31-01-2022, 04:55 PM
(03-12-2019, 03:57 PM)neerathemall Wrote:मेरी एक औरत दोस्त, वह मुझसे दो साल बड़ी है, उसने विचारधारा की फजीहतों की वजह से हाँ या ना में जवाब देना बंद कर दिया है और सिर्फ इसलिए मेरे हमबिस्तरी के संकेतों को मौन की सफेद चादर से उढ़ा दिया है। उसने मुझे धुँधले वक्त के लिए एक बीजक मंत्र के आह्वान की सलाह दी है : 'शब्दों और उससे भी ज्यादा कथाओं से सावधानी बरतो। कभी कभी वे पलटवार करते हैं और मारक बदला चुकाते हैं।'
(03-12-2019, 04:14 PM)neerathemall Wrote:
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.