Thread Rating:
  • 10 Vote(s) - 1.4 Average
  • 1
  • 2
  • 3
  • 4
  • 5
Adultery हर ख्वाहिश पूरी की
58>
घर, गाओं, कॉलेज में और भी लड़कियाँ थी, लेकिन ऐसा कभी किसी के साथ नही हुआ था…तो फिर अब क्यों…?

आख़िर सगाई का समय आ गया.. म्ला अपने सगे संबंधियों समेत हमारे दवाजे पर आ चुके थे…

गाओं की रीति-रिवाजों और घर मोहल्ले की औरतों के मंगाळाचरण के बीच सगाई की रसम पूरी हुई… उसके बाद हमने सारे गाओं को दावत दी…

लगान पत्रिका के हिसाब से 3 दिन पहले हल्दी की रस्म थी…पूरे घर, आँगन में चारों तरफ खुशी भरा माहौल व्याप्त था…

पूरे आस-पास के इलाक़े में इस शादी को लेकर चर्चाएँ थीं, हो भी क्यों ना… आख़िर तो एक एमएलए की लड़की और डीएसपी की शादी जो थी…

आज हल्दी की रस्म होनी थी… वार के नहाने से पहले उसे हल्दी लगाई जाती थी, उसके कुच्छ घंटे के बाद बेसन से उबटन करके नहलाया जाता था,

नहाने तक के सारे काम वार खुद नही करता था, उसकी भाभी, चाची, बहनें या फिर बुआएं मिलकर करती थी…

आँगन में मनझले भैया.. मात्र अंडरवेर के उपर एक लूँगी लपेट कर एक लकड़ी के पटरे पर बैठ गये..

एक बर्तन में हल्दी और चंदन का लेप घोला हुआ था.. पंडित जी ने मंत्रोचारण करके विधि शुरू कराई.. बहनों और बूआओं ने भैया के शरीर पर हल्दी का लेप लगा कर शुरुआत की..

उसके बाद चाचियों ने हल्दी लगाई… उसके बाद भाभी का नंबर आया…

मे भैया के पीछे खड़ा कौतूहल वश ये सब देख रहा था… भाभी मज़ाक करते-2 भैया के हल्दी लगा रही थी… कभी-2 उनके गालों पर हल्दी लगते-2 चॉंट लेती.. तो भैया के मूह से आउच.. करके मीठी कराह निकल जाती…

मे सब इन्ही चुहल बाज़ियों का आनंद ले रहा था सभी एक दूसरे से हसी-ठिठोली कर रहे थे…

अचानक निशा ने हल्दी के बर्तन से हल्दी अपने हाथों में लेकर छुपा ली.. किसी का ध्यान उसकी तरफ नही था…

वो चुपके से मेरे करीब आई और अपने हल्दी भरे हाथ मेरे गालों पर रगड़ दिए…

जैसे ही मुझे पता लगा.. और मेने उसके हाथ पकड़ने की कोशिश की… खिल-खिलाती हुई वो मेरे से दूर भाग गयी…

सबकी नज़रें मेरी तरफ मूड गयी… सब लोग हँसते-2 लॉट पॉट हो रहे थे…

शांति बुआ ने मेरी गैरत को ललकारा… हाए रे लल्ला… कैसा मर्द है तू.. साली तुझे हल्दी लगा गयी… और तू कुच्छ नही कर पाया… तुझे तो चुल्लू भर पानी में डूब मारना चाहिए…

तो मेने भी अपने हाथों में हल्दी ली और उसकी तरफ बढ़ने लगा… वो मेरे से बचने के लिए इधर से उधर भागने लगी…

मनझले भैया ने मुझे उकसाया…. शाबास छोटू… छोड़ना मत उसको… अगर बच गयी… तो समझ लेना हमारी नाक कट जाएगी…

मे उसके पीछे लपका… बचने के लिए वो इधर-से-उधर भागने लगी.. पूरे आँगन में.. लेकिन मेने उसका पीछा नही छोड़ा…..

अंत में उसे कोई रास्ता नही सूझा तो वो झीने पर चढ़ गयी.. और उपर के कमरे में घुस गयी…

लेकिन इससे पहले कि वो उसका दरवाजा अंदर से बंद कर पाती.. मेने दरवाजे को धक्का देकर खोल दिया…………!



अब वो कहीं भाग नही सकती थी.. सो कमरे के एक कोने में जाकर खड़ी हो गयी… गर्दन नीची किए, सिमटी सी सरमाई सी…होठों पर एक मीठी सी मुस्कान लिए…

मे धीरे – 2 कदम बढ़ाता हुआ उसके नज़दीक जाने लगा, ना जाने क्यों…? जैसे – 2 मेरे कदम उसकी तरफ बढ़ रहे थे, पूरे शरीर में एक अजीब सी उत्तेजना पैदा होने लगी…

जिसमें वासना लेशमात्र भी नही थी, मेरे शरीर के सारे रौंय खड़े होने लगे…शरीर में अजीब सी कंपकंपाहाट सी होने लगी.

