14-01-2022, 04:26 PM
इतना सब होने पर भी दीदी ने चड्डी नहीं निकाली।
नहाने के बाद गमछे से अपना तन पोंछने लगीं.. तब मैं वहाँ से चला गया।
बाद में दीदी ने मुझे आवाज़ दी.. मैं गया.. तो दीदी बोलीं- मेरे कपड़े दे दो.. शायद मैं बाहर भूल आई हूँ..
मैं कपड़े देखने का नाटक करने लगा.. और मैंने कहा- मुझे नहीं मिल रहे हैं..
तो दीदी बोलीं- मेरे पास कपड़े नहीं है.. पहले सारे कपड़े भिगो दिए.. अब क्या करूँ?
मैंने कहा- गमछा लपेट कर आ जाओ न..
तो दीदी बाहर निकलीं.. दीदी का पूरा बदन गमछे से साफ नज़र आ रहा था।
मैं दीदी को ही देख रहा था। गमछा भीग जाने के कारण पूरा पारदर्शी हो गया था था।
दीदी बोलीं- मेरे कपड़े कहाँ हैं।
मैं दीदी के मम्मे देख रहा था।
वो अभी भी अपने पूरे रंग में थे.. फिर दीदी कमरे में गईं.. मैं भी दीदी के पीछे-पीछे चला गया।
दीदी बोलीं- तुम यहाँ क्या कर रहे हो?
मैंने कहा- आप को देख रहा हूँ।
नहाने के बाद गमछे से अपना तन पोंछने लगीं.. तब मैं वहाँ से चला गया।
बाद में दीदी ने मुझे आवाज़ दी.. मैं गया.. तो दीदी बोलीं- मेरे कपड़े दे दो.. शायद मैं बाहर भूल आई हूँ..
मैं कपड़े देखने का नाटक करने लगा.. और मैंने कहा- मुझे नहीं मिल रहे हैं..
तो दीदी बोलीं- मेरे पास कपड़े नहीं है.. पहले सारे कपड़े भिगो दिए.. अब क्या करूँ?
मैंने कहा- गमछा लपेट कर आ जाओ न..
तो दीदी बाहर निकलीं.. दीदी का पूरा बदन गमछे से साफ नज़र आ रहा था।
मैं दीदी को ही देख रहा था। गमछा भीग जाने के कारण पूरा पारदर्शी हो गया था था।
दीदी बोलीं- मेरे कपड़े कहाँ हैं।
मैं दीदी के मम्मे देख रहा था।
वो अभी भी अपने पूरे रंग में थे.. फिर दीदी कमरे में गईं.. मैं भी दीदी के पीछे-पीछे चला गया।
दीदी बोलीं- तुम यहाँ क्या कर रहे हो?
मैंने कहा- आप को देख रहा हूँ।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.