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Incest हरिया
#20
गरीब का कर्ज़
इस धरती पर कहीं आसमान के नीचे बसे एक छोटे से गांव में हरिया नाम का एक गरीब किसान रहता था। वह इतना गरीब था कि उसके जीवन में उसके नाम के अलावा कहीं भी हरियाली का नाम-ओ-निशान नहीं था। उसके मां-बाप की जिंदगी गांव के लाला से लिए कर्ज़ को चुकाते चुकाते बीत गई थी और अब उसकी भी बीते जा रही थी।
रात में अपनी झोपड़ी के बाहर लगे नीम के पेड़ के नीचे लेटे हरिया आसमान के चांद को निहारते अपनी जीवनसंगिनी की कल्पना कर रहा था कि अचानक उसके मन में एक ख्याल आया कि यदि उसका विवाह हो जाए तो उसे कामकाज में हाथ बटाने वाला साथी मिल जाएगा और शायद लाला का कर्ज़ भी आसानी से चुका पाएगा। अगले दिन जैसे ही हरिया ने अपनी आंखें खोलीं तो उसने झोपड़ी के बाहर हुक्का पीते लाला और चौधरी को बैठा पाया जो अपनी कर्जा वसूली के लिए आए हुए थे। चौधरी दिमाग का धनी और मौकापरस्त इंसान था और लाला का अच्छा दोस्त भी। जब कर्ज न चुका पाने की असमर्थता को बताते हुए हरिया ने अपने मन की बात लाला और चौधरी के सामने रखी तो लाला और चौधरी दोनों ने उसकी हां में हां मिला दी और कुछ खुसुर फुसुर करते हुए हरिया को धुनिया नाम की एक लड़की के संग विवाह का प्रस्ताव दे डाला। धुनिया बगल के गांव के ही एक गरीब परिवार की रहने वाली थी। धुनिया स्वभाव से दायित्वनिष्ठ और साहसी लड़की थी जिसकी सुंदरता के चर्चे आसपास के कई गांवों के बड़े बड़े घरों की बेटियों से भी कहीं ज्यादा थे। हरिया अपनी बात याद करते हुए धुनिया से विवाह करने के लिए राजी हो गया परंतु उसने लाला और चौधरी से आग्रह किया कि एक बार उसे धुनिया से मिलने दिया जाए।अगले दिन पौ फटते ही तीनों दूसरे गांव के लिए रवाना हो गए, गांव पहुंचकर जब हरिया ने धुनिया को देखा तो वह तुरंत मोहित हो गया मानो जैसे कि हरिया के दिल और दिमाग में मधुर धुन बजने लगी हो और वह उन्हीं में कहीं खो गया हो। वह धुनिया पर इतना मोहित हो गया कि उसने धुनिया के पिता को तुरंत विवाह कराने का प्रस्ताव दे डाला और फिर एक आध हफ्ते बाद हरिया के जीवन में बरसों से बंजर पड़ी जमीन पर धुनिया नाम की हरियाली ने दस्तक दी। धुनिया हरिया के संग विवाह बंधन में बंध कर उसके घर आ गई और विवाह की पहली रात का बेसब्री से इंतज़ार करने लगी परंतु गेहूं की कटाई के चलते और मौसम के भी खराब होने की आशंका होने के कारण हरिया धुनिया को आलिंगन में लिए बिना ही खेत के लिए निकल गया और धुनिया का बदन यूं ही रात के आगोश में सो गया।अगले दिन खेत से वापस लौटने पर हरिया ने धुनिया को पलभर के लिए निहारा और हाल पूछ कर बाजार को सौदे के लिए निकल गया।बाजार में उसे फसल की इतनी भी कीमत नहीं मिल पाई कि वह अपनी नई नवेली दुल्हन के लिए कुछ ले जा सके उसने फसल से हुई कमाई का कुछ हिस्सा लाला को दे दिया और बाकी का दो वक्त की रोटी और नई फसल के लिए बचा लिया। शाम को घर वापसी पर हरिया ने बस धुनिया का हाल पूछा और खाना लेकर खेत के लिए निकल गया और वहीं दूसरी ओर आज भी धुनिया का बदन काली रात की आगोश में सो गया। लाला से लिए कर्ज के चलते जब यही सिलसिला कई महीनों तक चलता रहा तो एक दिन धुनिया ने हरिया के साथ खेत में चलने की ज़िद करी, यह सोचते हुए कि खेत में ही सही पर पति का साथ तो नसीब होगा और वैसे भी अकेले में काली रात काटने को दौड़ती है। हरिया के