14-01-2022, 04:02 PM
पहली बार किसी लड़की की गांड को हाथों से स्पर्श करना मेरे लिए रूहानी सा था. शायद आपने भी कभी ऐसा महसूस किया होगा. उसका हाथ भी हरकत करने लगा था. ये महसूस करते ही मैंने अपने दूसरे हाथ से अपना लंड बाहर निकाला और उसके हाथों में दे दिया. उसने भी तुरंत लंड हाथ में ले लिया और जोर जोर से हिलाने लगी. मैं सातवें आसामान पर था.
मैंने उसे एक पल के लिए रोका और मैं उठकर गेट बंद करने चला गया. मैं गेट लगाने के बाद नीचे लेट गया और उसे अपने पास बुला लिया. उसने अपने बच्चे को एक तरफ लिटा दिया.
पहले तो मैंने उससे कहा- तुम ब्लाउज उतारो. मुझे तुम्हारे चूचे देखने हैं.
उसने तुरंत ब्लाउज खोल दिया और मैं भूखे भेड़िए की तरह उसके मम्मों पर टूट पड़ा. मैं निप्पल चूसने लगा.
इस समय मैं एक छोटे बच्चे की तरह महसूस कर कर रहा था. मेरे दिमाग में कुछ नहीं चल रहा था, मैं बस उसकी चूचियों का आनन्द ले रहा था. उसका दूध मेरी जीभ को स्वाद दे रहा था.
उसके बाद मैंने उससे कहा- तुम लेट जाओ.
वो लेटने लगी तो मैंने उसकी साड़ी उतार दी और पैंटी के ऊपर से उसकी चुत मसलने लगा. यह बहुत हसीन एहसास था. मैंने उसकी पैंटी उतार दी और अब उसकी चुत और मेरे हाथ के बीच में कोई नहीं था.
मैं उसकी चूत को इस तरह से सहला रहा कि उसमें से जल्दी से रस निकल आए. इसी रस के लिए दुनिया पागल है. साथ ही मैं उसकी चुत को ऐसे मसल रहा था, जैसे मैं कुछ ढूंढ रहा हूं, जैसे मेरा कुछ उसके अन्दर खो गया हो.
देखते ही देखते पता नहीं क्या हुआ कि मैंने अपना मुँह अपनी जीभ उसकी चुत पर रख दिया और उसे किसी आम की फांक की तरह चूसने लगा. उसने भी टांगें खोल दीं और चुत चटवाने का मजा लेने लगी. वो बड़ी चुदासी थी.
मैंने उसे एक पल के लिए रोका और मैं उठकर गेट बंद करने चला गया. मैं गेट लगाने के बाद नीचे लेट गया और उसे अपने पास बुला लिया. उसने अपने बच्चे को एक तरफ लिटा दिया.
पहले तो मैंने उससे कहा- तुम ब्लाउज उतारो. मुझे तुम्हारे चूचे देखने हैं.
उसने तुरंत ब्लाउज खोल दिया और मैं भूखे भेड़िए की तरह उसके मम्मों पर टूट पड़ा. मैं निप्पल चूसने लगा.
इस समय मैं एक छोटे बच्चे की तरह महसूस कर कर रहा था. मेरे दिमाग में कुछ नहीं चल रहा था, मैं बस उसकी चूचियों का आनन्द ले रहा था. उसका दूध मेरी जीभ को स्वाद दे रहा था.
उसके बाद मैंने उससे कहा- तुम लेट जाओ.
वो लेटने लगी तो मैंने उसकी साड़ी उतार दी और पैंटी के ऊपर से उसकी चुत मसलने लगा. यह बहुत हसीन एहसास था. मैंने उसकी पैंटी उतार दी और अब उसकी चुत और मेरे हाथ के बीच में कोई नहीं था.
मैं उसकी चूत को इस तरह से सहला रहा कि उसमें से जल्दी से रस निकल आए. इसी रस के लिए दुनिया पागल है. साथ ही मैं उसकी चुत को ऐसे मसल रहा था, जैसे मैं कुछ ढूंढ रहा हूं, जैसे मेरा कुछ उसके अन्दर खो गया हो.
देखते ही देखते पता नहीं क्या हुआ कि मैंने अपना मुँह अपनी जीभ उसकी चुत पर रख दिया और उसे किसी आम की फांक की तरह चूसने लगा. उसने भी टांगें खोल दीं और चुत चटवाने का मजा लेने लगी. वो बड़ी चुदासी थी.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
