत फिर से पनियाने लग गयी और वो भी मज़े ले लेकर मेरे धक्कों पर अपनी गान्ड पीछे धकेल - धकेल कर चुदाई का मज़ा लेने लगी…
आधे घंटे में बुआ दो बार पानी छोड़ गयी, तब जाकर मेने उसकी पोखर को अपने गाढ़े पानी से भरा…
मेने अपना लंड बुआ की चूत से निकाला, पच की आवाज़ के साथ वो बाहर आ गया, उसके पेटिकोट से अपने लंड को पोंच्छ कर करवट लेकर मे सो गया………………
अगली सुबह तोड़ा देर से उठा, आज नयी दुल्हन को अपने देवर को गोद में बिठाने की रसम थी… रामा दीदी ने ही मुझे झकझोर कर उठाया…
अलसाया सा मे अपनी आँखों को मिचमिचाते हुए उठा और झल्लाकर बोला – क्या है..? क्यों मुझे सोने नही देती…
वो- अरे सब तेरा इंतेजार कर रहे हैं… आज नयी भाभी तुझे अपनी गोद में बिठा कर लाड करने वाली हैं…
मेरी उठने की कतयि इच्छा नही थी, लेकिन नयी भाभी की गोद में बैठने के नाम से ही मेरे अंदर गुद गुदि सी पैदा हो गयी…,
मेरा सारा आलस्य भाग खड़ा हुआ, और झटपट उठके बाथरूम की तरफ भागा…
रामा दीदी खिल खिलाकर हँसते हुए बड़बड़ाई… देखो नयी भाभी की गोद में बैठने के नाम से ही कैसी नींद भाग गयी….हहेहहे…
मे 1 घंटे में नहा धोकर फ्रेश होकर एक लाल सुर्ख रंग की टाइट टीशर्ट और ब्लू जीन्स पहन कर आँगन में पहुँचा…
वहाँ सब रसम के लिए मेरा इंतेज़ार कर रहे थे… सबकी नज़र जैसे ही मुझ पर पड़ी, तो टिकी ही रह गयी…
निशा तो मानो किसी सम्मोहन से बँधी.. मुझे बड़ी ही प्यारी नज़रों से देखे जारही थी…
टाइट कसी हुई टीशर्ट में मेरी कसरती बॉडी के सारे कट्स दिखाई दे रहे थे.. सीना एकदम बाहर.. उसके नीचे के पॅक्स… बाजुओं की मछलिया…
मेने आज एक स्पेशल इंपोर्टेड पर्फ्यूम भी लगाया हुआ था… वैसे इन सब की मुझे कभी आदत नही थी…
आँगन में घर के बड़े लोगों को छोड़, वाकई सभी लोग मौजूद थे..
पूरे आँगन में एक कालीन का बिच्छवान डाला हुआ था.. सेंटर में दो मोटे-2 गद्दे जिन पर एक साफ-सुथरी चादर,
जिसके ऊपर कामिनी भाभी.. पालती मारे सुर्ख लाल जोड़े में अपनी नज़रें झुकाए बैठी थी...
अब मेरा नंगा सुडौल 8” का गरमा-गरम किसी रोड जैसा कड़क लंड, बुआ की मुट्ठी में क़ैद था, जिसे वो धीरे – 2 उपर नीचे करके मुठियाने लगी…
वो नीचे को खिसकी, और उसने मेरे लंड का चुम्मा ले लिया, फिर धीरे से चाट कर अपनी चूत को रगड़ने लगी….
वासना बुआ के सर पर सवार हो चुकी थी, सो उसने अपनी पैंटी को निकाल फेंका,
मुझे कंधे से धक्का देकर सीधा किया और रज़ाई ओढ़े ही ओढ़े, अपनी चौड़ी गान्ड लेकर मेरे उपर सवार हो गयी…
मेरे दोनो ओर अपने घुटने टिकाए उसने अपनी गीली रस से सराबोर गरम चूत को मेरे लंड पर सेट किया और उसके ऊपर बैठती चली गयी…
मेरा लंड शायद बुआ की चूत के हिसाब से ज़्यादा मोटा था.., क्योंकि उसे अंदर करते हुए उसे दर्द का अहसास हुआ और उसने अपने होंठ कस कर भींच लिए…!
