14-01-2022, 04:29 PM
वास्तव में हस्तमैथुन शारीरक और मानसिक तनाव को दूर करने का एक अनूठा साधन है। जो राहत हस्तमैथुन से प्राप्त होती है वह सम्भोग से भी प्राप्त नहीं होती। हस्तमैथुन कल्पनाओं की उड़ान पर आधारित होता है और आप कल्पनाओं में किसी भी ऊंचाई तक जा सकते हैं। आप की कल्पना में संसार के सबसे सुन्दर स्त्री या पुरुष आ सकते हैं, आप अपनी इच्छा से उनके साथ व्यवहार कर सकते हैं, आप का तीव्रता और धीमी गति पर नियंत्रण होता है। हस्तमैथुन में आपको अपने लिंग की क्षमता प्रदर्शित करने की भी आवश्यकता नहीं होती। आप और आपका हस्तमैथुन करने का तरीका ही आपके आनन्द की सीमा को तय करते हैं।
हस्तमैथुन कई प्रकार से किया जाता है। सबसे साधारण तरीका है लिंग को अपने हाथ में लेकर सहलाना या तीव्रता से आगे पीछे करना, जब तक आप का वीर्य न निकल जाये। यह उन स्थानों के लिए बहुत उपयोगी है जहाँ जगह का अभाव या एकांत न हो। जैसे छोटे घर या संयुक्त परिवार में रहने वाले लोग ! जहाँ एकांत केवल शौचालय या अपने बिस्तर में ही मिलता हो। ऐसे स्थानों में हस्तमैथुन का आनन्द केवल वीर्य स्लखन तक ही सीमित होता है। समय का अभाव, स्थान का अभाव मजबूर कर देता है कि हम तीव्रता से अपने आनन्द तक पहुँचें। इसका दुष्परिनाम आने वाले समय में विवाह में पता चलता है क्यूंकि बचपन से ही जल्दी समाप्त हो जाने की आदत पड़ जाती है। इसका अर्थ यह नहीं कि मर्दानगी समाप्त हो चुकी है। आप मर्द थे, मर्द हैं, और मर्द ही रहेंगे बस केवल आप अपने साथी से पहले स्लखित हो जाते हैं। इसका उपाय एक दूसरा विषय है।
हस्तमैथुन अपनी आवश्यकता के अनुसार किया जाता है, दिन में एक बार, दो बार, या चार बार, जितनी आवश्यकता हो उतना हस्तमैथुन करें। हर बार वीर्य स्लखन होना भी आवश्यक नहीं है। दिन में एक बार वीर्य स्लखित हो जाना उचित है या जब भी आपका शरीर वीर्य को बाहर निकलने की आवश्यकता दर्शाए। यदि आप वीर्य को बाहर नहीं निकालेंगे तो वह अपने आप ही बाहर निकल जायेगा, जिसे स्वप्नदोष कहा जाता है।
कृपया ध्यान दें, स्वप्नदोष कोई बीमारी नहीं है, झूठे डाक्टरों और नीम-हकीमों के बहकावे में न आयें। यह शरीर की प्राकृतिक क्रिया है।
हस्तमैथुन कई प्रकार से किया जाता है। सबसे साधारण तरीका है लिंग को अपने हाथ में लेकर सहलाना या तीव्रता से आगे पीछे करना, जब तक आप का वीर्य न निकल जाये। यह उन स्थानों के लिए बहुत उपयोगी है जहाँ जगह का अभाव या एकांत न हो। जैसे छोटे घर या संयुक्त परिवार में रहने वाले लोग ! जहाँ एकांत केवल शौचालय या अपने बिस्तर में ही मिलता हो। ऐसे स्थानों में हस्तमैथुन का आनन्द केवल वीर्य स्लखन तक ही सीमित होता है। समय का अभाव, स्थान का अभाव मजबूर कर देता है कि हम तीव्रता से अपने आनन्द तक पहुँचें। इसका दुष्परिनाम आने वाले समय में विवाह में पता चलता है क्यूंकि बचपन से ही जल्दी समाप्त हो जाने की आदत पड़ जाती है। इसका अर्थ यह नहीं कि मर्दानगी समाप्त हो चुकी है। आप मर्द थे, मर्द हैं, और मर्द ही रहेंगे बस केवल आप अपने साथी से पहले स्लखित हो जाते हैं। इसका उपाय एक दूसरा विषय है।
हस्तमैथुन अपनी आवश्यकता के अनुसार किया जाता है, दिन में एक बार, दो बार, या चार बार, जितनी आवश्यकता हो उतना हस्तमैथुन करें। हर बार वीर्य स्लखन होना भी आवश्यक नहीं है। दिन में एक बार वीर्य स्लखित हो जाना उचित है या जब भी आपका शरीर वीर्य को बाहर निकलने की आवश्यकता दर्शाए। यदि आप वीर्य को बाहर नहीं निकालेंगे तो वह अपने आप ही बाहर निकल जायेगा, जिसे स्वप्नदोष कहा जाता है।
कृपया ध्यान दें, स्वप्नदोष कोई बीमारी नहीं है, झूठे डाक्टरों और नीम-हकीमों के बहकावे में न आयें। यह शरीर की प्राकृतिक क्रिया है।