बहुत मना करने के बावजूद भी जब धुनिया नहीं मानी तो हरिया को उसे अपने साथ ले जाना पड़ा और अंत में हरिया ने हारकर इस बात से अपने आप को मनाया कि शायद आज के बाद वह ज़िद न करे परंतु औरत के आगे तो बड़े-बड़े हार जाते हैं वह तो सिर्फ एक किसान था और इस तरह अब दोनों एक साथ रात बिताने लगे पर कर्ज की चिंता साथ रात बिताने से थोड़े ही चली जाती। हरिया को कर्ज की चिंता अब पहले से और ज्यादा सताने लगी क्योंकि अब उसके पास धुनिया के रूप में एक जिम्मेदारी और भी आ चुकी थी और इसी चिंता के चलते वह धुनिया के लिए समय नहीं निकाल पा रहा था, न ही शारीरिक रूप से और न ही मानसिक। एक दिन धुनिया अपने पति की ऐसी स्थिति से परेशान होकर चौधरी के पास चली गई और अपनी सारी व्यथा बताने लगी, चौधरी कुछ कहने ही वाला था कि इतने में वहां पर लाला आ गया और चौधरी की बात बीच में रह गई। लाला ने धुनिया के उभरे सीने और चौड़े कूल्हे की तरफ इशारा करते हुए चौधरी के कान में कुछ कहा और चौधरी ने "सब कुछ लाला के ऊपर है" कहकर बात खत्म कर दी। लाला इस जोड़े की मजबूरी का फायदा उठाना चाहता था इसलिए धुनिया को लाला ने यह बतलाया कि कर्ज़ तय समय में न चुका पाने के कारण और बढ़ गया है। यह बात सुनते ही धुनिया ने लाला और चौधरी को दो तीन तीखे शब्द सुना डाले और उनकी बदनियती पर सवाल उठाते हुए वहां से वापस चली आई। घर वापस पहुंचकर उसने हरिया को गांव छोड़कर शहर भाग चलने की सलाह दी जहां पर हरिया मजदूरी करके भी परिवार का पेट पाल सकता है परंतु हरिया अपनी मिट्टी छोड़कर जाने के लिए राजी नहीं हुआ और यह कहकर टाल दिया कि लाला और चौधरी जैसे भी हों वह उन्हें बचपन से जानता है मगर अनजान शहर में वह किसी को नहीं जानता और फिर ऐसे में लोग उसका ज्यादा फायदा उठा लेंगे। शहर को लेकर चल रही बात ने इतना जोर पकड़ लिया की बात बहस में बदल गई और धुनिया तेज चाल से घर से बाहर कहीं खेतों में चली गई। बहस इतनी ज्यादा हो गई की हरिया ने भी धुनिया की खोज खबर करना ज़रूरी नहीं समझा। धुनिया गांव के किसी खेत में जमीन पर ही सो गई। जब वह भोर में उठी तो खेत में पानी छोड़े जाने के कारण उसका शरीर भीगा हुआ था और यौवन का एक अलग ही कामुक रूप नजर आ रहा था। धुनिया जैसे तैसे करके घर वापस आ रही थी कि उसे रास्ते में कुछ रुपए पड़े मिले उसने सहमी आंखों से इधर-उधर देखा और धीरे से रुपयों को अपनी चोली के अंदर डाल दिया। रुपयों को रख लेने के बाद उसने सोचा कि आज घर जाकर वह अपने यौवन से पहले हरिया को रिझाएगी और फिर उसे लाला का कर्ज उतारने के लिए रुपए दे देगी। धुनिया के घर पहुंचने पर हरिया ज्यों ही उसे ताना देने वाला था कि उसकी नजर धुनिया के सीनों पर पड़ी जो धुनिया के तेजी से सांस लेने के चलते एक गजब का उफान भर रहे थे और फिर हरिया कामुकता की दुनिया में कहीं खो गया। हरिया ने धुनिया को आलिंगन में लेते हुए पलंग पर लिटा दिया और धुनिया की गुलाब सी होठों का रसपान करते हुए उसकी छाती की तरफ बढ़ा जहां उसे वो रुपए मिल गए जो धुनिया लेकर आई थी। रुपए देखकर वह धुनिया से सवाल जवाब करने लग गया और जब उसे मालूम पड़ा कि वे रुपए धुनिया को रास्ते में पड़े मिले तो मानो जैसे कि उसकी कामोत्तेजना कहीं सोने चली गई और वह तुरंत लाला को पैसे देने निकल पड़ा। लाला को पैसे दे देने के बाद जब हरिया ने लाला से कर्ज खत्म हो जाने की बात पूछी तो लाला के कपाल पर सवार बदनियत