धीरे-2 कर के उसने मेरे पूरे लंड को उसकी चूत ने निगल लिया, और फिर मेरे ऊपर पसर कर हांपने लगी….!
उसकी खरबूजे जैसी चुचियाँ मेरे चौड़े चक्ले सीने से दब कर ब्लाउज को फाडे डाल रही थी…
नीम बेहोशी जैसी नींद की हालत में, मुझे ये सब सपने में होता प्रतीत हो रहा था…
लेकिन जब लंड पर चूत की गर्मी और गीलापन महसूस होते ही मेरी नींद खुल गयी.. और मेने अपनी आँखे खोल कर देखा…
शांति बुआ मेरे सीने में अपने बड़े-2 मुलायम चुचों को दबाए अपना मुँह मेरे कंधे से सटाये पड़ी हाँफ रही थी…
पहले तो मे उसको पहचान ही नही पाया…, इसलिए मेने उसके दोनो कंधे पकड़ कर जैसे ही उठाया वो सकपका गयी.. और उसने फिर से अपना मुँह मेरे कंधे में छुपा लिया…
मेने चोंक कर बुआ से कहा – शांति बुआ आप ! और आप ये क्या कर रही हो..? हटो मेरे ऊपर से.. कोई देख लेगा तो क्या कहेगा…?
बुआ – प्लीज़ छोटू ! मुझे माफ़ कर्दे…, यार ! तेरे इस लंड की गर्मी मेरे से सहन नही हुई… अब थोड़ी देर और रुक जा.. मेरा राजा बेटा…!
मे – पर बुआ ! क्या ये सही है..? आप मेरी माँ समान हो….!
बुआ – अब सही ग़लत सोचने का समय निकल चुका है.. बेटा.. अब अपनी बुआ को ठंडी हो लेने दे, वरना ये कम्बख़्त मेरी चूत मुझे सोने नही देगी…
मे चुप रह गया.., कुछ देर बाद बुआ ने अपना काम शुरू कर दिया और वो अपनी मस्त गद्देदार गान्ड को मेरे लंड पर आगे पीछे करने लगी..
वो अपनी गान्ड को ज़्यादा नही उछाल पा रही थी क्योंकि अगर ग़लती से भी कोई जाग गया, और रज़ाई के अंदर भूकंप आता देख लिया तो बुआ के साथ-2 मेरी भी पूरी तरह भॅड पिट जानी थी..!
बाबूजी अपनी बेहन की चुदाई कैसे बर्दास्त करते वो भी अपने बेटे से…., तो पता लगते ही, वो गान्ड कुटाई होनी थी… कि भगवान ही जाने….!
इसी डर के चलते, बुआ की लय थोड़ी मध्यम ही रही, मे तो कोई कोशिश कर ही नही सकता था…!
तो जैसे तैसे कर के बुआ ने अपना पानी निकाल ही लिया.. और चूत में मेरा लंड घुसाए हुए वो मेरे ऊपर लेट कर हाँफने लगी…
मे – अब क्या हुआ बुआ ? रुक क्यों गयी..?
अरे छोटू ! मेरा तो हो गया…वो फुसफुसा कर बोली…
ये सुनते ही मेरी झान्टे सुलग गयीं… इसकी माँ की चूत मारु…, भेन्चोद इसका हो गया तो ये खुश और मेरा क्या…?
भेन्चोद यहाँ लंड फटने की कगार पर है, और ये भोसड़ी की अपनी चूत झाड के फारिग हो गयी….!
सारा डर रखा ताक पर, लपक कर मेने उसे बाजू में लिटाया और उसको अपनी तरफ गान्ड घुमाने को कहा…
वो ना नुकुर करने लगी… मुझे गुस्सा आने लगा.. मेने कहा – बुआ अब ये ठीक नही होगा, चुप चाप उधर करवट ले लो वरना में सबको जगा के बताता हूँ..
