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Adultery रीमा की दबी वासना
रीमा तो जैसे इस दुनिया में थी ही नहीं | उसकी चूत इतनी उत्तेजक द्रश्य देखकर चूत रस रिसा रही थी | उसकी पैंटी गीली हो चुकी थी, अचानक कामिनी के एस्कॉर्ट को झड़ता देख तो वो वापस अपनी दुनिया में लौटी | वो खुद को सँभालने लगी , अपनी सांसे व्यवस्थित करने लगी | उसके बाद वो फिर से यहाँ देखे गए वासना के नंगे नाच को अपने दिमाग की उधेड़बुन का हिस्सा बनाने लगी | वो मालविका के बाद अब कामिनी की हवस का लाइव प्रसारण देख  देखकर सोच में पड़ गयी, कैसी औरते है ये, न कोई शर्म, न कोई लिहाज, अगर शादी नहीं हुई तो कही भी क्या मुहँ मारती फिरेंगी | किसी के साथ भी, कही भी चुदाई करने लगेगी क्या ? न सामने वाले का कोई अता न पता, इसकी तो शक्ल भी नहीं देखि कामिनी ने, जबकि वो तो कामिनी की शक्ल के साथ का उसके बदन का अंग अंग देख डाला | सिर्फ देखा ही नहीं, उसे अपने लंड से मथ भी डाला | कोई औरत किसी लंड का मुहँ देखे बिना उसे अपने अन्दर कैसे डाल सकती है | मुझे तो समझ नहीं आती कामिनी जैस औरते जिस लंड को जानती नहीं पहचानती नहीं उसे अपनी चूत में और पीछे कैसे ले सकती है | फिलहाल अब रीमा के दिलो दिमाग की सोच में लंड और चूत जैसे शब्द घर करने लगे थे, वरना वो तो अपनी सोच में भी इनका इस्तेमाल वर्जित रखती थी | वो अपनी दबी वासनाओं को दूसरो को जाहिर करने से डरती थी लेकिन पहले तो खुद से भी जाहिर करने से डरती थी अब फिलहाल रोहित ने उसके अन्दर इतनी हिम्मत भर दी थी की वो यहाँ बैठकर किसी दुसरे की खुलेआम चुदाई देख रही थी और अपने अन्दर दूसरो की वासनाओं और हवस को समझने की कोशिश कर रही थी | उसके दिमाग की उधेड़बुन में  चूत लंड जैसे शब्द आ जा रहे थे, ये एक बहुत बड़ा परिवर्तन था लेकिन अभी भी रीमा मालविका और कामिनी जैसी हवस की भूखी औरतो के चुदने के तरीको को हजम नहीं कर पा रही थी  | रीमा को लगता था कि रोहित से चुदकर, घर में नंगी रहकर, सेक्स टॉयज से खेलकर और प्रियम को सबक सिखाकर उसने बहुत बड़ा तीर मार दिया है | वो बहुत ज्यादा बोल्ड औरत हो गयी है, जो औरतो के लिए बनायीं गयी हर लक्ष्मण रेखा को तोड़कर अपनी सभी जरूरतों के हिसाब से जिंदगी में जी रही है | उसे कोई बंधन नहीं रोक सकता, न ही वो किसी खोखली नैतिकता की गुलाम है | वो अपनी कामुक वासनाए पूरी करने के लिए हर शर्म हया से परे है लेकिन यहाँ आकर उसे अपनी कामुक वासनाओं के छोटेपन का अहसास हुआ | उसे लगता था की वो अपनी वासनाओं की पूर्ति करके रेस में बाकि औरतो से सबसे आगे निकल गयी है लेकिन एक ही झटके में मालविका और कामिनी ने उसे बहुत छोटा कर दिया | उसे लगने लगा की वो उन दोनों से मीलो  पीछे है | वो किसी भी हालत में इस वहशी हवस की भूख मिटाने के मालविका कामिनी के अंदाज को स्वीकार नहीं कर पा रही थी | खुद को कामुकता, वासना और हवस को मिटाने के लिए नैतिकता के बंधन तोड़कर, समाज की सारी सीमाए लाँघ कर अपने को कामसूत्र की नायिका समझती थी सेक्स को लेकर खुद को बहुत खुले विचारो को समझने वाली रीमा को उन औरतो की इतनी ज्यादा हवस भरी कामुक स्वछंदता सही नहीं लग रही थी, वो खुद को ये