ने साफ इंकार कर दिया और लाला उसे हिसाब समझाने लगा इस बात से हताश हरिया घर वापस लौट आया और धुनिया को सब बात बता डाली। धुनिया ने एक बार फिर हरिया को शहर जाने से मना करने वाली बात का ताना दिया और खाना बनाने लग गई, हरिया भी गुस्सा कर बाहर चला गया, घर से निकलने के बाद हरिया ने शांत दिमाग से धुनिया की बातों पर विचार किया और शहर जाने की तैयारियों में जुट गया उधर अंदर ही अंदर से अपने साथी के लिए परेशान हो रही धुनिया लाला के घर की ओर निकल पड़ी जहां चौधरी भी उसे बैठा मिल गया। लाला और चौधरी फिर उसे हवस और कपट की नजरों से घूरने लगे और धुनिया हल्का सा इशारा करते हुए लाला के भंडारगृह की तरफ बढ़ गई। इशारे को समझते हुए लाला और चौधरी दोनों भंडारगृह की तरफ बढ़े जहां धुनिया निर्वस्त्र हुए अपने बदन के सौदे के लिए उन्हें खड़ी मिली। लाला कदम आगे बढ़ाता उससे पहले धुनिया ने लाला से कर्ज के कागज़ मांग लिये और इसके बाद उसने अपने बदन की आहुति दे डाली। उधर जब हरिया इस घटना से अनजान खुशी से घर आया तो उसे धुनिया कहीं नहीं मिली और वह परेशान होकर उसकी खोज में निकल गया। खोजते खोजते जब वह अपने खेत पहुंचा तो उसे वहां धुनिया की लाश मिली जिसकी इज्जत जमीन के उन्हीं कागज़ों ने ढक रखी थी जिनकी वजह से धुनिया को अपने बदन की आहुति देनी पड़ी थी। यह देखकर हरिया को सब कुछ समझ आ गया था और वह आंखों में आग भरे, हाथ में फावड़ा लिए लाला के घर जा पहुंचा जहां पहले तो उसने लाला जैसे तुच्छ इंसान को मौत के घाट उतारा और वहीं दूसरी तरफ बीच बचाव कर रहे चौधरी को भी हमेशा हमेशा के लिए शांत कर दिया। लाला और चौधरी को उनके कुकर्मों का परिणाम देने के बाद हरिया अपने खेत को लौटा जहां उसने धुनिया को अंतिम विदाई दी और जब रात थोड़ा और ढली तो वह अपनी झोपड़ी में वापस लौट आया।अगले दिन सुबह होते ही गांव में हड़कंप सा मच गया और सारा गांव हरिया की झोपड़ी के बाहर इकट्ठा हो गया। जहां हरिया तो नहीं मिला मगर मिली तो हरिया की लाश जो हाथ में कर्ज के कागज लिए उसी नीम के पेड़ से लटक कर हमेशा हमेशा के लिए ठंडी छांव तले सो गई जहां कभी हरिया ने एक सुनहरा ख्वाब संजोया था, जो हरिया और धुनिया के विवाह का साक्षी बना था।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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हरिया - by neerathemall - 17-01-2022, 11:40 AM
RE: हरिया - by neerathemall - 17-01-2022, 11:40 AM
RE: हरिया - by neerathemall - 17-01-2022, 11:41 AM
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RE: हरिया - by neerathemall - 18-01-2022, 01:14 PM
RE: हरिया - by neerathemall - 17-01-2022, 11:42 AM
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RE: हरिया - by neerathemall - 17-01-2022, 11:45 AM
RE: हरिया - by neerathemall - 17-01-2022, 11:48 AM
RE: हरिया - by Class123 - 17-01-2022, 01:38 PM
RE: हरिया - by neerathemall - 17-01-2022, 05:41 PM
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RE: हरिया - by neerathemall - 17-01-2022, 05:46 PM
RE: हरिया - by neerathemall - 17-01-2022, 05:48 PM
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RE: हरिया - by neerathemall - 17-01-2022, 05:57 PM



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