14-01-2022, 04:27 PM
दीदी को गाड़ी सिखाने को तैयार हो गया और हम लोग खाली रोड पर गाड़ी ले गए।
वो रोड अच्छा था और दोपहर होने कारण वहाँ कोई ट्रैफिक भी नहीं था।
मैंने उनके साथ जाने से पहले ही मेरी अंडरवियर बाथरूम में निकाल दी थी। अब मैंने दीदी को ड्राइविंग सीट पर बैठाया और मैं दीदी के बगल वाली सीट पर बैठ गया।
मैंने दीदी को गाड़ी चलाने को कहा.. तो दीदी ने एकदम से तेज भगा दी।
एकदम से दीदी डर गईं और मैंने हैण्ड ब्रेक लगा दिया।
दीदी ने कहा- ये मेरे से नहीं होगा।
तो मैंने दीदी से कहा- फिर से ट्राई करो न..
फिर से दीदी ने वैसे ही किया.. तो दीदी बोलीं- रहने दो.. मेरे से नहीं होगा।
फिर मैंने दीदी को मेरी सीट पर बैठाया और ड्राइविंग सीट पर मैं आ गया।
दीदी से कहा- मैं कैसे चलाता हूँ.. वो देखो..
मैं गाड़ी चलाने लगा और साथ उनको समझाने लगा।
कुछ दूर जाने के बाद मैंने दीदी से कहा- अब आप चलाइए।
दीदी नहीं मानी.. तो मैंने कहा- एक काम करते हैं मैं यहीं पर ही बैठा हूँ.. और आप मेरे आगे बैठ जाओ.. मैंने पीछे से आपको बताता रहूँगा।
तो दीदी ने कहा- हाँ, यह ठीक है।
वो रोड अच्छा था और दोपहर होने कारण वहाँ कोई ट्रैफिक भी नहीं था।
मैंने उनके साथ जाने से पहले ही मेरी अंडरवियर बाथरूम में निकाल दी थी। अब मैंने दीदी को ड्राइविंग सीट पर बैठाया और मैं दीदी के बगल वाली सीट पर बैठ गया।
मैंने दीदी को गाड़ी चलाने को कहा.. तो दीदी ने एकदम से तेज भगा दी।
एकदम से दीदी डर गईं और मैंने हैण्ड ब्रेक लगा दिया।
दीदी ने कहा- ये मेरे से नहीं होगा।
तो मैंने दीदी से कहा- फिर से ट्राई करो न..
फिर से दीदी ने वैसे ही किया.. तो दीदी बोलीं- रहने दो.. मेरे से नहीं होगा।
फिर मैंने दीदी को मेरी सीट पर बैठाया और ड्राइविंग सीट पर मैं आ गया।
दीदी से कहा- मैं कैसे चलाता हूँ.. वो देखो..
मैं गाड़ी चलाने लगा और साथ उनको समझाने लगा।
कुछ दूर जाने के बाद मैंने दीदी से कहा- अब आप चलाइए।
दीदी नहीं मानी.. तो मैंने कहा- एक काम करते हैं मैं यहीं पर ही बैठा हूँ.. और आप मेरे आगे बैठ जाओ.. मैंने पीछे से आपको बताता रहूँगा।
तो दीदी ने कहा- हाँ, यह ठीक है।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.