समझा पाने में असफल थी की मालविका और कामिनी जो कर रही है उसमे कुछ गलत नहीं है | हर आदमी अपनी जरुरत और सोच के हिसाब से चलता है | मालविका और कामिनी भी अपनी दिमाग और सोच के हिसाब से जो भी कर रहे थे वो सही कर रहे थे | रीमा की नजरो में दोनों कुतिया और रंडी बन गयी थी | रीमा का अंतर्मन बार बार समझाने को आतुर होता कि वो भी तो अपनी जवानी की आग ही बुझा रही है इसमें गलत क्या है, लेकिन रीमा ये सब नहीं कर सकती थी किसी भी हाल में नहीं कर सकती थी किसी भी हाल में किसी अनजाने मर्द से चुदने का तो सवाल ही नहीं उठता था, पिछवाड़े में लेने और गांड मरवाने की तो वो सपने में भी कल्पना नहीं कर सकती थी | औरते अपने चरम सुख को पाने और जवान जिस्म की हवस की भूख की आग को मिटाने को अपनी गांड भी खुद की मर्जी से मरवाती है ये उसके अन्दर का स्त्रीत्व का अहंकार ये सब स्वीकार नहीं कर पा रहा था | उसे लगा रहा था कि मालविका और कामिनी ने  अपने पिछवाड़े के छेदों में लंड पेलवा कर पाप कर रही है ये घिनौना है घ्रणित है गलत है | उसे लगता था सिर्फ चूत को चुदवाने की प्यास होती है और जब चूत को लंड न मिले तो उसमे चुदने की खुजली मचती है, प्रकृति ने औरत को चूत दी है चुदवाने के लिए, अपने जिस्म की जवानी की प्यास बझाने के लिए |  फिर  किसी औरत का गांड मरवाना सहज नहीं हो सकता, ये समाज के स्थापित नियमो के खिलाफ है और प्रकृति के स्थापित नियमो के भी विरुद्ध | गांड लंड जाने के लिए नहीं बनी है जबकि चूत इसीलिए ही बनी है | कोई खुद को इतनी तकलीफ देकर अपनी गांड मरवाकर कैसे आनंद उठा सकता है | उससे निकलने वाली गन्दगी का क्या | रीमा के अंतर्मन ने ही जवाब दिया गन्दगी तो चूत में भी होती है, उसे भी तो साफ़ करके चोदते है, चूत में भी दर्द होता है, पहली बार चूत में भी तकलीफ होती है  फिर गांड क्यों नहीं चुद सकती | रीमा के मन ने ही पलटवार किया - नहीं गांड बहुत गन्दी होती है और वो इसलिए नहीं बनायीं गयी है कि उसके अन्दर कुछ जा सके, उससे शरीर की गन्दगी जरुर बाहर निकलती है | नहीं नहीं ये मै क्या सोच रही हूँ, ये सब वहशियाना है गन्दा है घिनौना है, जानवर भी ऐसा नहीं करते | रीमा के मानसिक सोच पर उसके नैतिकता के बन्धनों ने ब्रेक लगा दिया | रीमा की मानसिक सीमा यहाँ आकर ख़त्म हो गयी, रीमा की वासना की स्वछंदता की सीमा यही आकर ख़त्म हो गयी | रीमा को लगता था वो अपने जिस्म की हवस बुझाने को जो करना चाहे कर सकती है लेकिन एक झटके में उसकी कमजोरी उसी की आँखों के सामने जाहिर हो गयी | एक झटके में मालविका और कामिनी ने वासना की भूखी रीमा को उसी की नजरो में बहुत छोटा कर दिया | उसका मन निराशा से भर गया, जो कामिनी और मालविका कर रही थी वो रीमा के बस का नहीं था और ये रीमा के मन में  हमेशा के लिए एक चुनौती बनकर उसकी दबी वासनाओं को खटकता रहेगा | वो कामुकता के खेल में सबसे उत्कृष्ट नहीं है, मालविका और कामिनी उससे बहुत आगे निकल चुकी है | वहां तक वो कभी पंहुच ही नहीं सकती | उसका मन जिस उत्साह से चुदाई देखने आया था अब वो खटास से भर गया था | वो वहां से जाना चाहती थी | रोहित तीन नोड को मेंटेनेंस पूरा कर चूका था तीन का बाकि था |