अभी में उससे कुच्छ कदम दूर ही था, कि उसके लरजते होंठ हिले…काँपती सी आवाज़ में बोली – प्लीज़ अंकुश जी, मुझे जाने दो…

मेने कदम आगे बढ़ाते हुए कहा – वार करके हथियार डालना ठीक नही है..जब तक अपने जैसा फेस आपका नही हो जाता, यहाँ से हिलना भी संभव नही होगा.

अब ये आपके उपर निर्भर करता है, कि प्यार से होगा या फिर…..मेने जान बूझकर अपनी बात अधूरी छोड़ दी और आगे बढ़ा…

वो खिल-खिलाती हुई फ़ौरन ज़मीन पर उकड़ू बैठ गयी, और अपने चेहरे को घुटनों में देकर छिपाने की कोशिश करने लगी…!

मे उसके सर पर खड़ा होकर बोला – बचना बेकार है निशा जी… आपने सोए हुए शेर को जगा दिया है… अच्छा होगा प्यार से लगवा लो… वरना मुझे जबर्जस्ती करना भी आता है…

वो – प्लीज़ अंकुश जी मत करिए ना… मान जाइए प्लीज़…!

मे – शुरुआत तो आपने ही की है… अब ख़तम तो मुझे करना ही पड़ेगा ना… ये कहकर मेने अपने हाथ उसकी बगलों में फँसा दिए…

उसने अपने घुटने शरीर से और ज़ोर्से सटा लिए और ज़्यादा सर झुका कर उनके बीच कर लिया…!

अपने शरीर को उसने ऐसा कस लिया, कि मेरे हाथ उसके अंदर घुस नही पा रहे थे..

तो मेने उसके बगलों में गुदगुदी कर दी.. वो खिल-खिलाकर अपने बदन को इधर से उधर लहराने लगी..

इतने में ही मुझे मौका मिल गया और मेरे हल्दी भरे हाथों ने उसके दोनो गालों को रगड़ दिया…

उसने हथियार डाल दिए और खड़ी हो गयी.. मेरे हाथ अभी भी उसके गालों पर ही थे.. उसकी पीठ मेरे पेट और सीने से सटी हुई थी….!

वो अब भी मेरे हाथों को अपने गालों से हटाने की कोशिश में लगी थी, लेकिन कोई फ़ायदा नही हुआ…

मे उसके गाल मलने में लीन हो गया…आगे को झुक कर उसने अपने चेहरे को नीचे करने की कोशिश की जिससे उसकी अन्छुई गान्ड पीछे को होकर मेरी जांघों से सट गयी…

उसकी मक्खन जैसी मुलायम गान्ड मुझे और ज़्यादा उससे चिपकने पर मजबूर करने लगी…दोनो के शरीर में एक कंपकपि सी हो रही थी.

जब काफ़ी देर तक ये चलता रहा, तो आख़िर में उसने अपने हथियार डाल दिए और बोली –

अब तो छोड़ दीजिए प्लीज़… अब तो आपके मन की हो गयी ना… वो फुसफुसाई…

मे – मन की आप कहाँ होने दे रही हैं निशा जी !… मेने उसके ठीक कान के पास अपने होठ लेजा कर कहा…

वो – और कितना रगडेन्गे…? पूरा तो रगड़ दिया…

मे – लेकिन आपने प्यार से तो रगड़ने नही दिया ना !... ज़बरदस्ती में मज़ा नही आया !

वो – प्यार से और कैसे होता है…?

मेने उसको अपनी तरफ घुमाया, और अपने हल्दी लगे गाल जो उसने रंग दिए थे.. उनको उसके गालों से रगड़ने लगा..

मेरे खुरदुरे शेव किए हुए गालों की रगड़ अपने गालों पर महसूस करके

निशा की आँखें बंद हो गयी.. और उसकी साँसें भारी होने लगी…

छोड़िए ना प्लीज़… कोई आजाएगा… वो काँपते से स्वर में बोली…

तो आने दो… ये कह कर मेने अपने होठ उसके होठों पर रख दिए, और एक प्यार भरा चुंबन लेकर उसको छोड़ दिया….

वो शर्मीली स्माइल करती हुई वहाँ से भाग गयी.. और कमरे के दरवाजे से निकल कर साइड में दीवार से पीठ टिका कर लंबी-2 साँसें लेने लगी…
[+] 1 user Likes nitya.bansal3's post
Like Reply


Messages In This Thread
RE: हर ख्वाहिश पूरी की - by nitya.bansal3 - 01-02-2022, 12:02 PM



Users browsing this thread: 34 Guest(s)