उसकी गान्ड फट गयी, और झट से अपनी मोटी गुद गुदि गान्ड मेरी ओर करदी.. मेने थोड़ा सा अपना सर पीछे को किया, टाँगों को उसकी तरफ कर के उसकी ऊपर की टाँग को उसके पेट से लगाया..
मेरे और बुआ के सर के बीच अब 45 डिग्री का आंगल था, उसकी चूत मेरे लंड के ठीक सामने खुली पड़ी थी…
मेने घचक से पूरा लंड एक ही झटके में पेल दिया… उसके मुँह से एक दबी दबी सी कराह… निकल गयी..
बुआ की चुचियों को ब्लाउज के उपर से मसल्ते हुए मे ढका-धक धक्के मारने लगा…
मेरे धक्कों की स्पीड इतनी ज़्यादा थी कि उसकी हाल ही झड़ी चूत सूखने लग गयी.. और घर्षण से उसमें जलन होने लगी…
बुआ गिडगिडाते हुए बोली – छोटू धीरे कर बेटा… मेरी चूत में जलन हो रही है..
मे क्या करूँ तो.. आपने मेरे लॉड को क्यों जगाया.. अब झेलो…
थोड़ी देर बाद उसकी चूत फिर से पनियाने लग गयी और वो भी मज़े ले लेकर मेरे धक्कों पर अपनी गान्ड पीछे धकेल - धकेल कर चुदाई का मज़ा लेने लगी…
आधे घंटे में बुआ दो बार पानी छोड़ गयी, तब जाकर मेने उसकी पोखर को अपने गाढ़े पानी से भरा…
मेने अपना लंड बुआ की चूत से निकाला, पच की आवाज़ के साथ वो बाहर आ गया, उसके पेटिकोट से अपने लंड को पोंच्छ कर करवट लेकर मे सो गया………………
अगली सुबह तोड़ा देर से उठा, आज नयी दुल्हन को अपने देवर को गोद में बिठाने की रसम थी… रामा दीदी ने ही मुझे झकझोर कर उठाया…
अलसाया सा मे अपनी आँखों को मिचमिचाते हुए उठा और झल्लाकर बोला – क्या है..? क्यों मुझे सोने नही देती…
वो- अरे सब तेरा इंतेजार कर रहे हैं… आज नयी भाभी तुझे अपनी गोद में बिठा कर लाड करने वाली हैं…
मेरी उठने की कतयि इच्छा नही थी, लेकिन नयी भाभी की गोद में बैठने के नाम से ही मेरे अंदर गुद गुदि सी पैदा हो गयी…,
मेरा सारा आलस्य भाग खड़ा हुआ, और झटपट उठके बाथरूम की तरफ भागा…
रामा दीदी खिल खिलाकर हँसते हुए बड़बड़ाई… देखो नयी भाभी की गोद में बैठने के नाम से ही कैसी नींद भाग गयी….हहेहहे…
मे 1 घंटे में नहा धोकर फ्रेश होकर एक लाल सुर्ख रंग की टाइट टीशर्ट और ब्लू जीन्स पहन कर आँगन में पहुँचा…
वहाँ सब रसम के लिए मेरा इंतेज़ार कर रहे थे… सबकी नज़र जैसे ही मुझ पर पड़ी, तो टिकी ही रह गयी…
निशा तो मानो किसी सम्मोहन से बँधी.. मुझे बड़ी ही प्यारी नज़रों से देखे जारही थी…
टाइट कसी हुई टीशर्ट में मेरी कसरती बॉडी के सारे कट्स दिखाई दे रहे थे.. सीना एकदम बाहर.. उसके नीचे के पॅक्स… बाजुओं की मछलिया…
मेने आज एक स्पेशल इंपोर्टेड पर्फ्यूम भी लगाया हुआ था… वैसे इन सब की मुझे कभी आदत नही थी…
आँगन में घर के बड़े लोगों को छोड़, वाकई सभी लोग मौजूद थे..
पूरे आँगन में एक कालीन का बिच्छवान डाला हुआ था.. सेंटर में दो मोटे-2 गद्दे जिन पर एक साफ-सुथरी चादर,
जिसके ऊपर कामिनी भाभी.. पालती मारे सुर्ख लाल जोड़े में अपनी नज़रें झुकाए बैठी थी...