रीमा ने उदास भाव से - रोहित मै बोर हो रही हूँ यहाँ, चलो न यहाँ से |

रोहित को थोड़ा हैरानी हुई - मुझे लगा तुम इसे मन लगाकर देखोगी |

रीमा - बकवास है ये सब, छी छी  छी छीछीछीछीछीछी कितने गंदे गंदे काम करती है ये औरते | चुदाई की इतनी भूखी है ये औरते की किसी भी छेद में  ले लेगी किसी का भी ले लेंगी, न नाम न पता बस अन्दर घुसा लेंगी |   

रोहित उसके मुहँ से चुदाई शब्द सुनकर हल्का सा मुस्कुराया - उनकी मर्जी, उनका शरीर, (जानबूझकर) उसकी चूत है उनकी गांड है कही भी चुदवाये, कही भी मरवाए, किसी से भी चुदवाये, किसी से भी मरवाए | हमें क्या मतलब |

रीमा - तुम्हे गन्दा नहीं लगता ये सब ?
रोहित - क्या गन्दा नहीं लगता ?

रीमा - पीछे करना |

रोहित - ओह्ह्ह्ह रीमा तुम भी न, अब जो कर रहा है उसे गन्दा नहीं लग रहा तुम क्यों परेशान हो रही हो |

रीमा - कितना गन्दा है ये सब | कितनी चुदास भरी है इन औरतो के अन्दर, कही भी डलवा लेगी |

रोहित - अब तुम सचमुच पर्सनल हो रही हो, क्या फर्क पड़ता है अगर वो गांड मरवाकर खुस है, तो उनकी मर्जी | आखिर वो खुस तो है न, वो अपनी इक्षा दबा तो नहीं रही, उनका जिस्म है उनकी हवस है चाहे जैसे अपने बदन की प्यास बुझाये , उनका मन है तो गांड मरवाए चाहे चूत चुदवाये  उनकी इक्षा है वो पूरा कर रही है |

रीमा - आग लगा दू मै ऐसी हवस को |

रोहित - देखो रीमा ये तुम्हे नहीं पसंद लेकिन वो तो इसे भरपूर एन्जॉय कर रही है | 

रीमा - पीछे करवाने में कौन सा एंजोयमेंट, फट के हाथ में आ जाती होगी |

रोहित रीमा की इस बात पर हल्का सा खुन्नस खा गया - मुझे समझ में ये नहीं आता तुम इसे इतना पर्सनल क्यों ले रही हो, ऐसा लग रहा है जैसे मालविका और कामिनी गांड अपनी मरवा रही है लेकिन फट तुमारी गांड रही है |

रीमा - तुम मुझसे ऐसे बात नहीं कर सकते |

रोहित खुद के गुस्से को काबू कर्ता हुआ - अच्छा बाबा सॉरी, लेकिन उन्हें उनके हाल पर छोड़ दो, वो गांड मरवाकर, किसी बाहरी जिगोलो से चुदवाकर खुस है तो उन्हें खुस रहने दो, कम से कम अपने अन्दर अपनी हवस दबाकर अन्दर ही अन्दर कुंठित तो नहीं हो रही है | आदमी दस जगह मुहँ मरता है जब वो गलत नहीं है तो औरते अपनी मर्जी से कही भी चुदवाये, मरवाए वो कैसे गलत है | उनकी जवानी की आग है अपने तरीके से मिटा रही है | कम से कम अपनी मर्जी का कर तो रही है, किसी मर्द को तो उन्हें पकड़कर नहीं बताना पड़ रहा है की तुम प्यासी हो तुम चुदासी हो | तुमारी चूत या गांड लंड से चुदने को बेताब है | 

रीमा - अपनी बकवास बंद करो, मै कुंठित नहीं हूँ, मै अपनी हवस दबा के नहीं रखती और बड़े आये मेरी चूत को उसकी चुदास के बारे में बताने वाले |

रोहित हल्का सा मुस्की मारता हुआ - अच्छा बाबा ठीक है लेकिन इतना ज्यादा टेंसन में क्यों हो ?

रीमा - मै टेंशन में नहीं हूँ |

रोहित के दिमाग में अचानक से कुछ क्लिक किया - एक बार पून्छु रीमा, कही तुम इन दोनों औरते से जलन तो नहीं खा रही हो | तुम्हे कही ये तो दिक्कत नहीं है की वो बिंदास अपनी हवस अपनी शर्तो पर बुझा रही है, उन्हें कोई लोकलाज नहीं है उन्हें कोई हया शर्म नहीं है  और तुमारे लिए वो सब करना वर्जित है, नामुनकिन है  | कही तुम भी तो वो सब नहीं करना चाहती | कही तुमारी भी तो दबी कामना नहीं है इस तरह से अपने जिस्म की हवस बुझाने की |

रीमा एक बरगी को खड़भड़ा गयी, उसे लगा जैसे किसी ने उसके अन्दर कही कोने में दबी चिंगारी में फूंक मार दी हो, फिर संभालती हुई अदा से बोली - इतनी कमजोर नहीं हूँ मै, तुम्ह से तो सीखा है अपने जिस्म की प्यास बुझाना | वो अलग बात है मै इतना गन्दा नहीं कर सकती |

रोहित उसकी बात पकड़ता हुआ - मतलब थोड़ा गन्दा कर सकती हो |

रीमा - जस्ट शट उप, मुझे रूम जाना है, थक गयी हूँ सोना है |

रोहित - सोना है तो यही सो जाओ, थक गयी हो तो मालिश का सारा सामान मौजूद है रही बात जाने की तो अभी मुझे तीन नोड और देखने है, उसी के बाद यहाँ से निकलूगा |

रीमा - तब तक तो रात के दो बज जायेगें |

रोहित - तो क्या हुआ, हवस का नंगा नाच देखो तब तक, हर केबिन में यही तो हो रहा है इस समय |

रीमा - मुझे नहीं देखना |

रोहित आंखे मटकाता हुआ - तो हवस का नंगा नाच करना है ??

रीमा - तुम्हें भी बस एक ही बात सूझती है हर दम |

रोहित रीमा को चिढ़ाता हुआ - सच कंहू तो हाँ , तुम्हे देखकर तो एक ही बात सूझती है, बस तुम अपनी बांहों में लिए नंगा पड़ा रहू, हौले हौले धीरे धीरे ....................................पूछो जरा अपनी मुई से ...............क्या ख्याल है|

रीमा खीझती हुई - रोहित जस्ट शट उप,  यहाँ सोचना भी मत | पता है कितना टाइम लगता है साड़ी पहनने में |

रोहित रीमा को मटकाता हुआ - मै बिलकुल नहीं सोचुगां, मै तो बस करूगां, धीरे धीरे हौले हौले .........|

रीमा - अपनी बकवास बंद करो नहीं तो मै जा रही हूँ | बाय............

रोहित - हौले हौले .............धीरे धीरे जाना |

रीमा जोर से खीझती हुई - मै कही नहीं जा रही, तुम करते रहो बकवास मै सुन भी नहीं रही |

रोहित - मुझे पता है कामिनी वाले स्टंट करने का मन है तुमारा, बस झिझक रही हो |

रीमा को रोहित की बात से झटका सा लगा, लेकिन अब वो पहले से मानसिक रूप से मजबूत थी,जल्द ही संभल गयी - मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता तुमारी बकवास से, मै पहले वाली बुद्धू रीमा नहीं हूँ | तुमारा माइंड गेम सब समझ रही हूँ |

रोहित - काफी स्मार्ट हो गयी हो |

रीमा - वो तो मै हूँ और सेक्सी भी |

रोहित - अपने मियां मिट्ठू ................................. मुझे अपना काम करने दो , नहीं तो एक भी सेटिंग्स अगर ऊपर नीचे हो गयी तो आफत हो जाएगी | एक काम करो तब तक तुम ये देखो...........औरतो की फैन्ताशी  देखकर बोर हो गयी तो तो आदमियों की देखो | कैसे ऐश करते है साले हरामोखोर और एक तुम हो जो हमेशा मुझे गलत समझती रहती हो | मै लड़की को पटा कर चोदता हूँ वो भी उसकी मर्जी से और ये देखो कैसे पानी की तरह पैसा बहा रहे है अपनी आइयास्शी पर | उसने एक और केबिन की रिकॉर्डिंग शुरू कर दी | ये लाइव नहीं था |

 रीमा बिस्तर पर जाकर लुढ़क गयी और एक एडल्ट ब्लू फिल्म की तरह दुसरे केबिन की कहानी देखने लगी |
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RE: रीमा की दबी वासना - by vijayveg - 18-05-2019, 12:21 AM



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